बथनाहा विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार अनिल कुमार ने जीत हासिल कर ली है. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार संजय राम को हराया है. बीजेपी उम्मीदवार अनिल कुमार को 54 प्रतिशत से भी अधिक वोट मिले हैं. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार संजय राम को 46,818 वोटों के बड़े अंतर से हराया. बीजेपी उम्मीदवार को कुल 92,648 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी संजय राम को कुल 45,830 वोट मिले हैं.
बथनाहा में तीसरे चरण में चुनाव हुआ था. बथनाहा विधानसभा में कुल 55.2% फीसदी लोगों ने वोट किया है. बथनाहा विधानसभा सीतामढ़ी लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है. साल 2015 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत भारतीय जनता पार्टी को मिली थी.
बीजेपी के दिनकर राम और कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेंद्र राम के बीच मुकाबला रहा. जहां बीजेपी को 74,763 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस पार्टी को 54,597 वोट मिले थे. हालांकि इस सीट से भारी अंतर से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.
यह सीट 10 साल से बीजेपी के कब्जे में है. 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के प्रत्याशी दिनकर राम ने लोक जनशक्ति पार्टी की उम्मीदवार ललिता देवी को हराया था. उससे पहले 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी के पास थी. नगीना देवी इस सीट से विधायक थीं. दरअसल यह सीट साल 2010 से ही आरक्षित सीट है.
2015 का जनादेश
साल 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दिनकर राम को जीत मिली थी. कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेंद्र राम से दूसरे नंबर पर थे. 2015 के चुनाव में कुल 12 लोगों ने चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में 10 प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी.
बथनाहा विधानसभा का परिचय
बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में से यह सीट आरक्षित वर्ग के लिए है. 2008 के विधानसभा चुनावों से पहले यह सीट सामान्य थी. इस विधानसभा में कुल 2,64,299 वोटर्स हैं. इनमें से कुल 1,38,385 पुरुष हैं, वहीं 1,25,901 महिला वोटर्स हैं.
सांस्कृतिक इतिहास
यह विधानसभा मिथिला क्षेत्र का प्रमुख इलाकों में से एक है. बिहार के उत्तरी गंगा के मैदान में स्थित यह इलाका नेपाल की सीमा पर होने के कारण संवेदनशील है. वैसे पूरे सीतामढ़ी जिले को माना जाता है कि यह क्षेत्र सीता का जन्म क्षेत्र है. पूरे जिले को रामायण काल से जोड़कर देखा जाता है.
सीट का इतिहास
यह सीट 1967 में अस्तित्व में आई. इस सीट पर कुल 13 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से एक 2005 में उपचुनाव भी हुआ है. पहली बार 1967 में यहां वोट पड़े थे.