जेएनयू छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी के मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी है. दरअसल, पिछले हफ्ते दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट दायर करने की इजाजत दी थी. हालांकि कोर्ट क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करेगा या नहीं, इस पर 29 नवंबर को फैसला आ सकता है.
पिछले हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि बीते 2 साल में 3 स्पेशल टीम जांच के लिए गठित की गई लेकिन कोई भी टीम यह पता लगाने में असमर्थ रही कि नजीब अहमद कहां है. अक्टूबर 2016 में जेएनयू छात्र नजीब अहमद अचानक रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था. दिल्ली पुलिस ने उसकी गुमशुदगी का केस भी रजिस्टर किया, लेकिन पुलिस भी इस बात का सुराग नहीं लगा पाई कि नजीब अहमद का क्या हुआ.
नजीब की मां ने 2016 में किया हाईकोर्ट रुख
पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए नजीब की मां ने 2016 में ही हाईकोर्ट का रुख कर लिया था. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नजीब अहमद की गुमशुदगी के मामले को सीबीआई को सौंप दिया लेकिन जांच एजेंसी भी करीब 2 साल जांच करने के बाद दिल्ली पुलिस की तरह ही खाली हाथ नजर आई.
सीबीआई ने नजीब की जानकारी देने वाले पर 10 लाख रुपये का इनाम देने की भी घोषणा की थी. इसके अलावा सीबीआई की टीम ने महाराष्ट्र ,दिल्ली, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य कई जगह पर छानबीन की लेकिन नजीब का पता नहीं चल सका.
हाईकोर्ट को सीबीआई ने बताया था कि उसकी पूरी कोशिशों के बावजूद भी एजेंसी को सुराग नहीं मिला है लिहाजा इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है. हालांकि सीबीआई के रिपोर्ट दाखिल करने के फैसले का नजीब अहमद की मां ने हाईकोर्ट में भी विरोध किया. इसके बाद हाईकोर्ट ने नजीब की मां को पटियाला हाउस कोर्ट में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया.
मुमकिन है कि 29 नवंबर को होने वाली सुनवाई में एक बार कोर्ट के सामने फिर नजीब की मां सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट का विरोध करें. अगर कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया तो यह अनसुलझा केस बिना किसी नतीजे पर पहुंचे खत्म हो जाएगा. लेकिन अगर कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को खारिज किया तो सीबीआई को इस मामले में नए सिरे से दोबारा जांच करनी होगी.