गुजरे दौर की जब क्लासिक फिल्मों का नाम लिया जाता है तो नसीरुद्दीन शाह की फिल्म जाने भी दो यारों को कोई कैसे भूल सकता है. ये फिल्म 12 अगस्त 1983 रिलीज हुई. कुंदन शाह इस फिल्म के डायरेक्टर हैं. इस क्लासिक कॉमेडी फिल्म को रिलीज हुए 37 साल हो गए हैं, लेकिन फिल्म की कहानी आज भी मौजूं नजर आती है. फिल्म इंडियन डेमोक्रेसी में मौजूद करप्शन पर तंज कसती है. कुंदन शाह ने शानदार डार्क स्टायर मूवी तैयार की.
फिल्म की कहानी दो फोटोग्राफर्स (नसीरुद्दीन शाह, रवि वासवानी) के इर्द-गिर्द घूमती है. जो अनजाने में एक मर्डर को अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं. नसीरुद्दीन शाह, रवि वासवानी मुंबई में एक फोटो स्टूडियो खोलते हैं लेकिन वो चलता नहीं है. इसके बाद वे दोनों संपादक शोभा सेन (भक्ति बर्वे) के साथ मिलकर एक बेईमान बिल्डर तरनेजा (पंकज कपूर), और भ्रष्ट नगर निगम आयुक्त डी मेलो (सतीश शाह) के बीच चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश में लग जाते हैं. फिल्म की कहानी को काफी खूबसूरती के साथ परोसा गया है.
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फिल्म को ऑडियंस ने काफी सराहा. फिल्म को साल 2012 में पूरे देश में री-रिलीज किया गया. डायरेक्टर कुंदन शाह को 1984 में इस फिल्म के लिए इंदिरा गांधी अवॉर्ड से सम्मानित गया. एक्टर रवि वासवानी को इस फिल्म के लिए बेस्ट कॉमेडियन फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था.
क्या थी फिल्म की कास्ट
फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, रवि वासवानी ओम पुरी, सतीश शाह, सतीश कौशिक, पंकज कपूर, नीना गुप्ता जैसे कलाकार हैं. इस फिल्म ने कई स्ट्रलिंग कलाकारों को पहचान दी. आज ये सभी स्टार्स बड़ा नाम बन गए हैं. फिल्म को नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NFDC) ने प्रोड्यूस किया था.