किडनी आपके शरीर का एक ऐसा अंग है, जो चुपचाप लेकिन बहुत जरूरी काम करती है. ये आपके खून को साफ रखती हैं, टॉक्सिंस, ज्यादा पानी और हानिकारक चीजों को बाहर निकालती हैं. इसके साथ ही ये ब्लड प्रेशर मैनेज करने, मिनरल्स का बैलेंस बनाए रखने और रेड ब्लड सेल्स बनाने में भी मदद करती हैं. जब किडनी कमजोर होने लगती हैं और अपने काम ठीक से नहीं कर पाती हैं, तो शरीर में गंदगी और जहरीले पदार्थ जमा होने लगते हैं. इस कंडीशन को क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) कहते हैं.
इस बीमारी को 'साइलेंट किलर' भी कहा जाता है क्योंकि अक्सर कई सालों तक इसका कोई लक्षण नहीं दिखाता, लेकिन अंदर ही अंदर ये हेल्थ को नुकसान पहुंचाती रहती है. इस बीमारी से आज के समय में दुनियाभर के लोग परेशान हैं और इनमें भारतीयों की गिनती दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. हम ये बात यूं ही नहीं कह रहे हैं. द लैंसेट में छपी एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. दरअसल, दुनिया में सबसे ज्यादा CKD मरीजों वाले देशों में भारत दूसरे नंबर पर है. इस रिपोर्ट के बाद डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट्स बेहद चिंतित हैं, क्योंकि ये एक बढ़ती हुई समस्या है जिसे समय रहते पहचानना बहुत जरूरी है.
भारत में क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) के 13.8 करोड़ मामले
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अब लगभग 13.8 करोड़ लोग क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से जूझ रहे हैं. ये संख्या दुनिया में चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी है, जहां 15.2 करोड़ मामले मिले हैं. मतलब साफ है चीन इस लिस्ट में पहले नंबर पर है.
स्टडी में 1990 से 2023 के बीच 204 देशों के किडनी हेल्थ के डेटा को स्टडी किया गया. इसमें सामने आया कि CKD अब दुनिया में मौत का 9वां सबसे बड़ा कारण बन चुका है. सिर्फ 2023 में ही इस बीमारी से दुनिया में 15 लाख लोगों की मौत हुई, जिनमें से 1.2 लाख से ज्यादा भारत में थीं. रिपोर्ट ये भी बताती है कि पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में किडनी की बीमारी 3.5% तक बढ़ गई है. ये साफ दिखाता है कि CKD एक धीरे-धीरे फैलने वाली खतरनाक बीमारी बन चुकी है, जो अक्सर देर से पता चलती है और लोगों की जान तक ले सकती है.
क्रोनिक किडनी डिजीज क्या है?
क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) का मतलब है कि आपकी किडनी धीरे-धीरे अपनी ताकत खोने लगती हैं और खून को पहले जैसी तरह साफ नहीं कर पाती. ये बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है, इसलिए शुरुआत में इसके लक्षण बहुत हल्के होते हैं या बिल्कुल नहीं दिखते. जब तक लक्षण सामने आते हैं, तब तक बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है.
इसके नॉर्मल लक्षण
लोगों को अक्सर थकान महसूस होना, मतली, उल्टी, भूख कम लगना, पैरों और टखनों में सूजन, मसल्स में खिंचाव, नींद न आना, पेशाब में बदलाव, स्किन में खुजली और लगातार हाई ब्लड प्रेशर जैसे लक्षण होते हैं. कई बार फेफड़ों में पानी भरने के कारण सांस फूलती है और सीने में दर्द भी हो सकता है.
CKD होने की मुख्य वजहें
क्या बढ़ाता है CKD का रिस्क?
धूम्रपान, मोटापा, बढ़ती उम्र, परिवार में किसी को किडनी की बीमारी रही हो, दिल की बीमारी या लंबे समय तक ऐसी दवाइयों का इस्तेमाल जो किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं, CKD का रिस्क बढ़ा देता है.
अगर CKD को समय पर कंट्रोल न किया जाए तो क्या होता है?
अगर ये बीमारी बढ़ती गई और इलाज न हुआ, तो ये दिल से जुड़ी बीमारियों, एनीमिया, कमजोर हड्डियों, कमजोर इम्यूनिटी, नसों की समस्या, प्रेग्नेंसी में कॉमप्लीकेशंस और आखिर में किडनी फेलियर जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है. किडनी फेल होने पर मरीज को डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है.
ये बीमारी भले ही धीरे-धीरे बढ़ती है, लेकिन समय पर टेस्ट और सही देखभाल से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.
क्या बताती है लैंसेट स्टडी?
लैंसेट की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) बहुत तेजी से बढ़ रहा है, खासकर उन जगहों पर जहां लोगों को अच्छी हेल्थ सर्विस आसानी से नहीं मिलतीं. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में CKD का रेट 16% तक पहुंच चुका है, जो कि दुनिया के औसत 14.2% से थोड़ा ज्यादा है. कुछ देशों जैसे ईरान (22.7%) और हैती (22.1%) में तो ये रेट और भी ज्यादा है. सबसे ज्यादा असर उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में देखा गया है, जहां CKD का रेट करीब 18% और 16% के आसपास है.
रिसर्चर्स कहते हैं कि दुनिया में CKD बहुत तेजी से फैल रहा है और लोगों की सेहत पर इसका बड़ा असर पड़ रहा है, लेकिन इसके बावजूद इस बीमारी पर सरकारों और नीतियों का ध्यान बहुत कम है. यही वजह है कि इसे समय रहते पहचानने और रोकने के लिए और ज्यादा कोशिश करने की जरूरत है.
दिल की बीमारियों से गहरा संबंध
स्टडी में ये भी सामने आया कि क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) का दिल की बीमारियों से बहुत गहरा संबंध है. दुनिया भर में होने वाली दिल संबंधी मौतों में से 12% मौतें CKD की वजह से होती हैं. दिल से जुड़ी बीमारियों से होने वाली मौतों के पीछे कई कारण होते हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) अब इन मौतों का सातवां सबसे बड़ा कारण बनकर सामने आया है.यानी दिल की बीमारी की वजह सिर्फ डायबिटीज, मोटापा या हाई ब्लड प्रेशर ही नहीं है CKD उनसे भी बड़ा कारण बन रहा है.
किडनी धीरे-धीरे खराब होती है, शरीर में जहर जमा होने लगता है, और इससे दिल पर बहुत ज्यादा दबाव आता है. इसी वजह से दिल की बीमारी और उसके कारण होने वाली मौतों का खतरा बढ़ जाता है.
कौन से हैं मुख्य कारण?
भारत में एक और चिंता ये है कि लोग अब प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड ज्यादा खा रहे हैं. ये चीजें अक्सर ज्यादा नमक, चीनी और प्रिजर्वेटिव्स से भरपूर होती हैं, जिससे किडनी और दिल, दोनों पर बुरा असर पड़ता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
मुंबई के ग्लेनीगल्स हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट के निदेशक डॉ. भरत शाह बताते हैं कि भारत में बढ़ते CKD के मामले बेहद चिंता का विषय हैं. उनका कहना है कि डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर, जो भारत में बहुत आम हैं, किडनी खराब होने के सबसे बड़े कारण हैं. इसके साथ ही जंक फूड, मोटापा और प्रोसेस्ड फूड का बढ़ता चलन कंडीशन को और खराब कर रहा है, क्योंकि ऐसे खाने में नमक बहुत ज्यादा होता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और किडनी पर दबाव पड़ता है.
डॉ. शाह कहते हैं कि भारत में अभी भी हेल्दी खान-पान को लेकर जागरुकता कम है. उनका मानना है कि डायलिसिस प्रोग्राम जरूरी हैं, लेकिन देश को इलाज से ज्यादा रोकथाम पर ध्यान देना चाहिए. वे साफ कहते हैं, 'हम किडनी की बीमारी का पता बहुत देर से लगा पाते हैं. इलाज से ज्यादा जरूरी है कि बीमारी को होने ही न दिया जाए.'
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार, फूड इंडस्ट्री और आम लोगों तीनों को मिलकर काम करना होगा. लोगों को बेहतर फूड लेबलिंग, ज्यादा फिडिकल एक्टिविटी और किडनी के लिए हेल्दी आदतों के बारे में जागरुक करना बहुत जरूरी है, तभी भविष्य में CKD के मामले कम हो सकते हैं.