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चलो, अमीषा को कम से कम कैमरा तो दिखा

कहते हैं कि बेरोजगारी के आलम में जीने वालों के पास सोचने के लिए कुछ बाकी नहीं रहता. यह भी कहा जाता है कि उनके पास सोचने के अलावा कुछ और बाकी नहीं रहता.

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अमीषा पटेल
अमीषा पटेल

कहते हैं कि बेरोजगारी के आलम में जीने वालों के पास सोचने के लिए कुछ बाकी नहीं रहता. यह भी कहा जाता है कि उनके पास सोचने के अलावा कुछ और बाकी नहीं रहता.

मान सकते हैं कि बहुत सोच समझकर अमीषा पटेल ने फिल्में बनाने के मैदान में आने का फैसला किया होगा.

जाहिर है कि जब उनकी कंपनी में फिल्में बनेंगी तो हीरोइन तो वही रहने वाली हैं. उन्होंने अपनी कंपनी की लांचिंग के मौके पर मीडिया की भीड़ तो जुटा ली पर किसी को यह नहीं बताया कि वे कब तक फिल्म बनाएंगी.

हर सवाल का बस एक ही जवाब सामने आयाः 'सब प्लानिंग हो रही है.' मौके पर मौजूद मेहमानों को इतने भर से सब्र नहीं होता.

किसी ने कयास लगाया कि क्या विक्रम भट्ट को डायरेक्टर बनने की दावत देंगी? क्या भैया अश्मित पटेल को लेकर भी फिल्म बनाएंगी? सारे सवालों के जवाब बस प्लानिंग के जुमले में सिमट गए.

कंपनी के बंदों की मानें तो सब कुछ अभी हवाबाजी में है. न डायरेक्टर का पता है, न हीरो का. किसी ने चुटकी लीः चलो अमीषा को इसी बहाने मीडिया के कैमरे देखने का मौका तो मिला.

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