
Killer Mother Soochna Seth: 6 दिन की पुलिस रिमांड खत्म हो जाने के बाद सूचना सेठ एक बार फिर से पांच दिन की पुलिस रिमांड पर है. पुलिस लगातार उससे पूछताछ कर रही है. अब ये पूछताछ एक मनोवैज्ञानिक की मौजूदगी में की जा रही है. उस मनोवैज्ञानिक का कहना है कि अगर सूचना के साथ पूछताछ के मामले में जल्दबाज़ी दिखाई गई तो बहुत मुमकिन है कि सूचना अपने आप को किसी 'अदृश्य खोल' में बंद कर ले और तब उससे क़त्ल से जुड़ा कोई भी नया राज़ जानना और भी मुश्किल हो सकता है.
थाने में नहीं, यहां हो रही है पूछताछ और काउंसलिंग
मनोवैज्ञानिक की सलाह के बाद पुलिस सूचना से पूछताछ करने के मामले में हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है. और यही वजह है कि अब पुलिस उसकी साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग भी किसी पुलिस स्टेशन में करने की बजाय गोवा के ही बंबोलिम इलाके में मौजूद इंस्टीट्यूट ऑफ सायकोलॉजिकल हेल्थ एंड हम्यूमन बिहेवियर में कर रही है, ताकि उसे एक नया और अलग सा माहौल दिया जा सके.
मर्डर केस की एकमात्र चश्मदीद और आरोपी है सूचना
मनोवैज्ञानिक के इस नए सुझाव के बाद अब गोवा पुलिस ने पूछताछ का तरीका बदल दिया है. असल में पुलिस बंद कमरे हुए इस कत्ल का राज़ इस मामले के इकलौते चश्मदीद और संदिग्ध कातिल यानी सूचना से ही जानना चाहती है, ताकि मामले की तफ्तीश आगे बढ़ाई जा सके और उसके खिलाफ़ एक मज़बूत केस तैयार हो. कुछ इसी इरादे से गोवा पुलिस अभी आने वाले दिनों में मनोवैज्ञानिक के सहारे से सूचना से संवाद स्थापित करने यानी बातचीत करने की कोशिश करेगी. इसी कड़ी में पुलिस ने लगातार दूसरे दिन यानी गुरुवार को भी सूचना की साइकोलॉजिकल काउंसिलिंग करवाई, ताकि उसे और नॉर्मल किया जा सके.

सूचना के खिलाफ पर्याप्त सबूत
असल में गोवा पुलिस का ये मानना है कि इस मामले में सूचना के खिलाफ़ उसके पास सारे पुख्ता सबूत हैं. क़त्ल बंद कमरे में हुआ है. और उस कमरे में विक्टिम यानी पीड़ित बच्चे के अलावा सिर्फ एक और शख्स यानी सूचना के होने के प्रमाण हैं. पुलिस के पास इसे जुड़े इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस तो हैं ही, डॉक्यूमेंटेटिव यानी दस्तावेज़ी और सरकम्सटैंशियल एविडेंस यानी परिस्थिजन्य साक्ष्य भी हैं. कमरे से लाश के गायब होने के बाद से लेकर उसके कर्नाटक के चित्रदुर्ग में बरामद होने का पूरा सिक्वेंस है, साथ ही क़त्ल की तरीके के तौर पर बच्चे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट है, जिसमें स्मॉदरिंग यानी दम घोंट कर या फिर स्ट्रैंगुलेशन यानी गला घोंट कर हत्या करने के फॉरेंसिक एविडेंस भी हैं.
कत्ल का मोटिव तलाश रही है पुलिस
ऐसे में अब अगर पुलिस को किसी चीज़ की दरकार है, तो वो है इस वारदात के पीछे का मोटिव, क़ातिल का कबूलनामा और इस क़त्ल से जुड़े वैसे सवालों का जवाब ढूंढना, जो अब भी रहस्य हैं. और यही वजह है कि पुलिस सूचना से लगातार सवाल जवाब कर रही है. पुलिस सूत्रों की मानें तो उसके पास मौजूद सबूत सूचना को सज़ा दिलाने के लिए काफी हैं, बशर्ते वो अदालत में खुद को मेंटली अनस्टेबल यानी दिमागी तौर पर अस्थिर साबित करने की कोशिश ना करे.
मनोवैज्ञानिक के सहारे सच की तलाश
यही वजह है कि पुलिस इस मामले में अब तफ्तीश के लिए मनोवैज्ञानिक की मदद ले रही है, ताकि सूचना से क़त्ल का सच उगलवाया जा सके. जाहिर है अब पुलिस सीधे तो सूचना से सवाल जवाब नहीं कर रही, लेकिन मनोवैज्ञानिक के सहारे वो सूचना से ऐसे कई सवालों के जवाब जानना चाहती है, जो इस केस के राज़ से पर्दा हटा सकते हैं.

14 सवालों के जवाब चाहती है पुलिस
गोवा पुलिस के सूत्रों की मानें तो वो सूचना सेठ से ये सवाल पहले दिन से ही पूछ रही है, मसलन, पुलिस सूचना से पूछ रही है कि तुमने अपने ही बच्चे का क़त्ल क्यों कर दिया? इस वारदात के पीछे तुम्हारा मक़सद क्या था? आख़िर ऐसा क्या हुआ कि तुमने इतना भयानक क़दम उठा लिया? आख़िर ऐसी क्या बात थी कि तुम्हें लगा कि बच्चे को मार देना ही इकलौता रास्ता बचा है? ऐसे करीब 14 सवाल हैं, जो पुलिस लगातार सूचना से कर रही है. लेकिन सूचना ने किसी भी सवाल का खुल कर जवाब नहीं दिया है.
क्या थी कत्ल की वजह?
अब पुलिस मनोवैज्ञानिक के ज़रिए सूचना के दिमाग में घुसना चाहती है. और तो और वारदात को सामने आए लंबा वक्त गुजरने के बावजूद मोटिव क्लियर नहीं है. अगर एक वक़्त के लिए एक मान भी लिया जाए कि वो अपने बच्चे को लेकर इनसिक्योर थी. वो नहीं चाहती थी कि उसका पति उसके बेटे से मिले. कहीं इस मिलने-मिलाने के चक्कर में बेटा उसके पति के पास ही ना चला जाए.
सूचना ने क्यों किया मासूम बेटे का कत्ल?
यानी वो बेटे को किसी कीमत पर खुद से अलग नहीं करना चाहती थी, तो फिर सवाल ये उठता है कि आखिर इस मानसिक हालत में उसने बेटे की जान क्यों ले ली? क्योंकि जान लेने पर भी बेटे को तो उससे दूर ही चले जाना था. बल्कि हमेशा-हमेशा के लिए दूर चले जाना था. और सूचना ने कुछ ऐसा ही किया. यानी मोटिव पर सवाल है.