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बिहार चुनाव में ‘वक्फ’ बनेगा बड़ा मुद्दा? RJD खेमे से आया बयान तो सपोर्ट में उतरे लेफ्ट और कांग्रेस

तेजस्वी यादव ने रविवार को कटिहार में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी सरकार बनी तो वक्फ बोर्ड बिल को कूड़ेदान में फेंक देंगे. इससे पहले आरजेडी के एमएलसी ने भी शनिवार को तेजस्वी की मौजदूगी में कानून को खत्म करने की बात कही थी. आरजेडी के इन बयानों को अब कांग्रेस और वाम दल ने खुलकर समर्थन दिया है.

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तेजस्वी के बयान के बाद सीमांचल की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. (File Photo: PTI)
तेजस्वी के बयान के बाद सीमांचल की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. (File Photo: PTI)

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वक्फ (संशोधन) कानून पर बयानबाजी ने राजनीतिक तापमान और बढ़ा दिया है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के 'सरकार बनी तो वक्फ बोर्ड बिल को कूड़ेदान में फेंक देंगे' वाले बयान ने सीमांचल के चुनावी समीकरण को नया मोड़ दे दिया है. इससे पहले आरजेडी के एमएलसी ने भी शनिवार को तेजस्वी की मौजदूगी में कानून को खत्म करने की बात कही थी.

इस मुद्दे पर अब कांग्रेस और वाम दल भी आरजेडी के समर्थन में खुलकर उतर आए हैं, जिससे यह साफ दिख रहा है कि ‘वक्फ’ अब बिहार की सियासत में ध्रुवीकरण का नया केंद्र बनता जा रहा है. चर्चा है कि महागठबंधन के अन्य दलों की तरफ से भी समर्थन में बयान जारी किया जा सकता है. 

दरअसल, तेजस्वी यादव ने रविवार को कटिहार में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि लालू-राबड़ी की सरकार में RSS और सांप्रदायिक ताकतों को बिहार में कदम रखने की हिम्मत नहीं थी. उन्होंने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा को बिहार में जगह देने का काम उन्हीं ने किया है. तेजस्वी ने कहा, “भाजपा अगर किसी से डरती है तो लालू जी से डरती है. हमारी सरकार बनी तो वक्फ बोर्ड बिल को कूड़ेदान में फेंक देंगे.”

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तेजस्वी के बयान को मिला कांग्रेस-वाम दल का समर्थन

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तेजस्वी के इस बयान के बाद सीमांचल की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस सांसद तारीक अनवर ने उनके बयान का समर्थन करते हुए कहा, “आरजेडी हो, कांग्रेस हो या महागठबंधन. हम सबने संसद के अंदर और बाहर इस बिल का विरोध किया है. अगर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी तो पूरी ताकत से इस बिल को रोकने की कोशिश की जाएगी.”

वहीं वाम दलों ने भी इस मुद्दे पर आरजेडी का समर्थन किया है. CPI(ML) लिबरेशन के महासचिव दिपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि अगर INDIA गठबंधन की सरकार बनी, तो बिहार में वक्फ संशोधन कानून को लागू नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह कानून केंद्र द्वारा राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने की कोशिश है और यह संघीय ढांचे के खिलाफ है.

भाजपा ने किया पलटवार

दूसरी ओर, भाजपा ने तेजस्वी यादव और महागठबंधन के नेताओं के बयानों को संविधान विरोधी करार दिया है. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, “इन लोगों को ये ज्ञान ही नहीं है कि संसद से पास हुए बिल को कोई राज्य सरकार लागू न करने का फैसला नहीं कर सकती. जिनके चार सांसद हैं, वो संसद के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं.”

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वक्फ बिल पर क्यों है विवाद?

केंद्र सरकार द्वारा संसद में पारित वक्फ (संशोधन) बिल में कई ऐसे प्रावधान हैं जिन्हें मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण की कोशिश बताया है. इसमें वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण, प्रबंधन और विवादों में राज्य सरकार की भूमिका बढ़ाने के साथ-साथ सीबीआई जांच जैसी धाराएं जोड़ी गई हैं. विरोधी दलों का आरोप है कि इससे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी और धार्मिक संस्थानों की जमीनों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ेगा.

सीमांचल में सियासी गणित पर असर

विश्लेषकों का कहना है कि सीमांचल के जिलों कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया और अररिया में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 40 से 60 फीसदी के बीच है. यह इलाका पिछले चुनाव में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के उदय का गवाह रहा, जब पार्टी ने पांच सीटें जीतकर आरजेडी-कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ दिए थे. तेजस्वी यादव का वक्फ बिल पर आक्रामक रुख ओवैसी फैक्टर को कमजोर करने और मुस्लिम वोट बैंक को फिर से एकजुट करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. कांग्रेस और वामदलों के समर्थन के बाद अब यह मुद्दा INDIA गठबंधन के साझा एजेंडा के रूप में उभरता दिख रहा है.

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