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फिर याद आईं दिव्या भारती...

'सात समुन्दर पार मैं तेरे पीछे पीछे आ गई'. 20 साल से भी ज्यादा हो गए, लेकिन यह गाना आज भी आप शादियों से लेकर डिस्को में सुनते हैं. कोई सोच भी नहीं सकता कि ऐसा म्यूजिक आज का नहीं बल्कि 1992 का है.

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दिव्या भारती
दिव्या भारती

'सात समुन्दर पार मैं तेरे पीछे-पीछे आ गई'. 20 साल से भी ज्यादा हो गए, लेकिन यह गाना आज भी आप शादियों से लेकर डिस्को में सुनते हैं. कोई सोच भी नहीं सकता कि ऐसा म्यूजिक आज का नहीं बल्कि 1992 का है. यही वो समय था जब दिव्या भारती लाइमलाइट में आईं. एक लड़की जिसने महज 19 साल की जिंदगी जी, लेकिन उसके नाम आधे दर्जन से ज्यादा साउथ इंडियन फिल्में और एक दर्जन से ज्यादा हिंदी फिल्में रहीं. 90 के दशक की सबसे पॉपुलर उभरती एक्ट्रेस थीं दिव्या.

1990 में तेलुगू फिल्म से अपना करियर शुरू करने वाली दिव्या ने 1992 में सनी देओल के अपोजिट फिल्म 'विश्वात्मा' से हिंदी फिल्मों में एंट्री की थी. 'सात समुन्दर पार' ने उन्हें रातों रात स्टार बना दिया. ताज्जुब की बात यह है कि दिव्या ने बॉलीवुड में सिर्फ 1992 से 1993 का समय बिताया और उसी में करीब 14 से ज्यादा फिल्में कर डालीं. किसी भी नए कलाकार के लिए आज भी यह एक रिकॉर्ड है. 'शोला और शबनम' से लेकर 'दिल का क्या कसूर', 'जान से प्यारा', 'गीत', 'दुश्मन जमाना', 'बलवान', 'दिल आशना है' और 'क्षत्रिय' उनकी कुछ पॉपुलर फिल्में रहीं. 'दीवाना' एक ऐसी फिल्म थी जिसके लिए शाहरुख और दिव्या दोनों को ही बेस्ट न्यूकमर का अवॉर्ड दिया गया.

कहते हैं न कि जिंदगी लंबी नहीं बल्कि बड़ी होनी चाहिए. कुछ ऐसा ही जादू था दिव्या का. 'सात समुन्दर पार' के अलावा दिव्या भारती 'तू पागल प्रेमी आवारा' (शोला और शबनम), 'तेरी उम्मीद तेरा इंतजार' (दीवाना) और 'तेरा नाम रख दिया' (दीवाना) जैसे गानों का हिस्सा रहीं. कविता कृष्णमूर्ति से लेकर अलका याज्ञनिक तक और साधना सरगम से लेकर लता मंगेशकर तक तमाम बड़ी आवाजों को चेहरा दिया दिव्या ने. दुनिया से विदा हुए आज उन्हें 22 साल बीत गए, लेकिन उनके गानों को टकटकी लगाकर देखते लड़के और उनके डांस स्टेप्स कॉपी करती लडकियां आज भी आपको मिल जाएंगी.

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