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फैक्ट चेक: वीर सावरकर पर बनी शॉर्ट फिल्म को सोशल मीडिया पर बताया जा रहा उनका दुर्लभ वीडियो

इंडिया टुडे ने जांच में पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. यह वीर सावरकर का असली वीडियो नहीं है. इसे सावरकर पर बनाई गई एक शॉर्ट फिल्म से लिया गया है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
वीर सावरकर के इस दुर्लभ वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे उन्हें अंडमान की सेल्यूलर जेल में सजा के दौरान उत्पीड़ना झेलनी पड़ी.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
यह वीर सावरकर का असली वीडियो नहीं है. इसे सावरकर पर बनाई गई एक शॉर्ट फिल्म से लिया गया है.

क्रांतिकारी वीर सावरकर को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. वीडियो में बताया जा रहा है कि कैसे सावरकर को अंडमान की सेल्यूलर जेल में सजा के दौरान अंग्रेजों के जुल्म सहने पड़े थे. इस ब्लैक एंड वाइट वीडियो में एक कैदी को जेल में संघर्ष करते देखा जा सकता है. दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो सावरकर का एक दुर्लभ फुटेज है जिसे एक ब्रिटिश पत्रकार ने पोस्ट किया है.


 


'भारत' नाम के एक वेरीफाइड ट्विटर यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, "एक ब्रिटिश पत्रकार ने अंडमान की सेल्युलर जेल में कालापानी की सजा काट रहे महान देशभक्त वीर सावरकर का दुर्लभ वीडियो फुटेज पोस्ट किया है। जो उस समय के जीवन को दिखाता है, आप एक बार यह दुर्लभ फुटेज देखने के बाद पता चलेगा वीर सावरकर जी वीर नही, महावीर परमवीर थे ".

इसी कैप्शन के साथ वीडियो फेसबुक पर भी वायरल हो रहा है. वायरल ट्वीट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है.

क्या है सच्चाई?

इंडिया टुडे ने जांच में पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. यह वीर सावरकर का असली वीडियो नहीं है. इसे सावरकर पर बनाई गई एक शॉर्ट फिल्म से लिया गया है.

कुछ कीवर्ड की मदद से खोजने पर हमें यूट्यूब पर यह शॉर्ट फिल्म मिली. इसे अगस्त 2014 में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर शेयर किया गया था. फिल्म का टाइटल है "लाइफ ऑफ श्री विनायक दामोदर सावरकर". इस शॉर्ट फिल्म में वायरल वीडियो के अंश 25.05 मिनट से 28.42 मिनट के बीच देखे जा सकते हैं. यह शॉर्ट फिल्म "इंटरनेट आर्काइव" की वेबसाइट पर भी देखी जा सकती है.

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फिल्म का क्रेडिट "फिल्म डिवीजन ऑफ इंडिया" को दिया गया है. फिल्म डिवीजन की वेबसाइट से पता चलता है कि 1983 में आई इस शॉर्ट फिल्म को अवॉर्ड विनिंग डायरेक्टर प्रेम वैद्य ने निर्देशित था.

वीर सावरकर को ब्रिटिश अफसरों की हत्या में शामिल होने के चलते काला पानी की सजा हुई थी. उन्होंने 1911 से 1921 तक अंडमान की सेल्यूलर जेल में सजा काटी थी. पोर्ट ब्लेयर स्थित सेल्यूलर जेल को अंग्रेजों ने बनवाया था. यह जेल कैदियों के साथ होने वाले अमानवीय व्यवहार और अत्याचार के लिए जानी जाती थी. वीर सावरकर सहित और भी कई क्रांतिकारियों ने इस जेल में अंग्रेजों की यातनाएं झेली थीं.

यहां हमारी तफ्तीश में साफ हो जाता है कि वीर सावरकर पर बनी एक शॉर्ट फिल्म को उनका दुर्लभ वीडियो बता कर शेयर किया जा रहा है. यह वीडियो गलत दावे के साथ पहले भी वायरल हो चुका है और इस पर खबरें भी हुई हैं.

 

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