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यहां और महंगी हुई डॉक्टरी की पढ़ाई, 20% तक बढ़ी 19 मेडिकल कॉलेजों की फीस, जानिए अब कितने देने होंगे

Medical colleges fee hike: अगले साल (2026-27) के लिए भी 10 से 20% तक फीस बढ़ाने की अनुमति दी गई है. इस फैसले के बाद निजी मेडिकल कॉलेजों की वार्षिक फीस 10 लाख से 12.50 लाख रुपये तक हो जाएगी. मैनेजमेंट कोटा सीटों की फीस तो 28 लाख रुपये तक पहुंच सकती है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

Medical colleges fee hike: गुजरात में मेडिकल कॉलेजों की फीस तय करने वाली फी रेगुलेटरी कमिटी (एफआरसी) ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 और 2026-27 के लिए नया फीस ढांचा जारी किया है. इसके तहत राज्य की 19 निजी मेडिकल कॉलेजों में इस साल प्रतिवर्ष 2 लाख रुपये से अधिक की फीस वृद्धि को मंजूरी दी गई है.

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अगले साल (2026-27) के लिए भी 10 से 20% तक फीस बढ़ाने की अनुमति दी गई है. इस फैसले के बाद निजी मेडिकल कॉलेजों की वार्षिक फीस 10 लाख से 12.50 लाख रुपये तक हो जाएगी. मैनेजमेंट कोटा सीटों की फीस तो 28 लाख रुपये तक पहुंच सकती है.

किन कॉलेजों में कितनी फीस?
एफआरसी के नए फीस ढांचे के अनुसार, वडोदरा की पारुल यूनिवर्सिटी और आनंद की प्रमुख स्वामी मेडिकल कॉलेज में सबसे अधिक 11.20 लाख रुपये, नडियाद की धर्मसिंह देसाई यूनिवर्सिटी में 10.99 लाख रुपये, अहमदाबाद की एमके शाह मेडिकल कॉलेज में 10.82 लाख रुपये, साल इंस्टिट्यूट में 10.66 लाख रुपये और दाहोद की ज़ाइडस मेडिकल कॉलेज में 10.49 लाख रुपये प्रतिवर्ष फीस तय की गई है. यह वृद्धि अभिभावकों और छात्रों के लिए भारी आर्थिक बोझ बन रही है.

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अभिभावकों और संगठनों का विरोध
एफआरसी के इस फैसले के बाद अभिभावकों, मेडिकल संगठनों और विपक्षी दलों में भारी नाराजगी देखी जा रही है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA), गुजरात स्टेट ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखकर फीस वृद्धि को वापस लेने की मांग की है. IMA का कहना है कि इस "असहनीय और असाधारण" फीस वृद्धि से प्रतिभाशाली छात्र मेडिकल एजुकेशन से वंचित रह जाएंगे. अहमदाबाद मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. मुकेश महेश्वरी ने कहा कि लगातार फीस वृद्धि से सामान्य परिवारों के बच्चों का डॉक्टर बनने का सपना टूट रहा है. उन्होंने सरकार से सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की, जहां फीस केवल 25,000 रुपये प्रतिवर्ष है.

"मेडिकल शिक्षा का व्यापारीकरण"
गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोशी ने इस फीस वृद्धि को "मेडिकल शिक्षा का व्यापारीकरण" करार दिया. उन्होंने कहा कि सरकार निजी कॉलेजों को सस्ती जमीन और सब्सिडी देती है, फिर भी फीस में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. इससे न केवल अभिभावकों की चिंता बढ़ रही है, बल्कि भविष्य में सस्ती मेडिकल सेवाएं देना भी मुश्किल हो जाएगा. दोशी ने सरकार से फीस वृद्धि वापस लेने की अपील की.

IMA के पूर्व उपाध्यक्ष की मांग
IMA के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. बिपिन पटेल ने कहा कि फीस वृद्धि का निर्णय समझ से परे है. उन्होंने मांग की कि एफआरसी सभी मेडिकल कॉलेजों की ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करे ताकि फीस वृद्धि की जरूरत को समझा जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि एफआरसी में अभिभावकों और मेडिकल क्षेत्र के प्रतिनिधियों को शामिल करना जरूरी है.

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मेडिकल शिक्षा से वंचित रह जाएंगे युवा
विशेषज्ञों का मानना है कि फीस वृद्धि से न केवल मेडिकल शिक्षा महंगी होगी, बल्कि भविष्य में चिकित्सा सेवाएं भी महंगी हो सकती हैं. डॉ. महेश्वरी ने चेतावनी दी कि अगर सामान्य परिवारों के बच्चे मेडिकल शिक्षा से वंचित रहे, तो समाज को अच्छे डॉक्टरों की कमी का सामना करना पड़ सकता है. 

सरकार से अपील
IMA, मेडिकल संगठन और विपक्ष ने एक स्वर में सरकार से मांग की है कि वह इस फीस वृद्धि को तुरंत वापस ले और सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाए. साथ ही, एफआरसी के नियमों को और पारदर्शी बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया है ताकि मेडिकल शिक्षा सभी के लिए सुलभ रहे.

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