दिल्ली की सत्ता की चाबी यूपी के पास है, यूपी की हर सीट अपने आप में रोचक मुकाबले और चौंकाने वाले नतीजे देती है. ऐसी ही एक सीट है सहारनपुर. तकरीबन सभी पार्टियों के बड़े नेता सहारनपुर जरूर जाते हैं. सहारनपुर सीट पर करीब 42 फीसदी मुस्लिम वोटर्स हैं, जिन्हें लुभाने के लिए अखिलेश यादव और मायावती 7 अप्रैल को देवबंद में चुनावी रैली करने जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने मेरठ के बाद अगली चुनावी रैली यहीं की. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का भी सहारनपुर आने का प्लान है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन ने फजलुर रहमान को यहां से उम्मीदवार बनाया है, वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी को लेकर विवादित बयान देने वाले इमरान मसूद पर दांव लगाया है.
मुस्लिम वोट बंटने से सीधा फायदा बीजेपी उम्मीदवार राघव लखनपाल को मिल सकता है. लखनपाल ने 2014 में इमरान मसूद को 65 हजार वोटों से शिकस्त दी थी.
कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद 2014 में उस वक्त विवादों में आए थे जब उनपर प्रधानमंत्री मोदी को धमकी देने का आरोप लगा था और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था.
मसूद की पकड़ पारंपरिक मुस्लिम समुदाय में ज्यादा है. हालांकि, मांस कारोबारी बीएसपी उम्मीदवार का मुस्लिम समुदाय के पिछड़े तबकों में काफी प्रभाव माना जा रहा है.
2014 में भी वोटों के बंटवारे का फायदा मिला था. तब एसपी ने इमरान मसूद के भतीजे और पांच बार सांसद रहे राशिद मसूद के बेटे शाजान को टिकट दिया था. इमरान को जहां चार लाख आठ हजार के करीब वोट मिला था. वहीं, शाजान बावन हजार वोट के साथ चौथे स्थान पर थे. पिछले चुनाव में जगदीश सिंह राणा को दो लाख पैंतीस हजार वोट मिले थे और वे तीसरे पायदान पर थे. इस पूरे वोट बंटवारे के बाद बीजेपी ने सहारनपुर सीट पांच फीसदी से ज्यादा के मार्जिन से जीत ली थी.
केवल पिछले चुनाव को भी आधार बनाएं तो आंकड़े बताते हैं कि एसपी और बीएसपी को जीत तो दूर, दूसरे स्थान पर रहने वाले इमरान मसूद को पछाड़ना भी मुश्किल होगा. बीएसपी को पिछले चुनाव में 19.68 फीसदी वोट मिले थे.
1999 और 2009 में बीएसपी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. जबकि, एसपी को 2004 में इस सीट पर जीत हासिल की थी.

सहारनपुर में विधानसभा की कुल पांच सीटे हैं- सहारनपुर नगर, देवबंद, रामपुर और मनिहारन. बीजेपी और कांग्रेस ने इनमें से दो-दो सीटें हासिल की थी. जबकि, सपा ने इनमें से एक विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी.
पिछले लोकसभा और विधानसभा के नतीजे के हिसाब से 2019 का चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होगा, जहां मुस्लिम मतों के बंटने से बीजेपी को फायदा हो सकता है. सहारनपुर में 11 अप्रैल को लोकसभा के लिए वोट डाले जाएंगे.
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