काजोल ने अपने करियर की शुरुआत 1992 में बेखुदी फिल्म से की थी. एक्ट्रेस तभी से सिर्फ काजोल कहलाना पसंद करती हैं, उन्होंने कभी अपने नाम के साथ मुखर्जी सरनेम नहीं लगाया. न ही अजय देवगन से शादी के बाद वो पति का सरनेम लगाने की होड़ में दिखीं. इसकी वजह बताते हुए एक्ट्रेस ने कहा कि मैं अपनी विरासत के भार को अपने कंधे पर नहीं ढोना चाहती थी.
क्यों सरनेम नहीं लगातीं काजोल?
काजोल के सिर्फ मां तनूजा मुखर्जी, पिता शोमू मुखर्जी न सिर्फ एक्टर-डायरेक्टर हैं बल्कि उनके ग्रैंड पैरेंट्स भी सेलेब्स रहे हैं. वो एक फिल्मी परिवार से आती है. न्यूज 18 से बातचीत में काजोल ने बताया कि, "ये एक सोच कर ली हुई चॉइस थी. जब मैं फिल्मों में आना चाहती थी, मेरी मां ने मुझसे उस वक्त पूछा था. उन्होंने मुझसे पूछा था कि आपके ग्रैंड पेरेंट्स की ओर से भी आपको ग्रेट विरासत मिली है. मुझे उस वक्त, और अभी भी, लगता है कि मुझे किसी की तरफदारी नहीं करनी.
"मैं अपने लिए सच्ची रहना चाहती थी और विरासत का कोई बोझ नहीं चाहती थी. तो इसलिए मैंने सोचा कि अगर मैं सिर्फ काजोल के नाम से जानी जाऊं, तो शायद इतना दबाव नहीं आएगा मुझ पर."
खुद को आलसी बताती हैं काजोल
आगे काजोल ने अपनी फिल्मोग्राफी पर भी बात की, उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री की सबसे कम काम करने वाली एक्ट्रेस हैं. खुद को आलसी बताते हुए काजोल बोलीं कि, ''मैं पूरी फिल्म इंडस्ट्री में सबसे कम काम करने वाली एक्ट्रेस हूं. पूरी फिल्म इंडस्ट्री में जो लोग हाल ही में आए हैं उन लोगों ने ज्यादा काम किया होगा, मुझसे ज्यादा. मुझे लगता है कि मेरी फिल्मोग्राफी लगभग 50-55 फिल्मों की है, बस इतना ही."
एक्ट्रेस ने आगे कहा कि, ''मैंने आलसी रहना चुना है. मैंने धीरे-धीरे जीवन जीना चुना है. मैंने काम करने के साथ-साथ अपने जीवन का मजा लेना चुना है. मुझे लगता है कि काम करना मेरे जीवन का हिस्सा होना चाहिए न कि मेरे जीवन से अलग. और हर तरह से मैंने जीवन में संतुलन बनाया हुआ है. मुझे मेरी कॉफी, आराम की सुबह पसंद है. मुझे अपना जिंदगी अच्छी लगती है."
वर्कफ्रंट की बात करें तो, काजोल की जल्द ही 'मां' और 'सरजमीन' फिल्म में दिखाई देंगी. एक्ट्रेस आखिरी बार दो पत्ती फिल्म में दिखी थीं.