गजराज राव इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म 'थाई मसाज' को लेकर चर्चा में हैं. फिल्म में गजराज एक ऐसे बुजुर्ग इंसान का किरदार निभा रहे हैं, जिसे न केवल इरेक्टाइल डिसफंक्शन की दिक्कत है बल्कि उसकी सेक्सुअल डिजायर के बारे में भी बात करती है. फिल्म और अपने किरदार के बारे में गजराज हमसे एक्सक्लूसिव बातचीत करते हैं.
अपनी शूटिंग के टेकअवे पर गजराज राव कहते हैं, मैंने जो सीखा है, वो है कि उम्र का मायुसी और बेबसी से कोई रिश्ता नहीं होता है. हमारे समाज में उम्रदराज लोगों को हमेशा से बेबस माना जाता रहा है. अब तो उम्र हो गई है, कुछ तो शर्म करो, इस उम्र ये सब शोभा देता है क्या, ये तमाम तरह के स्टेटमेंट हम गाहे-बगाहे अपने बुजुर्गों से बोल ही जाते हैं. अगर आप 50 से ज्यादा उम्र के बाद अपनी चाहत का इजहार कर दो, तो आपको ठरक या ठरकी कहकर संबोधित कर दिया जाता है. उसका मजाक बनाया जाता है. मेरी फिल्म ऐसे ही बुजुर्ग इंसान की है, जिसने अपनी पूरी जिंदगी परिवार के लिए गुजार दी, वो अब अपनी ख्वाहिशों को पूरा करना चाहता या अपने अकेलेपन को दूर करना चाहता है, तो उसमें बुरा क्या है. मेरे ख्याल से ऐसे सब्जेक्ट पहले लिखे भी नहीं जाते हैं, लेकिन आज के दौर में हम इसपर बात कर रहे हैं, तो उम्मीद है कि लोगों को यह पहल पसंद आएगी.
फिल्म का भार खुद के कंधे पर होने के प्रेशर पर गजराज कहते हैं, हां थोड़ा सा प्रेशर तो होता है. लेकिन बाकि के कलाकार दिग्गज हैं, दिव्येंदू, राजपाल यादव, अनुरिता जैसे कलाकार हैं. आप देखें, जिस तरह से कंटारा के साथ हो रहा है, उससे आपको हिम्मत मिलती है. आपकी उम्मीद जगती है कि कहानी अगर अच्छी है और कर्मशल नाम न भी हों, तो ऑडियंस उसे पसंद करेगी, तो फिल्म आगे भी जाएगी.
लोगों के रिएक्शन पर गजराज का कहना हैं, मुझसे लोग आकर मिलते हैं और मेरे प्रोजेक्ट्स और काम की चर्चा करते हैं, तो काफी अच्छा लगता है. अब इस ट्रेलर के बारे में उनका कहना था कि मेरा यह ट्रेलर वॉट्सऐप ग्रुप पर काफी फॉरवर्ड हो रहा है. अलग-अलग ऐज ग्रुप के लोगों ने आकर एक बहुत ही सिंसियर रिएक्शन दिया है. इक्का दुक्का लोग थोड़ा अटपटा रिएक्ट कर रहे थे कि ये सब क्या है. मैं मास लोगों के रिएक्शन से काफी संतुष्ट हूं.
अपने फिल्म के बारे में बात करते हुए गजराज कहते हैं, आज जो इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या है, वो दुनियाभर में 30 प्रतिशत लोगों के बीच है. हमारे देश में 20 से 25 करोड़ पॉप्युलेशन के लोग इससे रूबरू हैं. चूंकि इतने टैबू हैं कि इसके बारे में बात नहीं होती है. जरा सोचें, कि ये कितनी बड़ी समस्या है, ये केवल ऐज रिलेटेडन नहीं है.
स्क्रिप्ट पर रिएक्ट करते हुए गजराज राव कहते हैं, मैं डायरेक्टर के फिल्मी क्राफ्ट से वाकिफ हूं. जब थाई मसाज की कहानी सुनी, तो मुझे अपना किरदार काफी चैलेंजिंग लगा. मैं प्रफेकशनल फ्रंट पर अपने को-एक्टर आयुष्मान खुराना से काफी प्रेरणा लेता हूं. मुझे लगता है कि नॉर्मल रॉम-कॉम फिल्म बनाकर वो अपनी एक्टिंग सिक्यॉर कर सकते हैं, लेकिन वो जिस तरह से सब्जेक्ट्स का चयन करते हैं, वो काबिल ए तारीफ है. उन्हें पता होता है कि 10 में से चार फिल्में चलेंगे लेकिन उसके बावजूद वो अलग किस्म की कहानियों को तवज्जों देते हैं. उनकी साहसता मुझे बहुत इंस्पायर करती है. स्पेशली बधाई हो में जब हमने साथ काम किया, तो एहसास हुआ कि कम उम्र के लोग आपको इंस्पायर कर सकते हैं. मुझे बधाई हो के वक्त भी कई लोगों ने कहा था कि कौन देखेगा, ऐसी कहानी को लेकिन मैं बड़ा श्योर था. मुझे पता था कि आगे चलकर मामला रिवॉल्यूशनरी हो सकता है. मैं हमेशा ऐसे देखता हूं कि अगर सौ ऑडियंस भी मेरी फिल्म से कनेक्ट कर रही होती है, तो मैं मानता हूं कि वो मेरे लिए लाख बराबर हैं. गजराज आगे कहते हैं, आज का ऑडियंस नौजवान हैं. उनके बदलते टेस्ट ने ही हम जैसे एक्टर्स को हिम्मत दी है. आज ये वही नौजवान हैं, जिन्होंने फॉर्म्यूला फिल्मों को रिजेक्ट किया है.
फैमिली से मिले रिएक्शन पर गजराज कहते हैं, मेरी फैमिली का सपोर्ट बहुत ज्यादा है. जब भी इस तरह के सब्जेक्ट मेरे पास आते हैं, तो मैं उनसे सलाह मशविरा करता हूं, तो उन्हें बहुत खुशी होती है. खासकर मेरा बड़ा बेटा, उसे यह बहुत अच्छी लगती है कि मैं एक्टिंग के लिए आसान रास्ता नहीं चुनता हूं. उसे लगता है कि मैं बधाई हो जैसी फिल्म में मिडिल ऐज रोमांटिक इंसान जैसे एक्स्पेरिमेंटल रोल्स करता हूं. इस फिल्म के साथ भी ऐसा ही हुआ, उन्हें थाई मसाज मेरे करियर के लिए ऐप्ट लग रही है. मेरी पत्नी हमेशा कहती हैं कि अपनी फिल्मों को सक्सेस या बॉक्स ऑफिस के पैमाने पर न आंका करो.