पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर 23 मई को मतगणना के बाद नतीजे घोषित कर दिए गए हैं. इस सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रत्याशी मुनमुन सेन को मात दी है. देखिए किस पार्टी के किस उम्मीदवार को कितने वोट मिले.
किसको कितने वोट मिले
कब और कितनी वोटिंग
आसनसोल लोकसभा सीट पर चौथे चरण के तहत 29 अप्रैल को वोट डाले गए और कुल 76.62 फीसदी मतदान हुआ. यहां से बीजेपी के टिकट पर केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो चुनाव लड़े.
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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक बार फिर अपने मौजूदा सांसद बाबुल सुप्रियो पर दांव खेला. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की ओर से मुनमुन सेन चुनाव लड़ीं जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने गौरंगा चटर्जी को मैदान में उतारा. कांग्रेस ने बिस्वरूप मंडल, शिवसेना ने अभिषेक कुमार सिंह और बहुजन मुक्ति मोर्चा ने जहीर आलम को चुनावी रण में उतारा. इनके अवाला दो निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपनी किस्मत आजमाई.
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2014 का जनादेश
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बाबुल सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन को हराया था. बाबुल सुप्रियो को 4,19,983 वोट मिले थे जबकि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की डोला सेन को 3,49,503 वोट मिले थे. आसनसोल सीट पर 2014 के चुनाव में यहां 77.76 फीसदी वोटिंग हुई थी. जिसमें बीजेपी को 36.76 फीसदी, ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को 30.59 फीसदी, सीपीएम को 22.39 फीसदी और कांग्रेस को मात्र 4.25 फीसदी वोट मिले थे.
सामाजिक ताना-बाना
आसनसोल संसदीय क्षेत्र पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में स्थित है. यह उभरता हुआ शहर है और यहां पर प्रवासियों की संख्या अच्छी खासी है. यहां शिक्षित और शहरी लोगों की संख्या भी पश्चिम बंगाल के आमशहरों से ज्यादा है. 2011 की जनगगणना के अनुसार यहां की कुल आबादी 2137389 है. इसमें से19.95 फीसदी ग्रामीण हैं और 80.05 फीसदी शहरी. यहां अनुसूचित जाति और जनजाति का रेश्यो 22.57 फीसदी और 6.15 फीसदी है. 2017 की वोटर लिस्ट के मुताबिक यहां मतदाताओं की संख्या 1569569 है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
आसनसोल सीट पर 1957 में कांग्रेस के मनमोहन दास को जीत मिली. 1962 में फिर कांग्रेस से अतुल्य घोष को मौका मिला और वो विजयी रहे. 1967 में एसएसपी के डी सेन को विजय मिली. 1971 में सीपीएम के रोबिन सेन को विजय मिली. 1977 में भी सीपीएम के रोबिन सेन ही विजयी रहे. 1980 में INC (I) के आनंद गोपाल मुखोपाध्याय को विजय मिली.
साल 1984 में यहां से कांग्रेस के आनंद गोपाल मुखर्जी यहां से सांसद चुने गए. 1989,91,96 में यहां से सीपीएम के हराधन रॉय लगातार 3 बार सांसद चुने गए. इसके बाद 1998, 1999, 2004 में सीपीएम के विकास चौधरी सांसद रहे. 2005 के उपचुनाव में सीपीआई (एम) के बंशगोपाल चौधरी सांसद बने. 2009 में सीपीएम के बंशगोपाल चौधरी ने सीट बचाए रखी. इसके बाद 2014 में यहां से बीजेपी के बाबुल सुप्रियो ने जीत दर्ज की थी.
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