Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में अदालत (Court) और पुलिस (Police) के लिए विभिन्न प्रकार के कानूनी प्रावधान (Legal provision) किए गए हैं. इसी प्रकार सीआरपीसी की धारा 192 के तहत मामले को मजिस्ट्रेटों के हवाले करने के संबंध में प्रावधान किया गया है. आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 192 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 192 (CrPC Section 192)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 192 के अधीन मामले को मजिस्ट्रेटों के हवाले करना बताया गया है. CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा ) की धारा 192 के मुताबिक-
(1) कोई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate), अपराध का संज्ञान (Cognizance of offense) करने के पश्चात् मामले को जांच या विचारण (inquiry or trial) के लिए अपने अधीनस्थ किसी सक्षम मजिस्ट्रेट (Competent magistrate) के हवाले कर सकता है.
(2) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate) द्वारा इस निमित्त सशक्त किया गया कोई प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट (First class magistrate), अपराध का संज्ञान करने के पश्चात्, मामले को जांच या विचारण (inquiry or trial) के लिए अपने अधीनस्थ किसी ऐसे सक्षम मजिस्ट्रेट (Competent magistrate) के हवाले कर सकता है, जिसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट साधारण या विशेष आदेश (General or special order) द्वारा विनिर्दिष्ट करे, और तब ऐसा मजिस्ट्रेट जांच या विचारण कर सकता है.
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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है.
CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.