कोटा में कोचिंग के साथ केयरिंग का एक और अनूठा उदाहरण इन दिनों देखने को मिल रहा है. अब एक कदम आगे बढ़कर यहां के फैकल्टीज स्टूडेंट्स को हॉस्टल में जाकर मिल रहे हैं. उनकी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं. नीट परीक्षा 4 मई को है और इसके चलते अब कोटा में स्टूडेंट्स की तैयारियां जोरों पर हैं. जो स्टूडेंट्स कोटा में रहकर नीट परीक्षा में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए यहां के फैकल्टीज ने इन दिनों विशेष अभियान चलाया है.
NEET 2025 परीक्षा जैसे-जैसे नज़दीक आ रही है, देशभर से आए हजारों छात्र कोटा में जी-जान लगाकर तैयारी में जुटे हैं. ऐसे समय में एलन कैरियर इंस्टीट्यूट ने छात्रों की एकेडमिक तैयारी के साथ-साथ उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का भी विशेष ध्यान रखने की अनूठी पहल शुरू की है. इस मुहिम के अंतर्गत, एलन के 40 अनुभवी फैकल्टीज़ की टीम को प्रतिदिन 2-2 के समूहों में बांटा गया है, जो रोजाना 20 से अधिक हॉस्टलों का दौरा कर रही है. ये हॉस्टल विजिट्स विशेष रूप से लैंडमार्क सिटी, जवाहर नगर और अन्य प्रमुख छात्रावास क्षेत्रों में हो रहे हैं.
अब तक 300 से अधिक हॉस्टलों में पहुंचकर ये फैकल्टीज़ हजारों छात्रों से व्यक्तिगत रूप से मिल चुकी हैं. इस दौरान वे छात्रों से खुलकर संवाद कर रही हैं, उनकी पढ़ाई से जुड़ी शंकाओं को दूर कर रही हैं और उनके हॉस्टल या व्यक्तिगत जीवन से संबंधित समस्याओं पर भी चर्चा कर उन्हें समाधान दे रही हैं.
एलन की यह पहल केवल एकेडमिक गाइडेंस तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य छात्रों को यह अहसास दिलाना है कि वे अकेले नहीं हैं. "कोटा केयर्स" अभियान के तहत, यह पहल कोटा स्टूडेंट्स वेलफेयर सोसायटी और जिला प्रशासन के सहयोग से चलाई जा रही है, ताकि कोटा को केवल कोचिंग सिटी नहीं, बल्कि एक संपूर्ण छात्र-हितैषी शहर के रूप में स्थापित किया जा सके.
फैकल्टीज़ जब छात्रों के हॉस्टल में पहुंचकर बिना किसी औपचारिकता के संवाद करते हैं, तो इससे छात्रों को आत्मीयता और सुरक्षा का अनुभव होता है. वे खुलकर अपनी समस्याएं साझा करते हैं और खुद को अधिक प्रेरित और मानसिक रूप से सशक्त महसूस करते हैं.
एक घंटे के संवाद सत्र: एकेडमिक, पर्सनल और इमोशनल सपोर्ट
प्रत्येक हॉस्टल विजिट का सत्र लगभग एक से सवा घंटे का होता है, जिसमें छात्रों को एक ऐसा मंच मिलता है जहां वे निःसंकोच अपनी समस्याएं साझा कर सकते हैं. ये सेशन्स छात्रों के लिए वन-टू-वन संवाद का अवसर भी प्रदान करते हैं. फैकल्टीज़ इन सत्रों में छात्रों को न केवल एकेडमिक मार्गदर्शन दे रहे हैं, बल्कि उन्हें तनाव प्रबंधन की तकनीकें, सकारात्मक सोच विकसित करने के तरीके और परीक्षा के तनाव से निपटने की रणनीतियां भी सिखा रहे हैं.
यदि कोई छात्र परीक्षा को लेकर डर, घबराहट, थकान या अकेलेपन जैसी मानसिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, तो फैकल्टीज़ उन्हें व्यक्तिगत सलाह देकर मानसिक रूप से मजबूत बनने में मदद कर रहे हैं. इस पहल से छात्रों को न केवल राहत मिल रही है, बल्कि उनका आत्मविश्वास भी कई गुना बढ़ा है. अक्सर परीक्षा के समय छात्र मानसिक रूप से दबाव महसूस करते हैं, लेकिन जब उन्हें यह महसूस होता है कि उनके शिक्षक उनके पास खुद चलकर आ रहे हैं, तो उनका मनोबल अपने आप ऊंचा हो जाता है.
छात्रों ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास न केवल उनकी तैयारी को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से स्थिर और संतुलित बनाए रखने में भी मददगार साबित हो रहा है.