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पकड़ा गया 50 हजार का इनामी हैकर, 146 करोड़ के बैंक फंड ट्रांसफर मामले में थी तलाश

लखनऊ के बहुचर्चित यूपी कोऑपरेटिव बैंक में 146 करोड़ रुपए के फंड ट्रांसफर मामले में यूपी सायबर सेल ने हैकर ज्ञान देव पाल को गिरफ्तार कर लिया है. वारदात में उसकी अहम भूमिका था. पुलिस ने उस पर 50 हजार रुपए का इनाम रखा था. जेल भेजे गए पूर्व बैंककर्मी आरएस दुबे के साथ वह बैंक के डाटा सेंटर गया था.

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हैकर ज्ञान देव को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है.
हैकर ज्ञान देव को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है.

लखनऊ के बहुचर्चित यूपी कोऑपरेटिव बैंक में 146 करोड़ रुपए के फंड ट्रांसफर मामले में यूपी सायबर सेल ने हैकर ज्ञान देव पाल को गिरफ्तार कर लिया है. वारदात में उसकी अहम भूमिका था. पुलिस ने उस पर 50 हजार रुपए का इनाम रखा था. जेल भेजे गए पूर्व बैंककर्मी आरएस दुबे के साथ ज्ञान देव कॉपरेटिव बैंक के डाटा सेंटर में पहुंचा था.

डाटा सेंटर में हैकिंग डिवाइस और logger लगाकर रिमोट एक्सेस करने वाला ज्ञानदेव पाल ही था. आरएस दुबे अपने साथ ज्ञानदेव पाल को लेकर यूपी कोऑपरेटिव बैंक की आठवीं मंजिल पर पहुंचे थे. इसके बाद यहां से 146 करोड़ रुपए का फंड ट्रांसफर किया गया था.

यूपी पुलिस की साइबर टीम ने ज्ञानदेव को लखनऊ से गिरफ्तार किया है. मामले में पांच आरोपियों की पहले ही लखनऊ से गिरफ्तारी हो चुकी है. 

यह खबर भी पढ़ें- 300 करोड़ उड़ाने का टारगेट, 18 महीने की प्लानिंग, 8 बार हुए फेल... सबसे बड़े साइबर फ्रॉड की Inside Story

18 महीने की प्लानिंग के बाद की थी वारदात   

बदमाशों ने वारदात को अंजाम देने के लिए 18 महीने की प्लानिंग की थी. इसके लिए एक करोड़ रुपए खर्च किए और आठ बार असफल हुए. आखिरकार इसके बाद 146 करोड़ की धोखाधड़ी करने में वे सफल हो गए थे. हालांकि, समय रहते इसका पता चल गया और फंड ट्रांसफर को रोक दिया गया था. 

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मगर, आपको जानकर हैरानी होगी कि आरोपियों का टारगेट 300 करोड़ रुपए पार करने का था. साइबर क्राइम पुलिस ने जिन पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था, उनमें वारदात का मास्टर माइंड रामराज है. वह लोक भवन लखनऊ में अनुभाग अधिकारी है.

दूसरा मास्टर माइंड ध्रुव कुमार श्रीवास्तव है. तीसरा आरोपी कर्मवीर सिंह यूपी को-आपरेटिव बैंक के महमूदाबाद कार्यालय में भुगतान विभाग में तैनात था. चौथा आरोपी आकाश कुमार और पांचवा आरोपी भूपेंद्र सिंह है. आरोपियों पर धारा 419, 420, 452, 467, 468, 471, 120 बी और 43, 66, 66 सी सूचना प्रोद्यौगिकी अधिनियम में केस दर्ज किया गया है. 

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