
पिछले साल आई कमल हासन की फिल्म 'विक्रम' में तमिल सुपरस्टार सूर्या का बस एक छोटा सा कैमियो था. रोलेक्स भाई के रोल में कुछ मिनटों के लिए स्क्रीन पर आए सूर्या को देखकर लोगों के मुंह खुले रह गए थे. मगर जब उनकी अगली फिल्म Suriya 42 से उनका मोशन पोस्टर आया, तो सिनेमा फैन्स के होश ही उड़ गए.
पहाड़ी पर खड़े हीरो के कंधे पर धनुष-बाण और तलवार दोनों. हाथों में दुश्मनों का खून पीने को तैयार कुल्हाड़ी और साथ में एक बाज. भयानक युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार खड़े योद्धा के रोल में सूर्या का चेहरा नहीं नजर आ रहा था, क्योंकि वो पहाड़ी से नीचे की तरफ चल रहे युद्ध को देख रहे थे.

Suriya 42 को अब टाइटल मिल गया है. रविवार को मेकर्स ने एक और जानदार वीडियो के साथ अनाउंस कर दिया कि फिल्म का नाम 'कंगुवा' है. इस अनाउंसमेंट के साथ बताया गया है कि 'कंगुवा' एक ऐसा आदमी है जिसके पास आग की शक्ति है. ये फिल्म इसी हीरो की वीरता की गाथा है. अब सवाल उठता है कि ये आदमी कौन था जिसकी वीरता को फिल्म इतने बड़े पैमाने पर ग्लोरिफाई कर रही है? इसका जवाब तमिल साहित्य में है. और ये जवाब सुनने के बाद आप भी कहेंगे कि उसके लिए ये नाम एकदम सही है.
महानतम साम्राज्यों से लोहा लेने वाला एक अकेला राजा!
'कंगुवा' की कहानी एस. वेंकटेशन की किताब 'वेल परी' पर बेस्ड है. सूर्या ने एक इवेंट पर कहा था कि वो वेंकटेशन के साथ कुछ बड़ा लेकर आ रहे हैं. मणिरत्नम की फिल्म 'पोन्नियिन सेल्वन' में लोगों ने चोल साम्राज्य की कहानी स्क्रीन पर देखी. अब 'कंगुवा' में एक बार फिर से एक ऐसे राजा की कहानी स्क्रीन पर उतरने वाली है, जिसे बहुत लोग नहीं जानते होंगे.
भारत का इतिहास कई गौरवशाली, विशाल साम्राज्यों से भरा रहा है. इनमें से दक्षिण भारत के 3 साम्राज्य ऐतिहासिक रूप से सबसे मजबूत माने जाते हैं- चोल, चेर और पंड्या. आज के तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के दक्षिणी हिस्सों को मिलाकर प्राचीन तमिल लोगों का क्षेत्र बनता है, जिसे तमिलकम कहा जाता था. तमिलकम के अधिकतर इलाके पर चोल, चेर या पंड्या में से एक का राज होता था. मगर इन्हीं के बीच परम्बु नाडु और उसके आसपास के इलाके पर एक छोटे राजवंश, वेलीर का राज था.
तीनों बड़े साम्राज्यों से अच्छे रिश्ते की वजह से वेलीर राजा एक तरह से अपना स्वतंत्र राज्य चलाते थे. लेकिन जब चोल, चेर और पंड्या राजाओं में अपना साम्राज्य बढ़ाने की रेस छिड़ी तो इन आजाद वेलीर राजाओं पर भी हमले होने लगे. कुछ को मार दिया गया और कुछ का राज्य कब्जा लिया गया. लेकिन जब बात पहाड़ी राज्य, परम्बु पर पहुंची तो वहां के राजा ने संधि-समझौता करके किसी के अधीन होने की बजाय, लड़ने का रास्ता चुना. इनका नाम था वेल पारी, जो करीब 300 खुशहाल गावों के सामंत थे.
प्राचीन तमिल साहित्य का एक काव्य ग्रन्थ है 'पुराणानूरू'. इसमें तमिल राजाओं, युद्धों और आम जनजीवन से जुड़े करीब 400 वीरतापूर्ण गीत हैं जिन्हें 157 कवियों ने लिखा है. इसमें चोल, चेर, पंड्या साम्राज्यों के राजाओं के अलावा 48 छोटे राजाओं का भी जिक्र है. इसमें वेल पारी भी शामिल हैं. प्राचीन तमिल साहित्य के सबसे बेहतरीन कवि कहे जाने वाले कपिलार, वेल पारी के मित्र थे. उन्होंने पुराणानुरू में वेल पारी की गाथा डिटेल में लिखी है. उनके गीत बताते हैं कि वेल पारी का राज्य बहुत खूबसूरत और हरा-भरा था. उस पहाड़ी राज्य से झरने गिरा करते थे और नीले रंग के खूबसूरत फूल हमेशा खिले रहते थे. इस पहाड़ पर लोगों के चढ़ने उतरने के लिए बांस की सीढ़ियां लटकाई गई थीं.
दया और वीरता का संगम- वेल पारी
वेल पारी को तमिल इतिहास के 'सात महानतम संरक्षकों' में से एक कहा जाता है. उन्हें प्रकृति और कला से बहुत प्रेम था. कपिलार खुद पंड्या साम्राज्य से आते थे, लेकिन पारी के स्वभाव से वो इतने प्रभावित हुए कि उनके दरबार में मुख्य कवि बन गए और परम्बु में ही रहने लगे. कपिलार ने वेल पारी से जुड़े एक किस्से का जिक्र 'पुराणानुरू' में किया है.
एक बार कहीं जाते हुए पारी की नजर खूबसूरत फूलों वाली एक बेल पर पड़ी. किसी चीज का सहारा न मिलने से ये बेल बढ़ नहीं पा रही थी. पारी ने अपना रथ उस बेल के पास छोड़ दिया ताकि उसके सहारे से वो बढ़ सके. लेकिन जब इन्हीं पारी का राज्य घिर गया तो दूत बन कर गए कबिलार ने, लड़ने आए राजाओं के सामने अपने मित्र के बारे में बताते हुए कहा- 'हर एक पेड़ से तुम्हारे हाथी बंधे हैं, तुम्हारे रथ पूरे मैदान पर फैले हुए हैं, लेकिन तुम लड़कर उससे नहीं जीत सकते. वो तलवार के आगे नहीं झुकेगा.' ऐसा ही हुआ भी... वेल पारी ने कई साल तीनों बड़े साम्राज्य के राजाओं से अकेले लोहा लिया और युद्ध जारी रखा.
'कंगुवा' यानी सूर्या की 42वीं फिल्म का जो फर्स्ट लुक आया था, उसमें दिख रहा भयानक युद्ध शायद पारी का वही युद्ध है. तमिल इतिहास और साहित्य में वेल पारी का जो डिस्क्रिप्शन दिया गया है, उसके हिसाब से आर्टिस्ट्स ने उनके कई चित्र बनाए हैं. सूर्या का लुक बिल्कुल ऐसा ही है, आग जैसी शक्ति रखने वाले योद्धा का. पारी की कहानी जितनी अद्भुत और वीरता से भरी है, उसे सूर्या स्क्रीन पर कितना जी पाते हैं, ये तो अब फिल्म आने पर ही पता चलेगा.
'कंगुवा' में क्या-कुछ है खास
सूर्या की फिल्म का टाइटल रिवील करने के साथ बताया गया है कि इसे 2024 की शुरुआत में रिलीज किया जाएगा. माना जा रहा है कि फिल्म पोंगल के मौके पर आएगी. डायरेक्टर शिव की फिल्म 'कंगुवा' को हिंदी, मलयालम, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ समेत 10 भारतीय भाषाओं में रिलीज किया जाने वाला है.
फिल्म से जुड़े एक इवेंट पर इसके प्रोड्यूसर ने कहा था कि इसका बजट सूर्या के करियर की सबसे महंगी फिल्म से भी तीन गुना ज्यादा है. फिल्म को 3डी में शूट किया जा रहा है. सूर्या के साथ 'कंगुवा' में दिशा पाटनी और योगी बाबू भी होंगे.