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73 साल पहले फिल्मी पर्दे पर सुपरहिट रही ये जोड़ी, 2021 में मना रही गणतंत्र दिवस

देश आज 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. हमारा सौभाग्य है कि एक ऐसी बेमिसाल फिल्मी जोड़ी आज हमारे बीच है जिसने आजादी से पहले फिल्मी करियर की शुरुआ की और देश के गणतंत्र राज्य घोषित होने से पहले एक साथ रुपहले पर्दे पर भी नजर आए. इस 73 साल पुरानी इस जोड़ी की पहली फिल्म देशभक्ति पर आधारित थी और नाम था 'शहीद'.

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दिलीप कुमार पंडित नेहरू के अलावा राज कपूर और देवानंद के साथ (फाइल)
दिलीप कुमार पंडित नेहरू के अलावा राज कपूर और देवानंद के साथ (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'ज्वार भाटा' से दिलीप कुमार ने की करियर की शुरुआत
  • कामिनी कौशल की पहली फिल्म नीचा नगर 1946 में आई
  • आजादी के बाद 1948 में पहली बार 'शहीद' में दोनों दिखे

देश कोरोना संकट के दौर में 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. महामारी के दौर में भी राष्ट्रीय पर्व को लेकर लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है. देश की आजादी में सिनेमा जगत की अपनी अलग भूमिका रही है और आजादी से पहले तथा बाद में स्वतंत्रता संघर्ष को लेकर अनगिनत फिल्में बनी हैं जिसकी अहमियत आज भी बरकरार है. इसी दौर में एक नायाब फिल्मी जोड़ी पर्दे पर आई जो आज हमारे साथ 72वां गणतंत्र दिवस मना रही है.

जिस फिल्मी जोड़ी की बात हम कर रहे हैं उसने 15 अगस्त 1947 को आजादी से बहुत पहले ही रुपहले पर्दे पर अपना जादू बिखेरना शुरू कर दिया था. लेकिन आजादी के एक साल बाद 1948 में यह जोड़ी एक साथ पर्दे पर आई और वह भी देशभक्ति फिल्म के जरिए. हम जिनकी बात कर रहे हैं वो महान कलाकार हैं 'ट्रेजडी किंग' दिलीप कुमार और कामिनी कौशल की. इन दोनों महान हस्तियों के बारे में खास बात यह है कि दोनों की पैदाइश आज के पाकिस्तान में हुई थी. हालांकि जब ये पैदा हुए तब देश का विभाजन नहीं हुआ था.

नीचा नगर से करियर की शुरुआत    
बात पहले कामिनी कौशल की. कामिनी कौशल ने कुछ दिन पहले ही (16 जनवरी) को जीवन का 94वां बसंत देखा. 'फादर ऑफ इंडियन बॉटनी' कहे जाने वाले प्रोफेसर राम कश्यप के घर जन्मीं कामिनी ने 1946 में ही 21 साल की उम्र में फिल्मों में एंट्री कर ली थी. देवानंद के बड़े भाई चेतन आनंद निर्देशित फिल्म 'नीचा नगर' से कामिनी पर्दे पर नजर आई थीं.

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यह फिल्म सिनेमाई इतिहास में अहम स्थान रखती है क्योंकि कांस फिल्म फेस्टिवल में पहचान पाने वाली भारत की पहली फिल्म थी. तब इस फिल्म ने कांस फेस्टिवल का सबसे बड़ा पुरस्कार 'द पाम डओर' पुरस्कार संयुक्त रूप से हासिल किया था. इसके बाद किसी भी भारतीय फिल्म को यह पुरस्कार हासिल नहीं हुआ.

कामिनी कौशल
कामिनी कौशल

'ट्रेजेडी किंग' कहे जाने वाले दिलीप कुमार यानी यूसुफ खान ने पिछले महीने दिसंबर (11 दिसंबर) में अपना 98वां जन्मदिन मनाया. उन्होंने अपना फिल्मी सफर 22 साल की उम्र में 1944 में फिल्म 'ज्वार भाटा' से शुरू किया था. दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान है और दिलीप कुमार नाम का फिल्मी नाम देविका रानी ने दिया था. आजादी तक दिलीप कुमार ने सिर्फ 2 फिल्में की थीं. आजादी के बाद 1948 में उनकी पहली रिलीज फिल्म में नायिका कामिनी कौशल भी साथ थीं.

फिल्म 'शहीद' से बनी जोड़ी
कामिनी कौशल, दिलीप कुमार की तीसरी फिल्म शहीद में नायिका बनीं. उन दोनों की फिल्म 'शहीद' पर्दे पर बेहद कामयाब रही थी. शहीद को 1948 में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में शुमार किया जाता है. इस फिल्म का एक गाना जो उन दिनों बेहद मकबूल हुआ था और आज भी उसे पसंद करने वालों की बड़ी संख्या है. यह देशभक्ति गीत है 'वतन की राह में वतन के नौजवां शहीद हो.'

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कामिनी कौशल की फाइल फोटो

यह जोड़ी तब पर्दे की कामयाबी जोड़ियों में गिनी जाती थी. इस जोड़ी ने शहीद के अलावा नदिया के पार (1949), शबनम (1949) और आरजू (1950) समेत कुछ और फिल्मों में एक साथ काम किया. 'नदिया के पार' बेहद कामयाब फिल्म थी और इस फिल्म के कई गाने बेहद यादगार साबित हुए. इस फिल्म में एक बेहद चर्चित गाना (मोरे राजा हो ले चल नदिया के पार) है जो आज भी बेहद चाव से सुना जाता है. फिल्म के अन्य गाने भी काफी चर्चित रहे थे. 

दिलीप कुमार का पहला रोमांस
यह जोड़ी पर्दे के इतर रोमांस के लिए भी चर्चित रही थी. कहा जाता है कि फिल्म इंडस्ट्री में दिलीप कुमार की यह पहली लव स्टोरी थी. हालांकि ट्रेजेडी किंग अभिनेता ने कभी भी इस मोहब्बत के बारे में कुछ नहीं कहा. दिलीप कुमार पर आधारित एक किताब (दिलीप कुमारः पीयरलेस आइकन इंस्पायरिंग जेनरेशंस) जिसे त्रिनेत्र बाजपेयी और अनुषा बाजपेयी ने लिखी थी, में दोनों के बीच चले रोमांस का जिक्र किया गया है. दिलीप कुमार की उस दौर में कई नायिकाओं के साथ रोमांस की खबरें चर्चा में रही थीं. 

दिलीप कुमार का पहला रोमांस कामिनी के साथ माना जाता है
दिलीप कुमार का पहला रोमांस कामिनी के साथ माना जाता है

कामिनी कौशल ने फिल्मों के इतर बच्चों के लिए कहानियां लिखना शुरू किया. 90 के दशक में उन्होंने दूरदर्शन पर बच्चों के कार्यक्रम खेल खिलौने समेत कई कार्यक्रमों में काम किया. वह पपेट शो पर आधारित चांद सितारे, चाट पानी और चंदा मामा जैसे लोकप्रिय कार्यक्रमों को होस्ट भी किया था.

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जब दिलीप ने नहीं पहचाना
बच्चों के इस कार्यक्रम में वह अलग-अलग चरित्रों की अलग-अलग आवाज निकालकर कहानियां सुनाया करती थीं. कामिनी का फिल्मी सफर आज भी जारी है और 2019 में शाहिद कपूर की हिट फिल्म 'कबीर सिंह' में नजर आई थी. इस फिल्म के लिए वह बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए नॉमित भी हुई थीं. दिलीप कुमार आखिरी बार पर्दे पर फिल्म 'किला' में नजर आए थे. यह फिल्म 1998 में रिलीज हुई थी लेकिन कामयाब नहीं रही थी.

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दिलीप कुमार के साथ रोमांस खत्म होने के वर्षों बाद फिल्मफेयर (www.filmfare.com) ने कामिनी कौशल के हवाले से दावा किया था, 'उन्होंने मुझे नहीं पहचाना. मेरा दिल टूट गया. मुझे इस बात से बेहद दुख हुआ कि उन्होंने मुझे नहीं पहचाना. उन्होंने मेरी तरफ देखा और मैंने उनकी तरफ देखा. वह मुझे नहीं पहचान सके. मुझे बुरा लगा.' 

फिलहाल, दोनों गुजरे जमाने के महान अभिनेता-अभिनेत्री अब 90 के पार पहुंच चुके हैं और आजादी से पहले बतौर मुख्य कलाकार फिल्मी करियर शुरू करने वाले दोनों अभिनेता संभवतः हिंदी सिनेमा की अकेली ऐसी फिल्मी जोड़ी होगी जो हमारे साथ आज भी गणतंत्र दिवस मना रही है. 

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