अच्छी-खासी आसान चल रही जिंदगी में अगर मौसम उदासी का रंग घोलने लगे तो बुरा तो लगता ही है. ठंड के मौसम का लोग खूब खुले मन से स्वागत करते हैं. लेकिन वहीं कुछ लोगों में ये बदलता मौसम उदासी, चिंता, तनाव, नींद की कमी, अवसाद जैसे लक्षण ला देता है. इसे मनो चिकित्सा के क्षेत्र में विंटर ब्लूज के तौर पर जाना जाता है. बदलते मौसम के साथ मूड का बिगड़ना क्या सही में किसी डिसऑर्डर की देन है या नॉर्मल चीज है. आइए जानते हैं, इसे लेकर विशेषज्ञ क्या कहते हैं.
इहबास हॉस्पिटल दिल्ली के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ ओमप्रकाश बताते हैं कि ये असल में सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर यानी SAD के कारण भी होता है, जिसे आम भाषा में विंटर ब्ल्यूज कहा जाता है. जब मौसम बदलने पर खासकर ठंड आने पर लोगों को एक मानसिक विकार घेर लेता है.
डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर यानी SAD एक ऐसा मनोविकार है जो मौसमजनित परिस्थितियो पर निर्भर करता है. कई बार सीजनल पैटर्न चेंज होने पर कुछ लोगों को दुख घेर लेता है, शरीर में कमजोरी और उदासी उन्हें परेशान करती है. खासकर बारिश से ठंड आने पर जब तापमान में गिरावट शुरू होती है, तब ये लक्षण नजर आते हैं. फिर सर्दियों में उनमें ये जारी रहता है. इसे विंटर ब्लूज भी कहा जाता है. इसके बाद गर्मी का मौसम आते ही वो फिर से सामान्य हो जाते हैं. डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि विंटर ब्लूज को पूरी तरह नजरंदाज नहीं करना चाहिए. कई बार ये लक्षण लंबे वक्त के लिए व्यक्ति में रह जाते हैं.
SAD एसएडी कई बार वसंत या गर्मियों की शुरुआत में भी अवसाद के लक्षण देता है. इसमें उदास मनोदशा और ऊर्जा में कमी महसूस होती है. डॉ ओमप्रकाश कहते हैं कि रिपोर्ट बताती हैं कि इसमें जोखिम में सबसे अधिक महिलाएं होती हैं. खासकर वो महिलाएं जो कम उम्र की हैं और जो अपने घरों से दूर रहती हैं. कई मामलों में फैमिली हिस्ट्री डिप्रेशन या बाइपोलर डिसऑर्डर आदि की होने पर भी विंटर ब्लूज के चांस बढ़ जाते हैं. वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी के अनुसार अक्सर अवसाद से पीड़ित लोगों में मौसम बदलने के साथ लक्षण भी बढ़ जाते हैं. विंटर ब्लूज से संबंधित समस्याओं को लेकर बहुत परेशान नहीं होना चाहिए. इसके लक्षण धीरे धीरे कम हो जाते हैं.
हो जाएं सावधान, अगर मौसम बदलने पर ये हो तो...
- नींद की अवधि कम या बहुत ज्यादा हो जाए
- सोशल एक्टिविटी घट जाए, बातचीत कम करें
- उदासी या हताशा घेर ले, मूड बहुत लो रहे
- अगर वजन अचानक घटने या बढ़ने लगे
- भूख लगना अचानक कम हो रही है
- एनर्जी लेवल कम और कमजोरी लगे
ऐसे होता है ट्रीटमेंट
सीजनल पैटर्न एसेसमेंट क्वेश्चनेयर (SPAQ)के जरिये इस डिसऑर्डर का पता लगाया जाता है. इसमें सवालों के जवाब के जरिये मनोवैज्ञानिक पता लगाते हैं कि ये डिसऑर्डर किस लेवल पर है. इसमें माइल्ड यानी कम, मॉडरेट यानी औसत, मार्क्ड यानी चिह्नित लक्षण का लेवल होने पर उसी तरह ट्रीटमेंट होता है. इस डिसऑर्डर के टिपिकल ट्रीटमेंट की बात करें तो एंटी डिप्रेशेंट दवाओं के अलावा, लाइट थेरेपी, विटामिन डी और काउंसिलिंग के जरिये इसे ट्रीट किया जाता है.