दिल्ली-एनसीआर में अब प्रूदषण का स्तर धीरे-धीरे सुधरने लगा है. लगातार तीन दिन से हवा में सुधार हो रहा है. हालांकि, अब भी ये 'बेहद खराब' श्रेणी में है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, रविवार को दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI का स्तर 339 पर था. इससे पहले शनिवार (5 नवंबर) को ये 381 के स्तर पर था. वहीं, 4 नवंबर को 447 और 3 नवंबर को 450 के स्तर पर पहुंच गया था.
हवा में सुधार आते ही कई पाबंदियां भी हटा दी गईं हैं. रविवार शाम को कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) की चौथे चरण की पाबंदियों को हटा दिया. इसके बाद अब दिल्ली में फिर से डीजल वाली गाड़ियां चल सकेंगी और ट्रकों की एंट्री भी हो सकेगी. चौथे चरण की ये पाबंदियां 3 नवंबर को लागू की गई थीं और तीन दिन बाद ही इन्हें हटा भी दिया गया.
वहीं, केजरीवाल सरकार ने भी प्राइमरी स्कूल को फिर से खोलने का फैसला लिया है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि GRAP के चौथे चरण की पाबंदियां हटा ली गईं हैं. ट्रकों की एंट्री और छोटे माल वाहकों पर भी प्रतिबंध नहीं होगा. वर्क फ्रॉम होम का फैसला भी वापस ले लिया गया है और बुधवार से प्राइमरी स्कूल भी खुल सकेंगे. हालांकि, कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी पर अभी भी बैन रहेगा.
पर ऐसा क्या हुआ कि दिल्ली की हवा तीन दिन में ही सुधर गई. तीन दिन पहले तक दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 'बेहद गंभीर' श्रेणी में था, जिसमें थोड़ा सुधार होकर 'बेहद खराब' की श्रेणी में आ गया है. माना जा रहा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो राजधानी की हवा में आने वाले दिनों में और सुधार हो सकता है.
कैसे सुधरी दिल्ली की हवा?
इसकी दो बड़ी वजह है. पहली तो ये कि हवा की गति अनुकूल रहना और दूसरी प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी में कमी आना.
केंद्र सरकार की एजेंसी SAFAR के रविवार के बुलेटिन के मुताबिक, पराली जलाने वाले इलाकों से हवा के बहाव में बदलाव में होने से दिल्ली की हवा में सुधार हुआ है.
SAFAR के मुताबिक, दिल्ली के प्रदूषण में पराली की हिस्सेदारी भी कम हुई है. शनिवार को दिल्ली में PM2.5 में पराली की हिस्सेदारी 21% थी, जो रविवार को घटकर 18% पर आ गई.
इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (IARI) का डेटा बताता है कि शनिवार को पंजाब में पराली जलाने के 2,817 मामले सामने आए थे, जबकि रविवार को 599 मामले सामने आए.
हालांकि, आंकड़े ये भी बताते हैं कि 15 सितंबर से 4 नवंबर के बीच पंजाब में पराली जलाने के 26,583 मामले सामने आए हैं, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 13% ज्यादा है. वहीं, इस दौरान हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है.
पाबंदियां हटाना भारी न पड़ जाए?
हवा की क्वालिटी में थोड़ा सुधार आते ही कई सारे प्रतिबंध हटा लिए गए हैं. इस पर एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार ने प्रतिबंध हटाने में जल्दबाजी की और इससे आने वाले समय में एयर क्वालिटी फिर से 'गंभीर' श्रेणी में जा सकती है.
एन्वायर्मेंटलिस्ट विमलेंदु झा ने न्यूज एजेंसी से कहना है कि ये घुटने के बल चलने जैसा है और इससे बचना चाहिए. सरकार को स्थिति का जायजा लेना चाहिए और प्रतिबंधों को हटाने से पहले कुछ समय देना चाहिए, क्योंकि ये स्थिति लंबे समय तक रहेगी.
अभी किस पर पाबंदी, किस में छूट?
CAQM के मुताबिक, GRAP को चार कैटेगरी में लागू किया जाता है. हर कैटेगरी में अलग-अलग प्रतिबंध होते हैं. अगर AQI का स्तर 201 से 300 के बीच है तो स्टेज-1 लागू होती है. 301 से 400 के बीच होने पर स्टेज-2 और 401 से 450 के बीच होने पर स्टेज-3 लागू होती है. जबकि, AQI का स्तर 450 के ऊपर होने पर स्टेज-4 लागू कर दी जाती है.
3 नवंबर को CAQM ने GRAP के चौथे चरण की पाबंदियां लागू कर दी थीं. इसे अब हटा दिया गया है. इसके साथ ही दिल्ली में फिर से ट्रकों की एंट्री हो सकेगी. डीजल पर चलने वाली कारों पर भी रोक नहीं होगी. वर्क फ्रॉम होम भी बंद कर दिया गया है. साथ ही प्राइमरी तक के स्कूल 9 नवंबर से फिर से खुल जाएंगे.
हालांकि, अब भी कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन एक्टिविटी पर रोक रहेगी. जरूरी सेवाओं को छोड़कर बाकी संस्थानों पर डीजल पर चलने वाले जनरेटर पर पाबंदी रहेगी. होटल-रेस्टोरेंट के तंदूर में कोयले और लकड़ी जलाने पर रोक रहेगी.