भारतीय सिनेमा के दिग्गज लेखक जावेद अख्तर हमेशा से ही अपनी बेबाकी के लिए जाते हैं. जावेद अख्तर हर मुद्दे पर अपनी बात खुलकर रखते हैं. अब गीतकार ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमला और उसके बाद 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद बॉलीवुड हस्तियों की चुप्पी को लेकर बात की है. उन्होंने कहा- मैंने इस बारे में बात की, मैं चुप नहीं रहा. कभी-कभी लोगों को मेरी बात पसंद नहीं आती, कभी-कभी उन्हें पसंद आती है.
द लल्लटॉप को दिए इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने कहा - 'मैंने इसके बारे में बात की, मैं चुप नहीं रहा. कभी-कभी लोग मेरी बातों को पसंद नहीं करते हैं, कभी-कभी वे पसंद करते हैं. लेकिन मैं वही कहता हूं जो मुझे सच लगता है. अब कौन नहीं बोलता, मुझे कैसे पता? बहुत से लोग अराजनीतिक भी हैं.
हर किसी के लिए बोलना ज़रूरी नहीं- जावेद
जावेद अख्तर ने इंडस्ट्री में अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा- देखिए, जब मैं छोटा था, भले ही मैं एक राजनीतिक रूप से जागरूक और बहुत मुखर परिवार से था. लेकिन जब मेरी फिल्में एक के बाद एक हिट हो रही थीं, तो मुझे नहीं पता था कि राजनीति में क्या चल रहा है. शायद मैं उस समय अखबार भी नहीं पढ़ता था. तो कुछ लोग बस अपने काम में व्यस्त रहते हैं. अगर वे नहीं बोल रहे हैं, तो कोई बात नहीं. इसमें बड़ी बात क्या है? कुछ लोग बोल रहे हैं. बहुत से लोग बोल रहे हैं. दूसरे लोग अलग-अलग लक्ष्यों का पीछा कर रहे हैं. वे ज़्यादा पैसा या शोहरत कमाना चाहते हैं, उन्हें करने दीजिए. हर किसी के लिए बोलना जरूरी नहीं है, या हमें यह पूछना जरूरी नहीं है कि उन्होंने क्यों नहीं बोला.
जावेद अख्तर ने सुनाया किस्सा
जावेद अख्तर ने इसके बाद कहा- एक दो दिन पहले भी मुझसे किसी बिजनेसमैन ने पूछा था कि 'आपके बॉलीवुड वाले जो हैं, राष्ट्रवादी फिल्में तो बहुत बनाते हैं पर इस मामले पर (ऑपरेशन सिंदूर) सब चुप क्यों हैं?' जावेद अख्तर ने जवाब देते हुए कहा 'देखिए सबसे पहले बॉलीवुड शब्द ही अपने आप में एक एंटी नेशनल नाम है. आप भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को 'बॉलीवुड' कहते हैं? दुनिया में अगर कोई हॉलीवुड से मुकाबला कर सकता है, तो वह भारतीय फिल्म इंडस्ट्री है. इसने यूरोपीय सिनेमा को लगभग खत्म कर दिया है. हमारी फिल्में औसतन 136-137 देशों में रिलीज होती हैं और आप इसे बॉलीवुड कहते हैं?'
जावेद अख्तर ने उनसे आगे काउंटर सवाल करते हुए कहा- अगर आप यह कहना चाहते हैं कि हर मुद्दे पर बॉलीवुड कलाकारों को बोलना चाहिए... तो खड़े होकर मुझे बताइए, पिछले 15 सालों में, आप एक बिजनेसमैन हैं, क्या आपने कभी किसी सरकारी नीति, Taxation या किसी नियम के खिलाफ आवाज उठाई है जो आपको पसंद नहीं आया? फिर आप यह क्यों कह रहे हैं कि दूसरे लोग बोलें? क्या आप बोलते हैं? जब आपको डर लगता है, आप चुप हो जाते हैं. दूसरों से तभी बोलने की उम्मीद करनी चाहिए जब वे खुद बोलें.