ऐसा कई बार देखा गया है कि गार्जियन के दबाव में आकर बच्चों को ऐसे कोर्स की पढ़ाई करनी पड़ती है जिसमें उनकी रुचि नहीं होती. नतीजतन छात्र सफलता हासिल नहीं कर पाते और मां- बाप के सपने को पूरा करने में नाकामयाब हो जाते हैं.लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. अब बच्चों की उंगलियों की छाप से उसके भविष्य की राह निर्धारित की जाएगी. जी हां, अमेरिका में बहुप्रचलित डर्मेटोग्लिफिक्स बेस्ड मल्टीपल इंटेलीजेंस टेस्ट (DMIT) के जरिए अभिभावक बच्चों की खूबियों को जान सकेंगे.
खबर के मुताबिक जालंधर और जम्मू के बाद अब फरीदाबाद के बच्चों पर यह प्रयोग किए जाएंगे. अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन और यूएई की डीएमआईआरसी से संबंधित निजी संस्था ने एनआईटी में इसकी शुरुआत की है. इसके जरिए फिंगर प्रिंट की स्क्रीनिंग के साथ ही स्टूडेंट्स की काउंसलिंग भी की जाएगी.
संस्था के मैनेजर ने बताया कि ये प्रक्रिया वैज्ञानिक डॉ. हावर्ड गार्डनर की उपलब्धियों पर बने मल्टीपल इंटेलिजेंस एनालिसिस से ली गई है, जिसके जरिए मस्तिष्क की विभिन्न क्रियाओं का विश्लेषण करके छुपी हुई प्रतिभा का पता लगाया जा सकता है. इसके आधार पर स्टूडेंट्स शुरुआत से ही अपनी रुचि के अनुसार विषय का चयन कर सफलता हासिल कर सकता है.