मानसून का मौसम शुरू हो चुका है. इस मौसम में गर्मी से राहत मिल जाती है. लेकिन साथ ही कुछ और चिंताएं भी हैं, खासकर अगर आप माता-पिता हैं. स्कूल जाने वाले बच्चों, खासकर उन छोटे बच्चों के लिए जिनकी इम्यूनिटी अभी डेवलप नहीं हुई है, बारिश का मौसम उत्साह और जोखिम दोनों का समय होता है. इस मौसम में बच्चों बुखार, खांसी और इन्फेक्शन की समस्या का सामना करना पड़ता है.
मानसून के दौरान बीमारियां क्यों बढ़ जाती हैं?
मानसून सिर्फ़ ठंडी हवाओं और हरियाली का ही नाम नहीं है. हाई ह्यूमिडिटी, जमा हुआ बारिश का पानी और अनियमित तापमान, बैक्टीरिया के पनपने के लिए एक अच्छा वातावरण बनाते हैं. बच्चों के लिए यह विशेष रूप से जोखिम भरा समय होता है, बच्चों में यह इंफेक्शन काफी तेजी से फैल सकता है.
मानसून के समय होने वाली आम बीमारियों में शामिल हैं:
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार बुखार आमतौर पर पहला खतरा होता है. इसके साथ थकान, नाक बहना या हल्की खांसी जैसे लक्षण भी हो सकते हैं. हालांकि कई वायरल बीमारियां अपने आप ठीक हो जाती हैं, लेकिन कुछ तेज़ी से बढ़ती हैं, खासकर छोटे बच्चों या कमजोर इम्यूनिटी वाले बच्चों में.
अस्पताल जाना कब जरूरी होता है?
ज्यादातर मामलों में, घर पर देखभाल, साफ पानी और आराम ही काफ़ी होते हैं. लेकिन, जब लक्षण बने रहें, बिगड़ जाए, या सांस फूलने, अनियंत्रित बुखार या सुस्ती जैसे लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए.
बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं?
मानसून में होने वाली बीमारियाँ आम हो सकती हैं, लेकिन घर और स्कूल में कुछ सचेत कदम उठाकर इन्हें रोका जा सकता है.
सफाई को प्राथमिकता दें: नियमित रूप से हाथ धोना सिखाएं, विशेष रूप से खाने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद.
मच्छरों को कंट्रोल करें: मच्छरों को भगाने वाले स्प्रे का प्रयोग करें, बच्चों को फुल स्लीव्स के कपड़े पहनाएं, और सुनिश्चित करें कि आसपास पानी जमा न हो.
बीमार बच्चों को घर पर ही रखें: दूसरों को इंफेक्ट करने के जोखिम से बेहतर है कि बच्चा स्कूल न जाए.
इम्यूनिटी बढ़ाएं: बैलेंस डाइट, पानी का सेवन और वैक्सीन इम्यूनिटी को मजबूत करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं.