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भारत का पहला प्राइवेट AI यूनिवर्सिटी यूपी में शुरू, टीचर- किसानों सहित इन लोगों मिलेगी ट्रेनिंग

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, राज्य शिक्षा, सुरक्षा, कृषि, प्रशासन और उद्योग सहित कई क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लागू कर रहा है. विश्वविद्यालय से राज्य में तकनीकी कौशल के विकास में सहयोग मिलने की उम्मीद है

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राज्य सरकार 10 लाख लोगों को एआई, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण देने की योजना बना रही है. ( Photo: India Today)
राज्य सरकार 10 लाख लोगों को एआई, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण देने की योजना बना रही है. ( Photo: India Today)

AI Pragya योजना के तहत, राज्य सरकार एआई, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और साइबर सुरक्षा में 10 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने की योजना बना रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव में भारत के पहले निजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-संवर्धित बहु-विषयक विश्वविद्यालय (Private Artificial Intelligence-enhanced Multidisciplinary University) का उद्घाटन किया है. यह विश्वविद्यालय चंडीगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित किया गया है.

10 लाख लोगों को मिलेगी ट्रेनिंग
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, राज्य शिक्षा, सुरक्षा, कृषि, प्रशासन और उद्योग सहित कई क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लागू कर रहा है. विश्वविद्यालय से राज्य में तकनीकी कौशल के विकास में सहयोग मिलने की उम्मीद है.  

एआई प्रज्ञा योजना के तहत, राज्य सरकार 10 लाख लोगों को एआई, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और साइबर सुरक्षा का प्रशिक्षण देने की योजना बना रही है. इसमें युवा, शिक्षक, ग्राम प्रधान, सरकारी कर्मचारी और किसान शामिल हैं.

हर महीने 1.5 लाख लोगों को दी जाएगी ट्रेनिंग
बयान में यह भी बताया गया है कि यह प्रशिक्षण माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, गूगल और गुवी जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी में दिया जा रहा है. इसका लक्ष्य हर महीने 1.5 लाख लोगों को ट्रेनिंग देना है. उत्तर प्रदेश "सेफ सिटी" परियोजना के माध्यम से जन सुरक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के उपयोग का विस्तार कर रहा है. 17 नगर निगमों में एआई-सक्षम सीसीटीवी कैमरे, स्वचालित नंबर प्लेट पहचान, एसओएस अलर्ट सिस्टम और चेहरे की पहचान तकनीक स्थापित की गई है.

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मदद के लिए हेल्पलाइन जारी
बयान में कहा गया है कि ये प्रणालियां लगातार काम करती हैं और वास्तविक समय की निगरानी के लिए 112 आपातकालीन हेल्पलाइन और पुलिस नियंत्रण कक्ष से सीधे जुड़ी हुई हैं. कृषि क्षेत्र में, विश्व बैंक द्वारा समर्थित 4,000 करोड़ रुपये की यूपी-एग्रीस परियोजना 10 लाख किसानों को एआई-आधारित समाधान प्रदान कर रही है.  इसमें स्मार्ट सिंचाई प्रणालियां, ड्रोन-आधारित भूमि मानचित्रण और कीट पहचान उपकरण जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है.

परियोजना ने जोड़ी गई10,000 महिला
इस परियोजना ने 10,000 महिला समूहों को भी जोड़ा है और किसान-उत्पादक संगठनों को डिजिटल बाजारों तक पहुंच प्रदान की है. इसके अलावा, राजस्व विभाग भूमि अभिलेखों का प्रबंधन करने, ग्राम-स्तरीय डिजिटल मानचित्रण करने तथा अधिक कुशल भूमि वितरण में सहायता के लिए उपग्रह इमेजिंग और एआई का उपयोग कर रहा है.

जेल और खनन कार्यों में भी एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है. कैदियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए 70 जेलों में जार्विस (Jarvis) नामक एक एआई-आधारित निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है. भूविज्ञान एवं खनन विभाग ने खनन क्षेत्रों की बेहतर निगरानी के लिए एआई और आईओटी उपकरण पेश किए हैं. 
 

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