महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट से नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशी सुप्रिया सुले ने तीसरी बार जीत दर्ज की है. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी कंचन राहुल कूल को 155774 वोटों के अंतर से हराया है.
इस चुनाव में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले को 686714 वोट मिले, जबकि भारतीय जनता पार्टी कंचन राहूल कूल को सिर्फ 530940 वोट हासिल हुए.
बारामती लोकसभा सीट पर 23 अप्रैल को तीसरे चरण में वोट डाले गए थे. इस सीट से 18 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने चुनाव मैदान में उतरे थे.
चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार बारामती लोकसभा सीट पर 61.53 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था, जबकि साल 2014 में यहां 58.83 प्रतिशत वोटिंग रिकॉर्ड की गई थी. इस संसदीय क्षेत्र में कुल 21 लाख 12 हजार 408 मतदाता पंजीकृत हैं, लेकिन कुल 12 लाख 99 हजार 792 वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.
जानिए इस चुनाव में किसको कितने वोट मिले
23 मई को मतगणना के दिन कैसे चला रुझा
LIVE 15:40 IST- अब तक के रुझान में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले सबसे आगे चल रही हैं. इसके बाद दूसरे नंंबर पर भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी कंचन राहुल कूल हैं. देखिए अब तक किसको किसको कितने वोट मिले.
ये उम्मीदवार थे चुनाव मैदान में
महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट से एक बार फिर से एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने जीत हासिल की है. वो बारामती लोकसभा सीट से तीसरी बार चुनाव जीती हैं. सुप्रिया सुले के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने कंचन राहुल कूल को चुनावी दंगल में उतारा था. इसके अलावा वंचित बहुजन आघाड़ी से पादलकर नवनाथ और बहुजन मुक्ति पार्टी से संजय शिंदे चुनावी मैदान में थे. इस बार यहां से कुल 18 प्रत्याशी चुनाव लड़े थे, जिनमें से 10 उम्मीदवार निर्दलीय थे.
पिछली बार किसको मिली जीत
साल 2014 में देश भर में मोदी लहर के चलते राज्य में शिवसेना से गठबंधन के बावजूद पवार परिवार का जलवा कायम रहा और सुप्रिया सुले ने जीत हासिल की. सुप्रिया सुले को 5 लाख 21 हजार 562 वोट मिले थे. वहीं 2009 के चुनाव में एनसीपी के टिकट पर सुप्रिया सुले ने बहुमत से जीत हासिल की थी. उस बार सुप्रिया सुले को 4 लाख 87 हजार 827 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी बीजेपी नेता कांता नलवाडे को 1 लाख 50 हजार 996 वोटों से संतोष करना पड़ा था. ऐसे में लगातार तीसरी बार अपना भाग्य आजमा रही पवार की बेटी के सामने जीत की हैट्रिक लगाना बड़ी चुनौती है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
बारामती लोकसभा सीट में पहला चुनाव 1957 में हुआ. 1957 से 1977 तक ये सीट कांग्रेस के कब्जे में रही. साल 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर के बाद इस सीट पर भारतीय लोक दल का सांसद बना. साल 1980 में इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी के साथ यहां भी इंदिरा कांग्रेस के शंकरराव पाटील सांसद बने. फिर इस सीट पर एंट्री हुई महाराष्ट्र की राजनीति के सितारे शरद पवार की. साल 1984 में वे भारतीय कांग्रेस (समाजवादी) से सांसद बने.
साल 1985 में शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तो ये सीट खाली हो गई. 1985 के उपचुनाव में जनता पार्टी के संभाजीराव काकाडे यहां से सांसद बने. इसके बाद इस सीट पर फिर से कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का दौर शुरू हुआ. 1989 में कांग्रेस से शंकरराव पाटील और फिर 1991 में अजीत पवार सांसद बने. साल 1991 में उपचुनाव हुए तो कांग्रेस से शरद पवार फिर सांसद बने.
साल 1991 से 1998 तक कांग्रेस और फिर 1999 से 2009 तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से शरद पवार सांसद रहे. उसके बाद उनकी बेटी सुप्रिया सुले इस सीट से सांसद बनी जिन्होंने 2014 में भी जीत बरकरार रखी. इस तरह अब यह सीट एक तरह से शरद पवार की खानदानी सीट नजर आती है जहां 27 सालों से लगातार इसी परिवार का दबदबा रहा है.
गौरतलब है कि बारामती संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं. जिनमें इंदापुर और बारामती में एनसीपी, पुरंदर में शिवसेना, भोर में कांग्रेस और खडकवासला में बीजेपी प्रत्याशी ने जीत हासिल की.
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