Gujarat assembly Elections 2022: गुजरात में आने वाले चंद महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसकी तैयारी में सभी पार्टियां जुट गई हैं. ऐसे में आज हम आपको मोरबी-मालिया विधानसभा सीट के राजनीतिक गणित के बारे में बताएंगे. मोरबी सीट पर अभी भाजपा काबिज है, जबकि बाकी की दो टंकारा और वांकानेर सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. मोरबी मालिया सीट पर पिछले 35 साल से भाजपा का दबदबा रहा है. पाटीदार अनामत आंदोलन के बाद भाजपा ने इस सीट को खो दिया था. इसके बाद भाजपा ने कांग्रेस के विधायक को अपने खेमे में लेकर उपचुनाव में भाजपा का प्रत्याशी बनाया और जीत दर्ज की.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1995 से लेकर 2012 तक भाजपा के पक्ष से कांतिभाई अमृतिया ने लगातार पांच बार जीत हासिल की. इसके बावजूद उन्हें एक भी बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया. 2017 के चुनाव में जो नतीजे आए थे, उन पर नजर डालें तो भाजपा के कांतिभाई अमृतिया को 85987 वोट मिले और उनके कांग्रेस प्रत्याशी ब्रिजेश मेरजा को 89396 वोट मिले. कांग्रेस प्रत्याशी 3409 वोटों से जीते थे. बाद में विधायक ब्रिजेश मेरजा भाजपा में शामिल होने के बाद 2020 में हुए बाय इलेक्शन में भाजपा के प्रत्याशी रहे. चुनाव में उन्हें 64711 वोट मिले, जबकि उनके सामने खड़े कांग्रेस के प्रत्याशी जयंतीभाई पटेल को 60062 वोट मिले. इस उपचुनाव में दल बदलकर भाजपा में शामिल हुए ब्रिजेश मेरजा 4649 वोटों से जीते. वर्तमान में ब्रिजेश मेरजा पंचायत मंत्री हैं.
मोरबी विधानसभा का परिचय
मोरबी शहर को सौराष्ट्र का पेरिस भी कहा जाता है. मोरबी को औद्योगिक नगरी का भी दर्जा मिला हुआ है. मोरबी में विश्वविख्यात टाइल्स और घड़ी बनाने की फैक्ट्रियां हैं. टाइल्स उत्पादन में मोरबी विश्व के दूसरे नंबर पर है. चाइना के बाद विश्व में सबसे ज्यादा टाइल्स मोरबी में बनती हैं. भारत में बनने वाली टाइल्स में से तकरीबन 80 फीसदी मोरबी में बनती है. गुजरात के विकास में मोरबी का अहम हिसा है. मोरबी में तकरीबन एक हजार से भी ज्यादा सिरेमिक फैक्ट्री हैं. विश्व के 200 से ज्यादा देशों में मोरबी की टाइल्स जाती हैं.
राजनीतिक स्थिति
मोरबी में 1962 में पहला चुनाव हुआ. तब से लेकर 1990 तक 28 साल में व्यक्ति विशेष को वोट मिलते थे. यानि पार्टी के आधार पर नहीं, बल्कि चुनाव में खड़े प्रत्याशी की छवि के आधार पर वोट मिलते थे. 1995 से लेकर अब तक पार्टी के आधार पर वोट मिल रहे हैं. 1995 से लेकर 2012 तक लगातार पांच बार भाजपा को जीत मिली. पांच बार जीत हासिल करने वाले विधायक कांतिभाई पर हत्या जैसा संगीन आरोप लगा था. बाद में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था. गुजरात में चले पाटीदार आंदोलन के बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को इस सीट को गंवाना पड़ा. इस सीट का पूरा दारोमदार पाटीदारों के वोटों पर है.
पाटीदार जिसके साथ हैं, उसकी जीत निश्चित मानी जाती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में मोरबी-मालिया विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रत्याशी कांतिभाई अमृतिया को 85987 वोट मिले और उनके सामने खड़े कांग्रेस के प्रत्याशी ब्रिजेश मेरजा को 89396 वोट मिले थे. कांग्रेस के प्रत्याशी 3409 वोटों से जीते थे. इसके बाद ब्रिजेश मेरजा भाजपा में शामिल हो गए. 2020 में हुए बाय इलेक्शन में ब्रिजेश ने भाजपा से चुनाव लड़ा. उन्हें 64711 वोट मिले, जबकि उनके सामने कांग्रेस के जयंतीभाई पटेल को 60062 वोट मिले. इस उपचुनाव में दल बदलकर भाजपा में आए ब्रिजेश मेरजा 4649 वोटों से जीत गए. ब्रिजेश इस समय राज्य सरकार में पंचायत मंत्री हैं. साल 2013 में मोरबी को जिले का दर्जा दिया गया. यह भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है.
भौगोलिक स्थिति
मोरबी राजकोट से 64 किलोमीटर की दूरी पर है. मच्छु नदी के किनारे यह शहर बसा है. राजकोट से रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है. भारत के स्वतंत्र होने से पहले यह राज्य पूर्वी काठियावाड़ सब एजेंसी के अधिकार में था. इसका क्षेत्रफल 822 वर्ग मील था. यहां के शासक जडेजा राजपूत थे और अपने को कच्छ के राव का वंशज मानते थे. 15 फरवरी 1948 ई. में यह सौराष्ट्र में मिला दिया गया. अब यह क्षेत्र गुजरात राज्य में है. वाघजी ठाकोर और मयूरध्वज मोरबी के राजा थे. 1979 में आई बाढ़ के कारण मोरबी निर्जन हो गया था. इसके सभी ऐतिहासिक स्मारकों को बाढ़ ने जर्जर कर दिया था, लेकिन अब मोरबी ने एक बार फिर टाइल्स और घड़ी बनाने के कारखाने के बल पर अपने को खड़ा कर लिया है.
सामाजिक ताना-बाना और चुनावी मुद्दा
मोरबी के पास का तहसील मालिया इस विधानसभा क्षेत्र में आता है. मोरबी का जितना विकास हुआ, उसका दस प्रतिशत भी विकास मालिया का नहीं हुआ है. मोरबी में करीब पांच लाख लोग अन्य राज्यों के रोजगार के लिए हैं. यहां खेती भी होती है. बड़ी मात्रा में नमक उत्पादन किया जाता है. मालिया के आसपास समुद्र खाड़ी होने के कारण सबसे ज्यादा नमक उद्योग और जिंगा उद्योग हैं. मोरबी पहले राजकोट जिले का हिस्सा था. मोरबी को अलग जिले का दर्जा मिलने के बाद पांच तहसीलें बनीं. मोरबी, मालिया, वांकानेर, टंकारा और हलवद शामिल हैं. यहां तीन विधानसभा क्षेत्र हैं.
2017 के अनुसार मतदाताओं की संख्या
कुल मतदाताः 250456
पुरुषः 118356
महिलाः 132099
अन्यः 1
मोरबी की कुल जनसंख्या 960329 है, जबकि मोरबी मालिया विधानसभा सीट पर करीब पांच लाख की जनसंख्या है, जिसमें से तीन लाख वोटर हैं.
विधायक का परिचय
नाम: ब्रिजेश अमरशीभाई मेरजा
उम्र: 64 साल
जाति: कड़वा पाटीदार
शिक्षण: बी. कॉम. (सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी)
क्राइम केस: एक भी नहीं
संपत्ति: 2.12 करोड़
पद: वर्तमान में राज्य सरकार में रोजगार और पंचायत मंत्री
2012 में ब्रिजेश मेरजा पहली बार चुनाव लड़े और उनकी हार हुई. उन्होंने हार नहीं मानते हुए अपनी राजनीतिक छवि बनाई रखी. 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले हुआ पाटीदार अनामत आंदोलन का फायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को हुआ. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में ब्रिजेश मेरजा ने चुनाव लड़ा और लगातार पांच बार विधायक बनने वाले कांतिभाई अमृतिया को हराकर विधायक बने.
कांग्रेस के विधायक के तौर पर ब्रिजेश ने ढाई साल काम करने के बाद राज्यसभा के चुनाव के समय ब्रिजेश मेरजा ने कांग्रेस को अलविदा कर भाजपा का दामन पकड़ा. राज्यसभा के चुनाव के मौके पर साथ देने वाले ब्रिजेश मेरजा को भाजपा ने 2020 के उपचुनाव में पत्याशी बनाया और मेरजा इस सीट पर जीत गए. कहा जाता है कि ब्रिजेश ने जब भाजपा का दामन पकड़ा, तब उन्होंने भाजपा से कुछ शर्तें रखी थीं, जिसके चलते उन्हें मंत्री और उनके भाई रमेश मेरजा को IAS में नॉमिनेट किया गया है.
सामाजिक स्थिति
जातियां मोरबी शहर मोरबी ग्रामीण मालिया शहर मालिया ग्रामीण कुल
पाटीदार 30,000 19,000 0 12,000 61,000
लघुमति 19,500 600 7,800 6,000 33,900
कोली 5,500 7,500 100 11,000 24,100
सतवारा 19,500 20 0 0 19,520
दलित 6,000 6,000 700 2,000 14,700
समस्याएं
मोरबी में यातायात और प्रदूषण की समस्या बनी हुर्ई है. सिरामिक उद्योग की वह से लगातार 24 घंटे हवा और पानी दूषित हो रहे हैं. मोरबी से कोई बड़ी रेलवे सुविधा या समुद्रीमार्ग से ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं है. मालिया शहर में प्राथमिक सुविधाओं का अभाव है. ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं. इसलिए बेरोजगारी का भी सामना करना पड़ता है. मालिया से नर्मदा की कैनाल निकल रही है, फिर भी आसपास के 32 गांवों के किसानों को सिंचाई के कई बार आंदोलन करना पड़ा है.
2022 में संभावित प्रत्याशी
भाजपाः ब्रिजेश मेरजा
कांग्रेसः जयंतीभाई पटेल
(मोरबी से राजेश अंबालिया के इनपुट के साथ)