scorecardresearch
 

Aashram 3 Review: भटकाव से भरी है आश्रम-3 की कहानी, असर छोड़ने में पूरी तरह असफल

Aashram 3 Review: आश्रम बेव सीरीज का पहला और दूसरा सीजन जितना रोचक था, वह तीसरे सीजन तक आते-आते फुस्स हो गया. कहानी का केंद्र खिसक गया है, पटकथा भटकी हुई सी नजर आती है. 'आश्रम' का कॉन्सेप्ट कहीं गुम हो गया है. पिछले सीजंस की तरह इस बार कोई ऐसा डायलॉग नहीं है, जो याद रह जाए. पहले सीजन ने ही दर्शकों को कभी न भूलने वाला एक शब्द दे दिया था, वो है 'जपनाम'. लेकिन इसके बाद ऐसा कोई भी शब्द नहीं गढ़ा गया, जो जपनाम की तरह आम बोलचाल में भी शामिल हो जाए.

Advertisement
X
Aashram 3 Review
Aashram 3 Review
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 10 एपिसोड्स में गढ़ी गई है कहानी
  • ईशा गुप्ता का किरदार दिलचस्प रहा

Aashram 3 Review: 'आश्रम के नाम पर लोगों के विश्वास से खेल सकते हैं, सच्चे बाबा जैसी बातें करना भी मत... सारी कलई खुल जाएगी' ये संवाद तो भोपा स्वामी (चंदन रॉय सान्याल) और बाबा निराला (बॉबी देओल) के बीच का है, लेकिन 'एक बदनाम: आश्रम 3' बेव सीरीज देखने के बाद पहला थॉट भी यही आता है, कि एंटरटेनमेंट के नाम पर सारी कलई खुल गई. क्योंकि इस आश्रम बेव सीरीज से जैसी उम्मीदें लगाई जा रही थीं, ये उसके आसपास भी नहीं फटकती. आश्रम के शुरुआती दो सीजन दर्शकों को बांधे रखते हैं, लेकिन तीसरे सीजन की कहानी भटकी हुई है. एक के बाद एक एपिसोड बीतते जाएंगे और आपकी दिलचस्पी कम होती जाएगी. हर एपिसोड बहुत लंबा होने के साथ ही नीरस भी है. हां... इस सीजन का एक ही बोनस प्वॉइंट है कि चौथे सीजन की झलकियां दिखाई गई हैं. इससे उम्मीद लगाई जा रही है कि नेक्स्ट पार्ट बेहतर हो सकता है.

क्या है 'एक बदनाम आश्रम-3' की कहानी?

बेव सीरीज की शुरुआत उसी बिंदु से होती है, जहां दूसरा सीजन खत्म हुआ था. पम्मी पहलवान (अदिति पोहनकर) बाबा निराला से भले ही बदला लेना चाहती है, लेकिन वह अपनी जान बचाने के लिए यहां-वहां भाग रही है. अपने एक साथी के साथ अनजान जगहों पर छिप रही है. वहीं पम्मी की खोज में बाबा निराला अपनी पूरी ताकत झोंक देता है. लेकिन ये सीन 2 एपिसोड तक खींचा गया है, जो कि बेहद बोरिंग और अरुचिकर हो गया है. कहानी बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ती है. पिछले सीजन की तरह ही इस बार भी 'बाबा निराला' भ्रष्टाचार, हनक, पैसे की ताकत और रुतबे के जोर पर हर ऐसे काम करता है, जो उसके निगेटिव किरदार को जस्टिफाई करते हैं. लेकिन स्लो मोशन में सरकती हुई कहानी आपकी उम्मीदों पर पानी फेरने के लिए काफी है. शुरुआत के 5 एपिसोड ठीक वैसे ही हैं, जैसे पुरानी दाल में बार-बार तड़का तो लगाया जा रहा है, लेकिन ताजा दाल नहीं परोसी जा रही. 

Advertisement

इसी बीच सोनिया (ईशा गुप्ता) का पदार्पण होता है, सोनिया सीएम हुकुम सिंह की लंदन बेस्ड फ्रेंड है, जो कि बाबा के साथ एक डील करती है. वह बाबा को एक सपना बेचती है, जिसमें बाबा निराला स्वर्ग भूमि बनाने की कल्पना करता है. सोनिया बाबा को भगवान होने का अहसास कराती है, इसके बाद निराला अपने स्वप्न लोग में स्वर्ग लोक की कल्पना करने लगता है. जहां वह ऐसी दुनिया बसा लेना चाहता है, जहां सब कुछ उसी के इशारे पर हो. इसी बीच साजिशों, राजनीति के दुरुपयोग और पुलिस से लेकर कहचरी का वांग्मय गढ़ा गया है. इस सीजन में ड्रग कारोबार का एंगल भी जोड़ा गया है.

Aashram 3 Review: भगवान बनने के चक्कर में बॉबी देओल का चार्म पड़ा फीका, बेहद स्लो है सीरीज की रफ्तार

भोपा स्वामी का खुराफाती दिमाग 

शुरुआत के कुछ एपिसोड्स में बॉबी देओल की स्क्रीन प्रेजेंस अपेक्षाकृत कम है, लेकिन ओवरऑल वह अपने किरदार को बखूबी निभाते हुए नजर आते हैं. वहीं इस बेव सीरीज की महत्वपूर्ण कड़ी है भोपा स्वामी. बाबा निराला के हर षड्यंत्र को किस तरह से अंजाम देना है ये भोपा स्वामी का खुराफाती दिमाग ही प्लान करता है. किससे क्या डील करनी है, तंत्र में कौन फिट है और कौन निराश कर रहा है, ये हर वक्त जपनाम कहने वाला भोपा स्वामी ही तय करता है. 

Advertisement

ईशा गुप्ता के जरिए ट्विस्ट लाने की कोशिश
 

ईशा गुप्ता इस सीजन में कुछ नयापन लेकर आई हैं. उन पर एक गाना भी फिल्माया गया है. वह अपने फायदे के लिए बाबा के साथ एक प्रोजेक्ट डील करती है, लेकिन जब उनके दोस्त हुकुम सिंह की सरकार पर बात आती है तो वह अपने दोस्त की तरफदारी करती है. वहीं मुख्यमंत्री हुकुम सिंह का किरदार कहीं-कहीं भटका हुआ लगता है. एक सीन में भीड़ के बीच जब सीएम कहीं खोया हुआ नजर आता है, तो ये दृश्य अपनी वास्तविकता भी खो देता है. 

राजनीतिक हथकंडों से भरपूर
 

पूर्व मुख्यमंत्री सुंदर लाल का किरदार भले ही छोटा हो लेकिन प्रभावी है, राजनीतिक गुणा-भाग से भरपूर और हर कदम अपने फायदे के लिए उठाने वाला सुंदरलाल जब बाबा निराला से कहता है कि 'क्या मैं आपको सीएम इन वेटिंग नजर आता हूं'? ये सीन आपको प्रभावित करता है और असल राजनीतिक घटनाओं के इर्द-गिर्द ले जाकर खड़ा कर देता है. कौन से पॉलिटिकल हथकंडे अपनाकर बाबा निराला का विरोध किया जाए, ये सुंदरलाल बखूबी करते हुए नजर आते हैं. टिंका सिंह का किरदार इस बार कमजोर रहा है. 

कैसा है पम्मी का किरदार

सीजन-1 और सीजन-2 की तरह इस बार रोचकता की कमी नजर आ रही है. कई मर्तबे महसूस हो जाएगा कि कहानी में मसाले की कमी रह गई है. नयेपन के अभाव के चलते लंबे-लंबे 10 एपिसोड देखना थोड़ी परेशानी भरा लग सकता है. पूरी कहानी में पम्मी पहलवान अपने दोस्त के साथ भटकती रहती है. अपनी बात पहुंचाने के लिए वह जितने हथकंडे अपनाती है, ये सब उबाऊ लगते हैं. 

Advertisement

बाबा निराला की पत्नी की एंट्री

मोंटी यानी बाबा निराला की पत्नी इसमें बाबा के काले करतूतों की कहानी सीएम हुकुम सिंह को सुनाती है, जिसमें वह ये बताती है कि मोंटी ने किस तरह एक साधारण मैकेनिक से भगवान निराला बनने का सफर तय किया है. इसमें भोपा स्वामी ने उसके गुनाहों में किस तरह से उसका साथ निभाया है.

कौन हैं कहानी के कर्ता-धर्ता?

एक बदनाम आश्रम-3 के निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा हैं. कहानी को हबीब फैसल, माधवी भट्ट, अविनाश कुमार और संजय मासूम ने लिखा है. हालांकि इस कड़ी में कई सीन ऐसे हैं जो बोझिल हैं. इस बार आश्रम का सेट बदला गया है. पिछली बार से अधिक भव्यता दिखाने की कोशिश की गई है.  

 

Advertisement
Advertisement