दिल्ली की प्रतिष्ठित जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी जो कभी यूनानी चिकित्सक और शिक्षाविद हकीम अब्दुल हमीद के सेवा और शिक्षा के सपने का प्रतीक थी, आज पारिवारिक और प्रशासनिक विवादों की आग में झुलस रही है. इस जंग का सबसे बड़ा शिकार बना है यूनिवर्सिटी का मेडिकल कॉलेज, हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (HIMSR), जहां 2025-26 सत्र के लिए 150 एमबीबीएस और 50 पोस्टग्रेजुएट सीटें पूरी तरह बंद कर दी गई हैं.
मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) ने अपनी सीट मैट्रिक्स में HIMSR को एक भी सीट आवंटित नहीं की. सवाल यह है कि आखिर इस विवाद की जड़ क्या है और क्यों मेडिकल छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है? हमने इसकी एक पड़ताल करने की कोशिश की है.
पारिवारिक जंग ने लकवाग्रस्त किया जामिया हमदर्द
HIMSR के पूर्व डीन डॉ सुनील कोहली बताते हैं कि इस विवाद की शुरुआत हकीम अब्दुल हमीद के बड़े बेटे अब्दुल मुईद की मृत्यु के बाद हुई, जब हमदर्द नेशनल फाउंडेशन (HNF) के नियंत्रण को लेकर उनके भाई और बेटे के बीच खींचतान शुरू हुई. ये जंग पिछले एक दशक से चल रही है और पिछले दो सालों में इतनी तेज हो गई कि यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज अराजकता के भंवर में फंस गए.
डॉ कोहली आगे कहते हैं कि साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट (Civil Appeal No. 3382-83/2019) की सलाह पर एक पारिवारिक समझौता (Deed of Family Settlement - FSD) हुआ, जिसमें HIMSR को जामिया हमदर्द से अलग कर हमदर्द एजुकेशन सोसाइटी के तहत स्वायत्त बनाने का फैसला लिया गया. फिर साल 2021 में यूनिवर्सिटी के सर्वोच्च निर्णायक अंग यानी बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (23 मार्च और 3 जुलाई 2021) और हमदर्द एजुकेशन सोसाइटी (18 अगस्त 2021) ने अपरिवर्तनीय रिजोलूशन के तहत इस बंटवारे को मंजूरी दे दी थी. लेकिन अब यूनिवर्सिटी प्रशासन इस समझौते से मुकर रहा है.
कोर्ट में मध्यस्थता में है ये मामला
फिलहाल ये मामला न्यायमूर्ति बदर दुर्रेज अहमद की अध्यक्षता में मध्यस्थता में है, और अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. डॉ कोहली ने बताया कि इससे पहले सितंबर 2022 में जस्टिस प्रतीक जालान ने सभी पक्षों से कहा था कि वो यथास्थिति बनाए रखेंगे जिसकी सभी पक्षों ने मंजूरी भी दी थी, इसके बावजूद यूनिवर्सिटी ने डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DGHS) को पत्र लिखकर HIMSR की 150 एमबीबीएस और 50 पीजी सीटें वापस लेने की मांग की, जिसके पीछे नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट में पाई गई अनियमितताओं का हवाला दिया गया लेकिन एक तरह से ये यथास्थिति को भंग करने की कोशिश ही दिखाई पड़ती है.
डॉ कोहली कहते हैं कि हमदर्द एजुकेशन सोसायटी ने हमें जानकारी दी है कि CAG ने यूनिवर्सिटी के खाते में ही अनियमितता पाई है, लेकिन HIMSR के अकाउंट में कोई ऐसी अनियमितता नहीं है. HES और HIMSR के अकाउंट हर साल ऑडिट किए जाते हैं और पूर्ण रूप से पारदर्शी हैं. हमारी तरफ से कोई भी नियामक संस्था की इसकी जांच करा सकती है.
डिप्टी रजिस्ट्रार ने कहा, 'यूनिवर्सिटी को बांटा नहीं जा सकता'
जामिया हमदर्द के डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. सरफराज अहसान ने इस विवाद पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यूजीसी नियमों (UGC Regulations, 2023) के उल्लंघन और CAG ऑडिट में पाई गई अनियमितताओं के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है. जामिया हमदर्द एक डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी है, जो यूजीसी नियमों द्वारा शासित होती है. इसमें कई वैधानिक संस्थाएं, जैसे कार्यकारी परिषद (एक्जीक्यूटिव काउंसिल) और अकादमिक परिषद, यूनिवर्सिटी की ओर से फैसले लेती हैं. दो अलग अलग बॉडी के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेडिकल रिलीफ एंड एजुकेशन कमेटी (MREC) और हमदर्द एजुकेशन एंड कल्चरल एड कमेटी (HECA) से हमारा कोई लेना-देना नहीं है. जामिया हमदर्द एक एकीकृत यूनिवर्सिटी है, इसे बाइफर्केट (विभाजित) नहीं किया जा सकता. जब उनसे 2021 के रिजोल्यूशन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस पर टिप्प्णी करने से इनकार कर दिया.
बच्चे परेशान, पेरेंट्स कनफ्यूज, शिक्षक चिंता में
इस विवाद ने HIMSR में अराजकता का माहौल बना दिया है. HIMSR के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में शिक्षिका और ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता प्रोफेसर अक्सा शेख ने कहा कि इसका सबसे बड़ा नुकसान उन बच्चों को होगा जो मेडिकल फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं. नेशनल पॉलिसी कहती है कि देश में डॉक्टरों की बहुत ज्यादा जरूरत है, मेडिकल शिक्षा प्रमोट होनी चाहिए. दूसरी ओर आपसी और खानदानी विवाद की वजह से अच्छा खासा चलता हुआ मेडिकल कॉलेज बंद होने की कगार पर है. जो स्टूडेंट अभी वहां हैं, अभी उनको परेशानियां हो रही हैं. यहां यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज के बीच तालमेल नहीं है, वहीं बच्चों में परीक्षा को लेकर अनिश्चितता रहती है.
प्रो अक्सा कहती हैं कि बच्चे और पेरेंट्स पूरी तरह कनफ्यूज हैं. एक कह रहा कि इधर फीस भरो, एक कह रहा इधर फीस भरो उन्हें समझ नहीं. साथ साथ टीचर भी दो पक्षों के बीच पिस रहे हैं, किसकी मानें उसको जो उन्हें सैलरी दे रहे या दूसरे पक्ष की. ये मामला दो सालों से कोर्ट में है, अभी भी सुलझ नहीं पाया है. 1000 बच्चे और करीब इतने ही शिक्षक और स्टाफ का क्या होगा. सरकार और कोर्ट को इस पर पहल करनी चाहिए ताकि समझौता हो सके.
इतना ही नहीं कॉलेज में अब दो डीन हैं. एक यूनिवर्सिटी ने नियुक्त किया, दूसरा कॉलेज ने. दोनों अपने हस्ताक्षर आधिकारिक दस्तावेजों पर चाहते हैं. इस टकराव का खामियाजा छात्रों और फैकल्टी को भुगतना पड़ रहा है. गुरुवार को भी मेडिकल स्टूडेंट्स ने इस बारे में पत्र लिखकर पूछा है कि आखिर यूनिवर्सिटी की ओर से रखे गए डीन हैं कौन? बता दें कि यूनिवर्सिटी दिल्ली की अदालतों में कई मामलों में उलझी है, जो आंतरिक प्रशासन, संपत्ति विवाद, और FSD के कार्यान्वयन से जुड़े हैं.
छात्र पूछ रहे, 'हमारा क्या कसूर?'
HIMSR के छात्र इस जंग की सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं. एक पीजी छात्र ने बताया कि यूनिवर्सिटी ने लास्ट इयर फाइनल परीक्षा से एक रात पहले हमें बताया कि परीक्षा रद्द हो गई है लेकिन सुबह अचानक परीक्षा ले ली गई. हम रोते हुए परीक्षा हॉल गए, क्योंकि हम अचानक एग्जाम के लिए तैयार नहीं थे. 2019 बैच की एक छात्रा को पिछले साल नए छात्रों को फीस जमा करने के बाद हॉस्टल आवंटित हुआ लेकिन बाद में 10-15 लोगों का ग्रुप आया और उन्हें जबरन निकाल दिया. ये स्टूडेंट कहां जाते? एक छात्र जिसने यूनाइटेड स्टेट्स मेडिकल लाइसेंसिंग एग्जाम के स्टेप 1 और 2 पास किए, अब डिग्री न मिलने के कारण विदेश में प्रैक्टिस का मौका खो रहा है. यूनिवर्सिटी ने उसके इंटर्नशिप सर्टिफिकेट पर डीन के हस्ताक्षर को अमान्य बता दिया है.
यूजीसी नियमों पर सवाल
HIMSR के डीन प्रो मुशर्रफ हुसैन यूजीसी नियमों का हवाला देते हुए कहते हैं कि एडमिशन पर ब्रेक लगाना स्टूडेंट्स के हितों के खिलाफ है और कानूनी रूप से गलत हो सकता है. वो कहते हैं कि यूजीसी रेगुलेशंस, 2023 के अनुसार, किसी डीम्ड यूनिवर्सिटी या उसकी सहायक इकाई को बंद करने या स्थानांतरित करने से पहले सरकार की अनुमति लेनी होती है और ये सुनिश्चित करना होता है कि नामांकित छात्र अपनी डिग्री पूरी कर सकें. अचानक ऐसे एडमिशन रोकना इस नियम का उल्लंघन हो सकता है.
वाइस चांसलर पर सवाल
डॉ सुनील कोहली ने कहा कि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर जिनके खिलाफ CBI ने भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, इस विवाद में दबाव की रणनीति अपना रहे हैं. ये जंग अब सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और पारिवारिक सत्ता की भी बन गई है.