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फैक्ट चेक: थाईलैंड के "सेंचुरी ऑफ ट्रुथ" को सोशल मीडिया पर बताया जा रहा वाराणसी का मंदिर

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर काफी शेयर की जा रही है जिसमें अलग-अलग तरह की मूर्तियों से बना एक ढांचा नजर आ रहा है. इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि ये अद्भुत ढांचा वाराणसी के काशीराज काली मंदिर में स्थित है. साथ ही, ये भी कहा जा रहा है कि इतिहासकारों ने सनातन धर्म से जुड़ी इस कला को किताबों से मिटा दिया है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
तस्वीर में दिख रहा ये अद्भुत ढांचा वाराणसी के काशीराज काली मंदिर में स्थित है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये ढांचा वाराणसी में नहीं बल्कि थाईलैंड के "सेंचुरी ऑफ ट्रुथ" नाम के एक धार्मिक स्थल में मौजूद है.

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर काफी शेयर की जा रही है जिसमें अलग-अलग तरह की मूर्तियों से बना एक ढांचा नजर आ रहा है. इस तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि ये अद्भुत ढांचा वाराणसी के काशीराज काली मंदिर में स्थित है. साथ ही, ये भी कहा जा रहा है कि इतिहासकारों ने सनातन धर्म से जुड़ी इस कला को किताबों से मिटा दिया है.

 

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. ये मूर्तियां वाराणसी में नहीं बल्कि थाईलैंड के "सेंचुरी ऑफ ट्रुथ" नाम के एक धार्मिक स्थल में मौजूद हैं.

इस तस्वीर को फेसबुक पर पोस्ट करते हुए यूजर्स कैप्शन में लिख रहे हैं, "क्या ये लकड़ी है??,,,काठ से बना है??? नहीं,,ये पत्थर है,,, असली आश्चर्य ताजमहल नहीं है अचरज मत करिए,,ये तो सनातन स्थापत्य विज्ञान का छोटा सा नमूना है,,, जो मिटा दिया है आपकी किताबों से इतिहासकारों ने,,काशीराज_काली_मंदिर_बनारस". इसी कैप्शन के साथ ये पोस्ट ट्विटर पर भी शेयर की जा रही है. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

तस्वीर को "TinEye" पर रिवर्स सर्च करने पर हमें ये तस्वीर कुछ स्टॉक इमेज वेबसाइट जैसे Getty Images, Adobe Stock, iStock और Lori पर मिली. यहां दी गई जानकारी के मुताबिक, ये तस्वीर लकड़ी से बनी देवी-देवताओं की प्रतिमा की है जो थाईलैंड के पटाया में स्थित "सेंचुरी ऑफ ट्रुथ" में स्थापित है. 

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इंटरनेट पर इस जगह के बारे में जानकारी उपलब्ध है. "सेंचुरी ऑफ ट्रुथ" पटाया की प्रतिष्ठित संरचना है जो पूरी तरह से लकड़ी से बना हुआ है. दैनिक भास्कर की एक खबर के अनुसार, सेंचुरी ऑफ ट्रुथ का निर्माण 1981 से चल रहा है. इसे एक धार्मिक स्थल भी कहा जा सकता है क्योंकि ये खासतौर पर बौद्ध और हिंदू परंपराओं की मूर्तियों से बना हुआ है. इसे लोगों को संस्कृति और प्राचीन कलाओं से जोड़ने के लिए बनाया गया है. 105 मीटर ऊंचे इस ढांचे का निर्माण एक थाई व्यवसायी करवा रहे हैं. यहां वायरल तस्वीर में दिख रही प्रतिमा जैसी कई मूर्तियां नक्काशी के जरिए उकेरी गई हैं.

यूट्यूब पर इस अद्भुत स्थल के कई वीडियो भी देखे जा सकते हैं जिसमें वायरल तस्वीर वाला हिस्सा भी नजर आता है.

अगर बात करें वाराणसी के काशीराज काली मंदिर की, तो ये भी एक भव्य मंदिर है. काशीकथा नाम की एक वेबसाइट में बताया गया है कि काली माता का ये मंदिर पूरी तरह से पत्थर से बना है और इसमें कारीगरी की नायाब संरचना मौजूद है. मंदिर का निर्माण काशी नरेश नरनारायण की पत्नी द्वारा 1943 में हुआ था और इसके प्रत्येक खंभे को बनाने में छह महीने का वक्त लगा था. मंदिर देखने में काफी आकर्षक और सुंदर बताया जाता है. इस मंदिर की कुछ तस्वीरें यहां देखी जा सकती हैं.

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