15 दिसम्बर 2001 को इटली की पीसा की झुकी हुई मीनार को दोबारा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया. इसके पहले विशेषज्ञों की एक टीम ने 11 वर्ष तक, 27 मिलियन डॉलर खर्च करके मीनार को मजबूत बनाया, लेकिन इसकी प्रसिद्ध झुकी हुई स्थिति को समाप्त नहीं किया.
12वीं शताब्दी में फ्लोरेंस से लगभग 50 मील दूर, पश्चिमी इटली में अर्नो नदी पर एक व्यस्त व्यापार केंद्र है पीसा. यहां के गिरजाघर के लिए घंटाघर का निर्माण शुरू हुआ. जब निर्माण कार्य चल रहा था, तो टॉवर की नींव नरम, दलदली जमीन में धंसने लगी. इससे यह एक तरफ झुक गई.
1360 के आसपास शुरू हुआ था निर्माण
इसके निर्माताओं ने एक तरफ ऊपरी मंजिलों को थोड़ा ऊंचा बनाकर झुकाव की भरपाई करने की कोशिश की, लेकिन अतिरिक्त चिनाई की आवश्यकता ने टॉवर को और भी नीचे धकेल दिया. आधुनिक इंजीनियरों का कहना है कि 1360 में जब यह पूरा हुआ, तो यह एक चमत्कार था कि यह पूरी तरह से नहीं गिरा.
190 फुट ऊंची है मीनार
इस तरह पीसा की झुकी हुई मीनार शहर का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण बन गई. 20वीं सदी तक 190 फुट ऊंची सफेद संगमरमर की मीनार नाटकीय रूप से 15 फीट झुक गई थी. 1990 में इसके बंद होने से पहले के वर्ष में, 1 मिलियन लोगों ने पुराने टॉवर को देखा. इसकी 293 सीढ़ियों पर चढ़कर ऊपर तक पहुंचे और बाहर हरे-भरे कैम्पो देई मीराकोली (चमत्कारों का क्षेत्र) को निहारा.
जब इसे बंद किया गया, तब यह ढहने वाला था
उस वक्त यह आशंका थी कि यह ढहने वाला है. इसलिए अधिकारियों ने 14 पुरातत्वविदों, वास्तुकारों और मिट्टी विशेषज्ञों के एक समूह को यह पता लगाने के लिए नियुक्त किया कि मिनार के झुकाव को कुछ हद तक कैसे कम किया जाए - लेकिन पूरी तरह से नहीं. हालांकि, 1994 में किए गए एक शुरुआती प्रयास में टावर लगभग गिर गया था, लेकिन इंजीनियर अंततः नींव के नीचे से मिट्टी हटाकर 16 से 17 इंच तक झुकाव को कम करने में सफल रहे.
जब 15 दिसंबर, 2001 को टावर को फिर से खोला गया, तो इंजीनियरों ने अनुमान लगाया कि इसे 1990 की स्थिति में वापस आने में 300 साल लगेंगे. हालांकि, अब टावर में प्रवेश सीमित है, फिर भी पर्यटकों की भीड़ बाहर देखी जा सकती है, जो कैमरे की फ्लैश के साथ क्लासिक पोज़ देते हुए - टावर के बगल में खड़े होकर उसे पकड़ने का नाटक करते हैं.
कैसे झुकी पीसा की मीनार
1173 में मध्य इटली के टस्कनी में अर्नो और सेरचियो नदियों के बीच स्थित पीसा में गिरजाघर परिसर के लिए एक सफेद संगमरमर के घंटाघर का निर्माण शुरू हुआ. जब तक बिल्डरों ने लगभग पांच साल बाद आठ नियोजित मंजिलों में से तीसरी मंजिल पूरी की, तब तक मीनार की नींव उसके नीचे की जमीन पर असमान रूप से झुकने लगी थी. नतीजतन, संरचना दक्षिण की ओर स्पष्ट रूप से झुकने लगी.
निर्माण के दौरान ही छिड़ गया था युद्ध
उसी दौरान कुछ समय बाद, पीसा और एक अन्य इतालवी शहर जेनोआ के बीच युद्ध छिड़ गया. इससे निर्माण लगभग एक सदी तक रुका रहा. इस देरी ने नींव को और अधिक स्थिर होने दिया, संभवतः घंटाघर के समय से पहले ढहने से बचा लिया. जब निर्माण फिर से शुरू हुआ, तो मुख्य अभियंता जियोवानी डि सिमोन ने झुकी हुए हिस्से की तरफ़ अतिरिक्त चिनाई जोड़कर झुकाव की भरपाई करने की कोशिश की, लेकिन अतिरिक्त वजन के कारण संरचना और भी झुक गई.
टावर आधिकारिक तौर पर 1370 के आसपास पूरा हो गया था, लेकिन अगले छह शताब्दियों में इसका झुकाव बढ़ता गया, जो स्मारक के विचित्र आकर्षण का एक अभिन्न हिस्सा बन गया. इसे मजबूत करने के विभिन्न प्रयासों के बावजूद, पीसा की मीनार प्रति वर्ष लगभग 0.05 इंच की दर से नीचे गिरती रही, जिससे इसके ढहने का खतरा बढ़ता गया.
1990 में बंद कर दिया गया था
1990 में ये काफी झुक गया था. ये 5.5 डिग्री (या लगभग 15 फीट) तक झुक गया था, जो अब तक का सबसे चरम कोण था. उस वर्ष ही इसे आगंतुकों के लिए बंद कर दिया गया था और घंटियां हटा दी गई थीं, क्योंकि इंजीनियरों ने इसे स्थिर करने के लिए व्यापक मरम्मत शुरू की थी.
प्रमुख घटनाएं
15 दिसंबर, 1950 को भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन हुआ था. सरदार पटेल को 'लौह पुरुष' के नाम से भी जाना जाता है.
15 दिसंबर 2010 – ऑस्ट्रेलिया के क्रिसमस द्वीप के पास 90 शरणार्थियों को ले जा रहे एक नाव के दुर्घटनाग्रस्त होने से 48 लोगों की मौत हुई.
15 दिसंबर 2014 – सिडनी के एक कैफे में एक व्यक्ति हारुण मोनिस ने लोगों को 16 घंटे तक बंधक बनाया. पुलिस कार्रवाई में मोनिस के अलावा दो अन्य भी मारे गये.