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Lucknow : रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर को CBI ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा

उत्तर प्रदेश के लखनऊ (Uttar Pradesh Lucknow) में रेलवे के चीफ इंजीनियर को रिश्वत लेते पकड़ा गया है. बताया जा रहा है कि डिप्टी चीफ इंजीनियर एक निजी कंपनी के व्यक्ति से रिश्वत की मांग कर रहा था. उस व्यक्ति ने इस मामले की शिकायत सीबीआई से कर दी. सीबीआई ने छापा मारकर डिप्टी चीफ इंजीनियर को रंगे हाथ पकड़ लिया.

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रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर को रिश्वत लेते पकड़ा.  (Representational image)
रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर को रिश्वत लेते पकड़ा. (Representational image)

उत्तर प्रदेश के लखनऊ (Uttar Pradesh Lucknow) में तैनात उत्तर रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर को CBI ने रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. सीबीआई को इस मामले की शिकायत मिल रही थी, जिसके बाद टीम ने मौके पहुंचकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया है.

जानकारी के अनुसार, अरुण कुमार मित्तल उत्तर रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर के पद पर तैनात थे. इस संबंध में काव्या इंटरप्राइजेज के सुनील श्रीवास्तव ने शिकायत की थी कि डिप्टी चीफ इंजीनियर बिल के सिलसिले में अरुण मित्तल रिश्वत मांग रहे हैं.

रिश्वत संबंधी शिकायत मिलने के बाद सीबीआई ने कार्रवाई की तैयारी की और छापा मारा. सीबीआई टीम ने मौके पर पहुंचकर अरुण कुमार मित्तल को 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया. इंजीनियर के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है.

दारोगा को भी किया गया था गिरफ्तार, कार्रवाई के लिए मांग रहा था रिश्वत

वहीं इससे पहले लखनऊ के चिनहट थाने में तैनात दारोगा प्रदीप यादव को एंटी करप्शन टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया था. एंटी करप्शन टीम ने घूस के तौर पर पांच हजार रुपए भी दारोगा के पास से बरामद किए थे. 

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इस मामले में शिकायत की गई थी कि चिनहट थाना क्षेत्र में मारपीट के मामले में दारोगा एक शख्स से 10 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा था. पीड़ित ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन विभाग से की थी. एंटी करप्शन लखनऊ यूनिट ने प्लान बनाकर दारोगा को घूस लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया.

मारपीट के मामले में धाराएं बढ़ाने के नाम पर मांगी थी रिश्वत

चिनहट के गंगा विहार कॉलोनी के मनोज कुमार मिश्रा के साथ उसके भाई मोहित कुमार ने मारपीट की थी. इस मामले में मनोज ने अपने भाई के खिलाफ चिनहट थाने में मारपीट और धमकाने को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी. इसकी जांच चिनहट के दारोगा प्रदीप कुमार यादव को दी गई. 

प्रदीप कुमार संबंधित मामले में धारा बढ़ाने और कार्रवाई करने के लिए 10 हजार रुपए की मांग कर रहा था. मनोज ने 10 हजार रुपए देने से मना कर दिया. इसके बाद पांच हजार रुपए पर बात फाइनल हुई थी.

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