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सीवान में तीन नवंबर को वोटिंग, समझें-जिले की हर सीट का समीकरण

सीवान में तीन नवंबर को वोटिंग होने वाली है. आइए जानते हैं इस जिले की आठों विधानसभा सीट के समीकरण..

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तीन नवंबर को वोटिंग
तीन नवंबर को वोटिंग
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीवान में 3 नवंबर को मतदान है
  • जिले में आठ विधानसभा सीट है
  • हर सीट पर है दिलचस्प जंग

बिहार के चर्चित जिलों की बात होती है तो सीवान का जिक्र जरूरी हो जाता है. ये जिला कई मायने में अहम है. ये देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जन्मभूमि है. वहीं, पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की वजह से भी सुखिर्यों में रहा है. अब तीन नवंबर को सीवान के आठ विधानसभा सीटों पर वोटिंग होने वाली है. आइए जानते हैं इस जिले की आठों विधानसभा सीट के समीकरण..  

महाराजगंज
सीवान जिले के अधीन आने वाले विधानसभा क्षेत्र महाराजगंज में जेडीयू बनाम कांग्रेस की लड़ाई है. इस सीट पर जेडीयू ने अपने वर्तमान विधायक हेम नारायण साह को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के विजय शंकर दूबे मैदान में हैं. विजय शंकर दुबे सीवान और सारण के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं. वर्तमान परिस्थितियों और जातिगत समीकरण पर गौर करें तो ये हेमनारायण साह के पक्ष में जाते दिख रहे हैं. दरअसल, हेम नारायण साह ने बखूबी चुनाव को लोकल बनाम बाहरी बना दिया है. इस वजह से विजय शंकर दुबे थोड़े कमजोर पड़े हैं. 

महाराजगंज से जेडीयू के उम्मीदवार हैं हेमनारायण साह

बड़हरिया 
वैसे तो बड़हरिया विधानसभा सीट पर लड़ाई राजद के बच्चा पांडे बनाम जेडीयू के श्याम बहादुर सिंह की है. लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार डॉक्टर अशरफ अली की वजह से राजद के समीकरण बिगड़ सकते हैं. डॉक्टर अशरफ अली राजद के पुराने नेता हैं और उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय मैदान में आ गए. आपको बता दें कि पेशे से डॉक्टर अशरफ अली की जबरदस्त पकड़ मुसलमान वोट बैंक में है. बड़हरिया विधानसभा में मुसलमान वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं. 

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बड़हरिया में अशरफ अली ने राजद की बढ़ाई टेंशन

सीवान सदर 
सीवान जिले की सदर सीट पर मुख्य लड़ाई राजद बनाम बीजेपी है. राजद ने अपने दिग्गज नेता अवध बिहारी चौधरी को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं बीजेपी से पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव मैदान में हैं. दिलचस्प बात ये है कि दोनों रिश्ते में संबधी भी लगते हैं. आपको बता दें कि सीवान सदर की सीट पर बीजेपी के व्‍यासदेव प्रसाद 15 साल तक विधायक रहे. इस बार पार्टी ने उन्‍हें टिकट नहीं दिया है.

रघुनाथपुर      

सीवान की रघुनाथपुर विधानसभा सीट पर आरजेडी के हरिशंकर यादव और लोजपा के मनोज सिंह के बीच असल जंग है. आपको बता दें कि हरिशंकर यादव वर्तमान में क्षेत्र के विधायक हैं जबकि मनोज सिंह बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर लोजपा में शामिल हुए हैं. इस सीट पर जेडीयू के उम्मीदवार राजेश्वर चौहान कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं. 

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दरौंदा 
सीवान के दरौंदा विधानसभा सीट पर लड़ाई बीजेपी बनाम माले की है. दरौंदा विधानसभा सीट से बीजेपी ने करनजीत उर्फ व्‍यास सिंह को टिकट दिया है. जबकि माले में अमरनाथ यादव चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार रोहित कुमार अनुराग बीजेपी प्रत्याशी के लिए वोटकटवा बन सकते हैं. 

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जीरादेई 
जीरादेई विधानसभा सीट पर मुख्य लड़ाई माले बनाम जेडीयू की है. जेडीयू ने वर्तमान विधायक  रमेश कुशवाहा का टिकट काट कर कमला कुशवाहा को मैदान में उतारा है. ऐसे में माले उम्मीदवार अमरजीत कुशवाह को रमेश कुशवाहा का समर्थन मिल रहा है. इस वजह से माले उम्मीदवार का वोटबैंक मजबूत होता दिख रहा है. 

दरौली 
दरौली विधानसभा पर मुख्य लड़ाई माले बनाम बीजेपी की है. माले ने अपने पुराने नेता सत्यदेव राम को टिकट दिया है जबकि बीजेपी से रामायण मांझी उम्मीदवार हैं. यह क्षेत्र सीवान जिले में माले का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है. 

गोरेयाकोठी 
इस विधानसभा सीट पर राजद उम्मीदवार नूतन वर्मा और बीजेपी के देवेशकांत सिंह के बीच मुख्य जंग है. एक अन्य रालोसपा के उम्मीदवार सत्यदेव सिंह के चुनाव मैदान में आने से राजद की टेंशन बढ़ी हुई है. आपको बता दें कि सत्यदेव सिंह राजद के विधायक थे और टिकट नहीं मिला तो रालोसपा से मैदान में हैं.

 

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