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राजस्थान के इस शहर को क्यों कहते हैं 'पेपरलीक माफियाओं का गढ़'? अब पकड़े गए कई टीचर

Rajasthan Paper Leak Cases: राजस्थान का जालौर अक्सर पेपरलीक से जुड़े मामलों को लेकर चर्चा में रहता है. इस वजह से जालौर को पेपरलीक माफियाओं का गढ़ कहा जाने लगा है.

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राजस्थान में कई भर्ती परीक्षा में हुई धांधली के तार जालौर से जुड़े हैं. (Photo: ITG)
राजस्थान में कई भर्ती परीक्षा में हुई धांधली के तार जालौर से जुड़े हैं. (Photo: ITG)

राजस्थान में पिछले पांच साल की शिक्षक भर्ती की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. शिक्षा विभाग ने स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) को 123 शिक्षकों की लिस्ट सौंपी है, जिनपर आरोप है कि उन्होंने 2018 और 2019 की राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (REET) में गड़बड़ी कर नौकरी हासिल की. खास बात ये है कि इन 123 शिक्षकों में 95 फीसदी से ज्यादा एक ही जिले के हैं, जिसे ‘पेपरलीक माफियाओं का गढ़’ माना जाता है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये किस जिले की बात हो रही है और उस जिले को क्यों पेपरलीक माफियाओं का गढ़ कहा जाता है...

दरअसल, ये बात हो रही है राजस्थान के जालौर की. वैसे तो प्राचीनकाल में जाबलिपुर के नाम से पहचान बनाने वाला जालौर ग्रेनाइट सिटी के रुप में जाना जाता है. लेकिन, अब पेपरलीक माफियाओं की वजह ये शहर अखबारों की सुर्खियों में है. पिछले कुछ सालों में पेपरलीक से जुड़े मामलों के तार जालौर से जुड़े हैं. अभी तक अलग-अलग भर्तियों में पेपर लीक, नकल आदि के मामलों में जालौर से कई लोग गिरफ्तार हो चुके हैं और कई माफियाओं के तार जालौर से जुड़े मिले हैं.

कैसे जालौर बन गया पेपरलीक माफियाओं का गढ़?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में अतिरिक्त महानिदेशक (एसओजी) वीके सिंह ने कहा था कि कई परीक्षाओं के पेपर लीक और नकल के मामलों में अकेले जालोर जिले से 1,000 संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा सकता है. उन्होंने बताया था कि कई संदिग्ध फरार हैं और जांच में रीट, सब-इंस्पेक्टर, जूनियर इंजीनियर (जेईएन), वन रक्षक और अन्य परीक्षाओं में पेपर लीक से जुड़े धोखाधड़ी और कदाचार के एक नेटवर्क का पता चला है, जिसकी जड़ें जालौर से जुड़ी हैं.

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वैसे तो साल रीट पेपर लीक और एसआई भर्ती पेपर लीक मामले मे जालौर से कई लोग गिरफ्तार हुए थे और कई मास्टरमाइंड जालौर से ही जुड़े थे. लेकिन, साल 2014 में जालौर में ही बीएसटीसी का पेपर लीक हुआ था. अब समझने की कोशिश करते हैं कि कितनी परीक्षाओं में धांधली के तार जालौर से जुड़े हुए हैं.

  • साल 2022 में REET Exam-2021 पेपर लीक मामले में एसओजी ने जालौर से कई लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें एक पत्रकार भी शामिल था.
  • साल 2023 में सेकंड ग्रेड टीचर परीक्षा के पेपर लीक मामले में भूपेंद्र सारण और सुरेश ढाका का नाम था. उनको अरेस्ट करने के लिए 25-25 हजार रुपयों का इनाम घोषित किया गया था. भूपेंद्र सारण परावा तहसील चितलवाना जिला जालोर का रहने वाला है. वहीं, सुरेश ढाका गंगगासरा थाना सरवाना जिला जालौर का रहने वाला है.
  • साल 2024 में राजस्थान में पेपर लीक मामले में पुलिस ने जालौर से एक युवती को गिरफ्तार किया था. जालौर की रहने वाली संजू उर्फ सणगी पटेल ने एक शख्स को जोधपुर पुलिस में एसआई आरएएस पद पर चयन का झांसा देकर 54 लाख 40 हजार रुपए ऐंठ लिए थे.
  • अपने बेटे और बेटी के लिए लीक हुए राजस्थान पुलिस सब-इंस्पेक्टर (एसआई) 2021 भर्ती परीक्षा के पेपर को खरीदने वाले एक कुख्यात ड्रग तस्कर को हाल ही में जालोर की एनडीपीएस कोर्ट ने पांच साल के कठोर कारावास और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.
  • शिक्षा विभाग ने अभी स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) को 2018 और 2019 की REET में गड़बड़ी कर नौकरी हासिल करने के आरोप में जिन 123 शिक्षकों की लिस्ट दी है, उसमें अधिकतर जालौर के हैं.

इनके अलावा कई परीक्षाओं में जालौर से गिरफ्तारियां हुई हैं. इसके बाद से जालौर को पेपरलीक का गढ़ कहा जाने लगा है. इसके बाद से राजनीतिक जगत में भी आरोप-प्रत्यारोप में जालौर का नाम लिया जाता है और जालौर के उदाहरण के साथ पेपरलीक के मुद्दों को उठाया जाता है.

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