बिहार में पहले चरण के चुनाव के बाद 72 सीटों के प्रत्याशी रिलेक्स हैं. क्योंकि इन्हें अपनी जीत के लिए जितना जोर लगाना था लगा चुके हैं. जनता भी अपना फैसला दे चुकी है जो ईवीएम में कैद है. मगर मतदान के बाद चुनाव आयोग ने इनकी नींद उड़ा दी है. इन्हें चुनाव आयोग की तरफ से नोटिस मिला है. पहले चरण के कुल 104 प्रत्याशी ऐसे हैं जिन्हें कारण बताओ नोटिस जारी की है. ये नोटिस किस बारे में हैं, इसकी वजह भी बेहद खास है.
कहां है विज्ञापन? जवाब दें
चुनाव आयोग की ये नोटिस संबंधित प्रत्याशियों के ऊपर पहले से दर्ज अपराधिक मामलों को लेकर है. चुनाव आयोग के नये नियम के अनुसार जिन भी प्रत्याशियों के ऊपर अपराधिक मामले दर्ज हैं, उन्हें इसका पूरा ब्यौरा तीन बार समाचार पत्र और टेलीविजन के माध्यम से विज्ञापन तौर पर प्रकाशित करना था. जिन्हें नोटिस मिली है उन्होंने अपने अपराधिक मामलों के प्रकाशित विज्ञापन का ब्यौरा चुनाव आयोग को नहीं दिया है. जिसकी वजह से चुनाव आयोग ने इन्हें कारण बताने का कहा है. प्रत्याशियों को नोटिस प्राप्ति के 48 घंटों के अंदर जवाब दाखिल करने को भी कहा है.
327 प्रत्याशियों पर मुकदमें
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कुल 1066 प्रत्याशी थे. इनमें से 327 ने नामांकन के दौरान अपने ऊपर दर्ज अपराधिक मामलों की जानकारी चुनाव आयोग को दी थी. इन सभी को नियमों के अनुसार मतदान के पहले ही प्रत्याशियों को अपराधिक मामलों का ब्यौरा विज्ञापन के रूप में प्रकाशित करना था. 104 प्रत्याशियों पर आरोप है कि इन्होंने इस नियम के अनुपालन के क्या किया, इसकी जानकारी चुनाव आयोग को अब तक नहीं सौंपी है.
हो सकती है कार्रवाई
अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजय कुमार सिंह के मुताबिक यदि प्रत्याशी नोटिस का समुचित जवाब नहीं देते हैं तो उन पर कार्रवाई की जा सकती है. सूत्रों की माने तो ऐसे मामलों में चुनाव आयोग प्रत्याशियों के भविष्य में चुनाव लड़ने पर रोक भी लगा सकता है जिसकी अवधि 3 वर्ष तक हो सकती है. फिलहाल चुनाव आयोग दूसरे चरण के अपराधिक मुकदमे वाले प्रत्याशियों पर नजर रखे हुए हैं. ताकि दूसरे चरण के प्रत्याशी अपने मुकदमों के बारे में विज्ञापन कराने के नियम का पालन करें.