दिल्ली से सटे गाजियाबाद में स्वाट टीम और क्राइम ब्रांच की संयुक्त कार्रवाई में नशे के अवैध कारोबार का अब तक का सबसे बड़ा नेटवर्क उजागर हुआ है. पुलिस ने कोडीन युक्त Eskuf और Phensedyl Cough Syrup की तस्करी और कालाबाजारी करने वाले आठ तस्करों को गिरफ्तार किया है. बरामद की गई इन 1.57 लाख शीशियों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 3 करोड़ 40 लाख रुपए है.
एडिशनल पुलिस कमिश्नर केशव कुमार चौधरी ने बताया कि पुलिस टीम ने यहां से दो ट्रक, दो आयशर कैंटर, एक क्रेटा कार, 20 लाख रुपए नकद, दो लैपटॉप, 10 मोबाइल फोन, कई फर्जी मोबाइल सिम, मुहरें और 19 स्टिप टेपेंटाडोल टैबलेट्स सहित बड़ी मात्रा में फर्जी दस्तावेज भी जब्त किए हैं. इस गिरोह की जड़ें गाजियाबाद, दिल्ली से लेकर बांग्लादेश तक फैली हुई थीं. ये छापेमारी गुप्त सूचना के आधार पर की गई है.
इसके लिए गाजियाबाद कमिश्नरेट ने विशेष टीमें गठित की थी, जिसने देर रात मेरठ रोड स्थित मछली गोदाम परिसर में छापा मारा. वहां का दृश्य देखकर पुलिस भी हैरान रह गई. चार ट्रकों में छिपाई गई 1150 पेटियां बरामद हुईं, जिनमें 850 पेटियां Eskuf और 300 पेटियां Phensedyl Cough Syrup की थीं. ये पेटियां चूने के बोरों में छिपाकर रखी गई थीं ताकि किसी को शक न हो.
पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह बेहद चालाकी से काम करता था. हर खेप को किसी न किसी वैध माल के नाम पर ट्रांसपोर्ट किया जाता था. पुलिस जांच में सामने आया कि बरामद ट्रकों की बुकिंग इंदौर से गुवाहाटी के लिए चूने की सप्लाई के नाम पर की गई थी. लेकिन असल में उन ट्रकों में कोडीन युक्त कफ सीरप की भारी खेप छिपाई गई थी. बिना वैध दस्तावेजों के इस तरह के मादक द्रव्यों का परिवहन पूरी तरह अवैध है.
आरोपियों ने फर्जी फार्मा कंपनियों के लेटरहेड, मुहरें और ई-वे बिल बनवा रखे थे, ताकि हर खेप वैध लग सके. पुलिस के अनुसार ये कंपनियां सिर्फ कागजों पर मौजूद थीं, असल में उनका कोई वैध उत्पादन नहीं था. गाजियाबाद निवासी सौरव त्यागी को इस नेटवर्क का मास्टरमाइंड बताया गया है. वो इंदिरापुरम में RS फार्मा नामक फर्म के लाइसेंस के तहत काम करता था. इसी लाइसेंस का इस्तेमाल करता था.
इसके जरिए दिल्ली की वान्या इंटरप्राइजेज से कोडीन युक्त कफ सीरप खरीदता था. वान्या इंटरप्राइजेज, लैबोरेट फार्मा (पोंटा साहिब, हिमाचल प्रदेश) और एबॉट फार्मा (बद्दी, हिमाचल प्रदेश) की वेयरहाउस यूनिट है. यहां उत्पादन के बाद सीरप स्टोर होता था, जिसे बाद में मछली गोदाम परिसर में ट्रांसफर किया जाता था. वहीं से आसिफ, वसीम और शुभम ट्रकों के जरिए झारखंड, बंगाल, असम और बांग्लादेश तक भेजते थे.
इस रैकेट में शामिल संतोष भड़ाना, शादाब, शिवकांत, अम्बुज, धर्मेन्द्र, दीपू यादव और सुशील यादव को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने खुलासा किया कि ये गिरोह केवल गाजियाबाद या दिल्ली तक सीमित नहीं था. देशभर से प्रतिबंधित कफ सीरप इकट्ठा कर बांग्लादेश तक तस्करी करता था, जहां इस सिरप का इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाता है. इस तरह युवाओं में कोडीन की लत फैलाने की साजिश रची जा रही थी.
एडिशनल पुलिस कमिश्नर ने बताया कि यह केवल एक गैंग नहीं बल्कि एक संगठित नेटवर्क है, जो कई राज्यों में फैला हुआ था. इस गिरोह का मकसद प्रतिबंधित कफ सीरप को वैध दवा की तरह पेश करके अवैध मुनाफा कमाना था. गाजियाबाद पुलिस की इस कार्रवाई की वजह से ड्रग माफिया के बीच हड़कंप है. पुलिस का कहना है कि कोडीन युक्त कफ सीरप की यह बरामदगी अब तक की सबसे बड़ी जब्ती में से एक है.