एयर फ्रेशनर का इस्तेमाल आमतौर पर किसी जगह को खुशबूदार बनाना और किसी गंदी महक को हटाने के लिए किया जाता है. इसे लोग अपने घरों, दफ्तरों, गाड़ियों और बाथरूम या किचन में छिड़कते हैं और इसमें मौजूद तरल पदार्थ (liquids) हवा में घुलकर उस जगह को खुशबूदार बना देते हैं.
एयर फ्रेशनर आपको तरोताजा महसूस कराते हैं लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक एक साधारण से एयर फ्रेशनर में एक दर्जन से ज्यादा हानिकारक रसायन होते हैं जो शरीर के लिए काफी खतरनाक भी हो सकते हैं. इनमें फथलेट्स से लेकर वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड्स (VOCs) तक शामिल हैं. इन हानिकारक केमिकल्स से सांस संबंधी समस्याओं और एलर्जी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.
एयर फ्रेशनर से रहें सावधान
घर के अंदर इस्तेमाल होने वाले कई फ्रेशनर्स उतने सुरक्षित नहीं हैं जितना उन्हें पहले माना जाता था. अमेरिका के Natural Resources Defense Council, NRDC (प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद) ने इस संबंध में एक जांच की. उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा सामान्य एयर फ्रेशनर के आकलन में पाया कि इनमें ज्यादातर में ऐसे रसायन मौजूद होते हैं जो हार्मोन्स को डिस्टर्ब और प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं.
परीक्षण में शामिल कई एयर फ्रेशनर में फथलेट्स पाए गए जो हार्मोनल संतुलन को बुरी तरह प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं. ये सिंथेटिक कंपाउंड्स खुशबू के फीके पड़ने के बाद भी हवा में लंबे समय तक रह सकते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य को लगातार खतरा बना रहता है.
कैसे एयर फ्रेशनर हो सकता है खतरनाक
वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) वो रसायन होते हैं जो आमतौर पर एयर फ्रेशनर में पाए जाते हैं और खुशबू फैलाते हैं. हालांकि, कई VOCs के स्वास्थ्य पर बुरे असर के लिए जाने जाते हैं. ये आंखों, नाक और गले में जलन पैदा कर सकते हैं, सिरदर्द दे सकते हैं, अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं और यहां तक कि लिवर, किडनी और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को भी लॉन्ग टर्म में नुकसान पहुंचा सकते हैं.
एयर फ्रेशनर में बेंजीन और फॉर्मेल्डिहाइड केमिकल भी होते है जो काफी चिंता वाली बात है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बेंजीन को कार्सिनोजेन की श्रेणी में डाला है जिसका अर्थ है कि लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से कैंसर हो सकता है.
फॉर्मेल्डिहाइड भी अस्थमा और एलर्जी के बढ़ते रिस्क से जुड़ा है. ये दोनों रसायन घर के अंदर वायु प्रदूषण में भी योगदान दे सकते हैं जिससे वहां रहने वालों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है.
वहीं, फथलेट्स रसायनों का एक समूह है जिसका उपयोग प्लास्टिक को नरम बनाने और उसका लचीलापन बढ़ाने के लिए किया जाता है. ये अक्सर सुगंधित एयर फ्रेशनर में पाए जाते हैं ताकि खुशबू लंबे समय तक बनी रहे. हालांकि, फथलेट्स हार्मोनल डिस्टर्बेंस, प्रजनन समस्याओं को बढ़ा सकते हैं और बच्चों की ग्रोथ में दिक्कत पैदा कर सकते हैं.
सांस की बीमारी को बना सकते हैं भयावह
अस्थमा जैसी सांस की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए एयर फ्रेशनर का इस्तेमाल विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है. शोध बताते हैं कि इन उत्पादों से निकलने वाले VOC के संपर्क में आने से अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं और सांस संबंधी परेशानी का खतरा बढ़ सकता है.
एयर फ्रेशनर को लोग घरों में वातावरण को खुशबूदार बनाने के लिए लाते हैं लेकिन ये कई बार उन्हें सिरदर्द और चक्कर आने की समस्या भी दे सकता है. कई रिपोर्ट्स में पता चला है कि एयर फ्रेशनर में पाए जाने वाले कुछ प्रकार के रसायन माइग्रेन और चक्कर आने जैसी समस्याओं को बढ़ा सकते हैं. इसलिए अगर किसी व्यक्ति को पहले से ही सांस संबंधी दिक्कत है या फिर उसे किसी प्रकार की एलर्जी है तो उन्हें इन एयर फ्रेशनर्स से दूर रहना चाहिए.
ऐसे रखें अपनी सेहत का ख्याल
एयर फ्रेशनर के हानिकारक प्रभावों के बारे में बढ़ती जागरूकता की वजह से कई लोग अपने घर के अंदर की हवा को स्वच्छ और ताजा रखने के लिए सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं. वो कई तरह के तेल, मोमबत्तियां और घर में बने एयर फ्रेशनर स्प्रे जैसे नैचुरल प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये बाजार के एयर फ्रेशनर में पाए जाने केमिकल के बिना आपके घर को महका सकते हैं.
इन तरीकों से भी फ्रेश रहेगा आपका घर
अगर आप एयर फ्रेशनर का बिलकुल यूज नहीं करना चाहते हैं और घर के अंदर की हवा की अच्छा बनाना चाहते हैं तो आप कई और तरीके भी आजमा सकते हैं. जैसे वेंटिलेशन के लिए खिड़कियां खोलना, एयर प्यूरीफायर का उपयोग करना और नियमित रूप से घर की सफाई करना और धूल हटाना. ये तरीके भी घर के अंदर के वायु प्रदूषण को कम करने में काफी मददगार हो सकते हैं.