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इंडिया टुडे के 2014 के सर्वे में पांचवे नंबर पर हैदराबाद यूनिवर्सिटी: छात्र यहां पहली वरीयता

छात्र संख्या विस्तार और रिसर्च आधारित अध्ययन पर जोर देकर नए मुकाम की ओर हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी. इंडिया टुडे-नीलसन यूनिवर्सिटी सर्वे 2014 में पांचवे नंबर पर.

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अकसर मोर की आवाज से टूटती कैंपस की शांति के बीच हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के 60 वर्षीय वाइस-चांसलर प्रोफेसर रामकृष्ण रामास्वामी का सुंदर कलात्मक अभिरुचि वाला कार्यालय आगामी अकादमिक सत्रों की योजना से लेकर फेसबुक के जरिए संपर्क में रहने जैसी कई तरह की गतिविधियों का केंद्र है.

वे हमेशा अपना फेसबुक एकाउंट खुला रखते हैं. फेसबुक पर उनके दोस्तों की फेहरिस्त में 2,000 से ज्यादा छात्र हैं. वे कहते हैं, ''यह छात्रों से जुड़े रहने और उनके लिए उपलब्ध रहने का अनोखा तरीका है.”

हैदाराबाद यूनिवर्सिटी या हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (एचसीयू) की 1974 में स्थापना के समय से ही यह अपने 'स्टुडेंट-फर्स्ट (प्राथमिकता में सबसे आगे छात्र)’ के दर्शन और रिसर्च के प्रति समर्पण की वजह से देश और विदेश से छात्रों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

2011 में वाइस-चांसलर बने रामास्वामी छात्रों का आधार व्यापक करने के दीर्घकालीन लक्ष्य साधने में लगे हैं. वे कहते हैं, ''हमारे यहां कुछ असामान्य सुविधाएं हैं और हमारी फैकल्टी देश में बेहतर है. मेरा लक्ष्य हर साल ज्यादा से ज्यादा छात्रों को यह उपलब्ध कराना है.”

हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटीरामास्वामी यह भी स्वीकार करते हैं कि सबसे अहम तो बेहतर बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना ही है. वे कहते हैं, ''इसके लिए हमें अपनी मौजूदा सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर देना होगा, कक्षाओं को बेहतर बनाना होगा और छात्रों को आवास की बेहतर सुविधाएं मुहैया करानी होगी. मेरा मानना है कि ज्ञान का प्रसार ऐसे माहौल में ही हो सकता है जहां छात्रों को प्रेरणा मिले और जो पढ़ाई के लिए उपयुक्त हो.”

पिछले साल एक अनोखा कीर्तिमान भी हासिल हुआ. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उसे उत्कृष्टता की संभावनाओं से लबरेज विश्वविद्यालय से विशिष्ट विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया. प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में पीएचडी प्राप्त वाइस-चांसलर का मानना है कि यह विश्वविद्यालय के छात्रों और फैकल्टी के विशिष्ट रिसर्च वर्क की वजह से ही है.

मिसाल के तौर पर रामास्वामी के ही शब्दों में,  ''निरीक्षण रेड्डी के अपने इंटीग्रेटेड मास्टर्स कोर्स के दौरान ऑप्टिक्स के क्षेत्र में दो रिसर्च पेपर प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में छपना वाकई अनूठा मौका था. इसके अलावा विश्वविद्यालय पिछले अकादमिक सत्र में तीन आइसीएसएसआर-अमर्त्य सेन पुरस्कारों से भी सुर्खियों में रहा.

इनमें एक पूर्व छात्रा डॉ. कल्पना कन्नाबिरन आजकल समाज विकास परिषद की डायरेक्टर हैं. दूसरे डॉ. वंशी वकुलभरणम स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और तीसरे पूर्व फैकल्टी सदस्य सुरिंदर जोधका हैं.”

यह विश्वविद्यालय शिक्षा के कई विशेष कोर्स उपलब्ध कराता है. मसलन, पिछले साल शुरू हुए बाल नाटक और सार्वजनिक स्वास्थ्य के अलावा संस्कृत कंप्यूटर भाषा विज्ञान, व्यावहारिक विज्ञान और पृथ्वी विज्ञान जैसे विषयों में कई कोर्स हैं.

इनके अलावा सामाजिक प्रासंगिकता वाले कई कोर्स हैं. जैसे थिएटर विभाग में शुरू हुई थिएटर आउटरीच यूनिट में सांस्थानिक मापदंडों से अलग ऐसी नाट्य कला सिखाई जाती है जिसमें अकादमिक और नाट्यकला के बीच ज्ञान और कौशल का तालमेल होता है.

रामास्वामी ब्लॉगर भी हैं और अपने ब्लॉग hcurocks.wordpress.com में फैकल्टी सदस्यों को मिले प्रतिष्ठित अवार्ड से लेकर गेम ऑफ थ्रोन्स जैसे लोकप्रिय सीरियल तक पर लिखते हैं. वाइस-चांसलर के ब्लॉग में लिखे गए विषयों पर चर्चा 2,000 एकड़ में फैले कैंपस में खूब होती है.

रामास्वामी प्रकृति प्रेमी भी हैं इसलिए विश्वविद्यालय की प्राकृतिक धरोहर को सहेजने की जरूरत का हमेशा ध्यान रखते हैं. 'विश्वविद्यालय के इसरो आधारित नक्शे के मुताबिक, करीब 600 एकड़ भूमि तो संरक्षित भूमि ही है जिसमें जलाशय और सदियों पुरानी चट्टानें, अनेक तरह के पेड़-पौधे और करीब 45 विभिन्न प्रजाति के पक्षियों का बसेरा है.

एक झील को बांध बनाकर बड़ा भी किया गया है, जहां छात्र सैर-सपाटा करते हैं. कैंपस के बड़े हिस्से में हम किसी तरह के निर्माण की इजाजत नहीं देते क्योंकि इसे प्राकृतिक संरक्षण के लिए छोड़ा गया है. इस तरह विश्वविद्यालय हैदराबाद का एक महत्वपूर्ण जैव विविधता संरक्षित क्षेत्र भी है.”

ऐसी बहुत-सी पहल की जा चुकी हैं जो अगले कुछ साल में कई कीर्तिमान स्थापित करने का जरिया बन सकती हैं. ''बहुत कुछ नई सरकार की नीतियों और अनुदान पर निर्भर करेगा. अभी ये शुरुआती दिन हैं और हमें देखने के लिए कुछ इंतजार करना पड़ेगा कि अगले कुछ महीने में स्थितियां क्या आकार लेती हैं.”    

क्या कहते हैं वाइस-चांसलर रामकृष्ण रामास्वामी
“यह उम्मीदों, उच्चस्तरीय रिसर्च वर्क और कई तरह की संभावनाओं का माकूल ठिकाना है”

हैदराबाद विश्वविद्यालय से मेरा जुड़ाव कम से कम 30 साल पहले से और थोड़ा अजीब तरह का रहा है. यहीं मुझे 1982 में स्थायी नौकरी की पेशकश की गई थी. मैंने तब उसे स्वीकार नहीं किया था. जाहिर है, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं यहां वाइस-चांसलर बनकर लौटूंगा. मैं अकसर विश्वविद्यालय आया करता था. मुझे हमेशा यह विश्वविद्यालय अनोखा लगा है.

यह आकांक्षा, उच्चस्तरीय रिसर्च वर्क और कई तरह की संभावनाओं का ठिकाना है. यह इस मायने में भी विशिष्ट है क्योंकि उत्तर भारत के बाहर पहला मुख्य केंद्रीय विश्वविद्यालय है. मुझे वाइस-चांसलर बने अभी तीन साल ही हुए हैं और अभी तक यह बेमिसाल रहा है क्योंकि कई तरह के अहम रिसर्च वर्क को अंजाम दिया जा चुका है और कई जारी हैं.

विश्वविद्यालय दो नोबेल पुरस्कार प्रात शख्सियतों इकोनॉमिक्स में जोसफ स्टिगलिट्ज और केमिस्ट्री में रुडोल्फ मार्कस को 2012-13 के एकेडमिक सेशन में मानद डॉक्टरेट उपाधि देकर वाकई सम्मानित हुआ है. मैं कैंपस के प्राकृतिक सौंदर्य को संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध हूं और इसका आनंद उठाता हूं. यहां होना ही एक उपलब्धि है.

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