
यूपी के बलिया जिले की एक विधानसभा सीट है बांसडीह विधानसभा सीट. बलिया जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बांसडीह कस्बा. बांसडीह तहसील भी है और कोतवाली भी है. बांसडीह विधानसभा क्षेत्र में उद्योग-धंधे के नाम पर कुछ भी नहीं है. यहां की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
बांसडीह विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो ये सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे बच्चा पाठक सात दफे विधायक रहे. बच्चा पाठक इस विधानसभा सीट से पहली बार 1969 में विधायक निर्वाचित हुए. बच्चा पाठक 1974, 1977, 1980, 1991, 1993 और 1996 में भी बांसडीह विधानसभा सीट से विधायक रहे. बच्चा पाठक ने आपातकाल विरोधी लहर में भी ये सीट कांग्रेस की झोली में डाली थी जब पार्टी को अधिकतर सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था. 1985 और 1989 में इस सीट से विजयलक्ष्मी जीतकर विधानसभा पहुंचीं.
बांसडीह विधानसभा सीट से सात बार विधायक रहे बच्चा पाठक यूपी सरकार में मंत्री भी रहे. बच्चा पाठक का विजय रथ रामगोविंद चौधरी ने रोका. साल 1977 में बलिया की ही चिलकहर विधानसभा सीट से पहली दफे विधायक निर्वाचित हुए रामगोविंद चौधरी ने 2002 में समाजवादी जनता पार्टी (सजपा) के टिकट पर बांसडीह विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीते भी. रामगोविंद इस सीट से 2012 और 2017 में भी सपा से विधायक रहे. 2007 के चुनाव में इस सीट से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के शिवशंकर चौहान विधानसभा पहुंचे थे.
2017 का जनादेश
बांसडीह विधानसभा क्षेत्र से 2017 के चुनाव में सपा से रामगोविंद चौधरी चुनाव मैदान में थे. रामगोविंद चौधरी के सामने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) गठबंधन से ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर मैदान में थे. बीजेपी की केतकी सिंह ने बागी तेवर अपना लिए निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूद पड़ीं.

बांसडीह विधानसभा सीट पर बीजेपी से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरी केतकी सिंह ने सपा के रामगोविंद चौधरी को कड़ी टक्कर दी. रामगोविंद चौधरी दो हजार से भी कम वोट के अंतर से बमुश्किल जीत सके थे. अरविंद राजभर तीसरे और बसपा के शिवशंकर चौहान चौथे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
बांसडीह विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां हर जाति वर्ग के लोग रहते हैं लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की तादाद अधिक है. इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में यादव के साथ ही सवर्ण मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में राजभर मतदाता भी अच्छी तादाद में हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
बांसडीह विधानसभा सीट से विधायक रामगोविंद चौधरी इस सीट से तीसरी और कुल सातवीं बार विधायक हैं. रामगोविंद चौधरी उन चुनिंदा नेताओं में से हैं जिनके पास जयप्रकाश नारायण और चंद्रशेखर के साथ काम करने का अनुभव है. रामगोविंद चौधरी चार दफे बलिया की ही चिलकहर विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. चिलकहर सीट का अस्तित्व 2008 के परिसीमन में समाप्त हो गया था. रामगोविंद चौधरी यूपी की विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं.
बांसडीह विधानसभा सीट से इस दफे समीकरण 2017 से काफी बदले रहने वाले हैं. पिछली दफे एनडीए की ओर से बांसडीह सीट पर रामगोविंद चौधरी के खिलाफ उम्मीदवार उतारने वाली ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा इस दफे सपा के साथ गठबंधन कर चुकी है. दूसरी तरफ बीजेपी से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरीं केतकी सिंह बीजेपी की तरफ से टिकट की दावेदारी कर रही हैं.