
Gluten-intolerance: रोटी, ब्रेड, पास्ता आदि को खाने के बाद कई लोगों का पेट फूल जाता है. ऐसे में उन्हें लगता है कि उन्हें 'ग्लूटन इंटॉलरेंट' है और वे लोग ग्लूटेन वाली चीजों को खाने से बचने लगते हैं. पिछले कुछ सालों में आपके भी ऐसे कई दोस्त-रिश्तेदार रहे होंगे, आपने जिन्हें इस समस्या से जूझते देखा होगा लेकिन हाल ही में एक रिसर्च से साबित हुआ है कि रोटी, ब्रेड या पास्ता का ग्लूटेन आपके पेट फूलने या गैस बनने का कारण नहीं होता. The Lancet में पब्लिश हुई स्टडी दावा करती है कि जो लोग ग्लूटन वाली चीजों से दिक्कत का सामना कर रहे हैं, उनमें से अधिकतर लोगों को ग्लूटेन की समस्या ही नहीं बल्कि एक दूसरी चीज है.
ऐसे में बिना टेस्ट कराए ग्लूटन को पूरी तरह छोड़ना शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है. यह नॉन-सीलिएक ग्लूटेन सेंसिटिविटी (एनसीजीएस) नामक यह स्थिति दुनिया भर में कई लोगों को प्रभावित करती है. तो आइए इस स्टडी को पूरी तरह समझते हैं.
ग्लूटन इंटॉलरेंस और सीलिएक डिजीज को ऐसे समझें?
ग्लूटेन गेहूं, जौ और राई में पाया जाता है और सीलिएक डिजीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम ट्रिगर होता है जिससे शरीर अपनी ही छोटी आंत पर हमला कर देता है जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता है. सीलियक डिजीज ग्लूटेन के सेवन के कारण होती है. इसलिए इस बीमारी वालों को ग्लूटेन फ्री डाइट लेने की सलाह जी जाती है.
ग्लूटन सेंसिटिविटी या इंटॉलरेंस वाले लोगों में पेट फूलना, डायरिया या गैस जैसी समस्याएं होती हैं और वे जैसे ही ग्लूटेन का सेवन बंद करते हैं तो उनके लक्षण गायब हो जाते हैं. लेकिन नई रिसर्च बताती है कि इन लक्षणों के पीछे असली वजह ग्लूटन नहीं बल्कि कुछ और हो सकती है.
क्या कहती है नई रिसर्च

ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न में प्रो. जेसिका बिसीकेर्स्की (Jessica Biesiekierski) के नेतृत्व में हुई स्टडी उन लोगों पर की गई थी जो लोग खुदको ग्लूटेन सेंसेटिव बताते थे यानी जिन्हें ग्लूटेन इंटॉलरेंस की समस्या थी. लोगों को 2 ग्रुप में बांटा गया. उनमें से एक ग्रुप को ग्लूटेन दिया गया और दूसरे को प्लेसीबो दिया गया. जब निष्कर्ष की जांच की गई तो केवल 16 प्रतिशत से 30 प्रतिशक लोग ही वास्तव में ग्लूटन सेंसेटिव निकले.
ये हो सकते हैं लक्षणों के जिम्मेदार
रिसर्च में सामने आया कि अधिकतर मामलों में ग्लूटन पेट फूलना और गैस बनने जैसी समस्यों का कारण नहीं था बल्कि गेहूं में पाए जाने वाला अन्य कंपाउंड ‘फरमेंटेबल कार्बोहाइड्रेट्स’ (FODMAPs) है. अमेरिकी न्यूट्रिशन एक्सपर्ट स्कॉट कीटली (Scott Keatley, RD) का कहना है, 'FODMAPs आंत में मौजूद बैक्टीरिया द्वारा ब्रेक किए जाते हैं जिससे गैस बनती है. साथ ही ये आंत में पानी खींच लेते हैं जिससे सूजन, डायरिया और दर्द जैसी शिकायत हो सकती है. वहीं यदि किसी को पहले से ही गैस या स्ट्रेचिंग जैसी समस्याएं हैं तो उसकी असहजता और अधिक बढ़ सकती है.'
रिसर्च में पाया गया कि कुछ लोगों में यह समस्या 'नोसीबो इफेक्ट' के कारण भी हो सकती है. इसका मतलब है कि यदि किसी को पहले से ही अंदेशा है कि उसका ग्लूटेन खाने के बाद पेट खराब होगा ही तो वो जाहिर सी बात है कि उसके दिमाग में वही बात चलेगी. और इसी साइकोलॉजिकल इफेक्ट के कारण उसे वो लक्षण नजर आने लगेंगे.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
प्रो. जेसिका ने निष्कर्ष के बाद कहा, 'हमारी समझ में यह एक बड़ा बदलाव है कि हम जिसे ‘ग्लूटन सेंसिटिविटी’ कहते हैं वो असल में कितने लोगों में होती है. यदि किसी को पेट फूलने की समस्या है और आपको सीलिएक डिजीज या ग्लूटेन इंटॉलरेंस की समस्या नहीं है तो ग्लूटेन वाली चीजें छोड़ने से पहले टेस्ट जरूर कराएं
जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की गैस्ट्रोएन्टरोलॉजिस्ट डॉ. सुमोना भट्टाचार्य का कहना है, 'मेरे पास कई मरीज आते हैं जो मानते हैं कि उन्हें ग्लूटन सेंसिटिविटी है. सबसे पहले हम उनका सीलिएक टेस्ट करते हैं और अगर रिपोर्ट नॉर्मल आती है तो अन्य कारण जैसे थायरॉयड या हाई-FODMAP फूड सेंसिटिविटी की जांच की जाती है.'
हर पेट दर्द या गैस का कारण ग्लूटेन नहीं होता इसलिए किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.