
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम पूछताछ कर रही है. बुधवार को दोपहर सवा एक बजे ईडी की टीम रांची स्थित उनके आवास पहुंच गई थी.
सीएम सोरेन रांची के कथित जमीन घोटाले में घिरे हुए हैं. ईडी इस घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है. इस मामले में ईडी ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें मुख्यमंत्री सोरेन का करीबी माना जाता है.
ईडी अब तक सोरेन को 10 समन जारी कर चुकी. इस मामले में उनसे कुछ दिन पहले भी कई घंटों तक पूछताछ हुई थी. सोमवार को ईडी की टीम दिल्ली स्थित उनके आवास पर भी पहुंचे थी, लेकिन वो वहां नहीं मिले थे.
ईडी की जांच में घिर चुके हेमंत सोरेन को लेकर अब दो तरह की आशंकाएं हैं. पहला ये कि उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है और दूसरा कि वो मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं.
इन मामलों में गिरफ्तारी से नहीं है छूट
संविधान के अनुच्छेद 361 में राष्ट्रपति और राज्यपाल को गिरफ्तारी से छूट मिली है. ये छूट सिविल और क्रिमिनल, दोनों ही मामलों में है.
यानी राष्ट्रपति और राज्यपाल को पद पर रहते हुए न तो गिरफ्तार किया जा सकता है, न ही हिरासत में लिया जा सकता है. कोई अदालत में भी उनके खिलाफ कोई आदेश जारी नहीं कर सकती. हालांकि, पद से हटने के बाद उन्हें गिरफ्तार या हिरासत में लिया जा सकता है.
वहीं, कानून में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य, विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों को सिविल मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से छूट मिली है. क्रिमिनल मामलों में नहीं.
हालांकि, अगर मुख्यमंत्री या विधानसभा के किसी सदस्य को गिरफ्तार या हिरासत में लेना है, तो सदन के अध्यक्ष से मंजूरी लेना जरूरी है. इसके अलावा सत्र से 40 दिन पहले, उस दौरान और उसके 40 दिन बाद तक ना तो किसी सदस्य को गिरफ्तार किया जा सकता है और ना ही हिरासत में लिया जा सकता है.

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तो क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता?
लालू यादव को जब 1997 में गिरफ्तार किया गया था, तब उन्होंन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. दरअसल, मार्च 1996 में पटना हाईकोर्ट ने चारा घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. जून 1997 में सीबीआई ने मामले में पहली चार्जशीट दाखिल की. इसमें लालू यादव का नाम भी था. चार्जशीट में नाम सामने आने के बाद लालू यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थीं.
संविधान में मुख्यमंत्री को सिर्फ सिविल मामलों में गिरफ्तारी से छूट मिली है, लेकिन क्रिमिनल मामलों में उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है.

जयललिता तो हुई थीं गिरफ्तार
तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता को साल 2014 में बेंगलुरु की एक कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराया था. जयललिता 2011 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी थीं. और जब तक इस मामले की जांच चल रही थी, तब तक वो पद पर थीं. दोषी ठहराए जाने के बाद ही उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दिया था.
कुल मिलाकर साफ है कि अगर किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया भी जाता है, तो भी वो इस्तीफा देने के लिए कानूनन बाध्य नहीं है. मुख्यमंत्री तभी अपने पद से इस्तीफा दे सकता है, जब उसे किसी क्रिमिनल मामले में दोषी ठहराया जाए.
दरअसल, 1951 के जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8 के तहत, अगर किसी विधायक या सांसद को किसी मामले में दो साल या उससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है, तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाती है. साथ ही उसके चुनाव लड़ने पर भी 6 साल तक की रोक लगती है.
बेंगलुरु की कोर्ट ने जयललिता को चार साल की सजा सुनाई थी. साथ ही 1 अरब रुपये का जुर्माना भी लगाया था. बाद में कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया था. लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया था.