लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर सियासत तेज हो गई है. राजनीतिक दल अपनी-अपनी तरकश से तीर छोड़ने लगे हैं. ऐसे में आजतक ने कार्वी इनसाइट्स के साथ मिलकर मोदी सरकार की नीतियों को लेकर देश का मिजाज समझने लिए सर्वे किया. इसी कड़ी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले को मोदी सरकार ने दलित समुदाय की नाराजगी को देखते संसद के जरिए पलट दिया. सरकार के इस फैसले को देश के 47 फीसदी लोग बेहतर कदम मानते हैं.
आजतक ने कार्वी इनसाइट्स सर्वे के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार के द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) को मूल स्वरूप में बहाल करने के कदम को देश के 47 फीसदी लोग सही मानते हैं. जबकि 32 फीसदी लोग इसे गलत फैसला मानते हैं. वहीं, 21 फीसदी लोग ऐसे भी हैं, जिनकी इस मुद्दे पर कोई राय नहीं हैं.
सर्वे के अनुसार धार्मिक आधार देखे तो SC/ST एक्ट पर मोदी सरकार के फैसले को हिंदू समुदाय के 48 फीसदी सही मानते हैं और 32 लोग इसके विरोध में हैं. वहीं, मुस्लिम समुदाय के 33 फीसदी लोग समर्थन में हैं तो 34 फीसदी लोग विरोध में. जबकि अन्य में 48 फीसदी लोग हैं जो सही और 36 फीसदी लोग गलत मानते हैं.
सर्वे के लिहाज से देखें तो जातीय आधार पर अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) पर देखें तो सामान्य जाति के 46 फीसदी लोग सरकार के कदम को बेहतर मानते हैं और 33 फीसदी लोग गलत. जबकि एससी और एसटी समुदाय के 50 फीसदी लोग इसके समर्थन में हैं और 28 फीसदी लोग खिलाफ हैं. वहीं, ओबीसी समुदाय के 44 फीसदी लोग सरकार के फैसले को सही और 35 फीसदी लोग गलत मान रहे हैं.
बता दें कि पिछले साल 21 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट 1989 में बदलाव करते हुए इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और कहा था कि सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी हो.
कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के दलित समुदाय सड़क पर उतर आए थे. दलित समुदाय के लोगों ने 2 अप्रैल को भारत बंद किया था और केंद्र सरकार का जमकर विरोध किया. देशभर में दलित आंदोलन के चलते हिंसा हुई. इस दौरान एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद मोदी सरकार संसद के जरिए कोर्ट के फैसले को पलटते हुए एससी/एसटी एक्ट को मूल स्वरूप में बहाल किया था.