दिल्ली के रंजीत नगर में साल 2009 की हत्या और डकैती के मामले का भगोड़ा आरोपी आखिरकार 16 साल बाद गिरफ्तार कर लिया गया. बिहार का रहने वाला रामप्रीत कामत (40) नाम बदलकर गाजियाबाद में पेंटर का काम कर रहा था. पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर उसे धर दबोचा. उसके पकड़ने जाने के बाद इस केस से जुड़े बाकी राज भी खुलने की संभावना है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पकड़ा गया आरोपी रामप्रीत कामत बिहार के सुपोल का रहने वाला है. साल 2010 में अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया था और उसकी गिरफ्तारी पर 5 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था. लेकिन लंबे समय तक वह कानून की गिरफ्त से दूर भागता रहा. हत्या और डकैती का ये खौफनाक मामला 30 अक्टूबर 2009 का है.
शिकायतकर्ता अमरजीत सिंह खरबंदा जब रंजीत नगर स्थित अपने घर लौटे, तो देखा कि सबकुछ अस्त-व्यस्त पड़ा है. पत्नी की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. पूरा घर लूटपाट के बाद तहस-नहस कर दिया गया था. पुलिस जांच में सामने आया कि इस हत्या और डकैती में रामप्रीत कामत और उसके साथी शामिल थे. पुलिस ने बाकी आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया.
रामप्रीत पकड़े जाने से पहले ही फरार हो गया. तब से ही वो पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए एक दशक से भी अधिक वक्त तक फरारी काटता रहा. गिरफ्तारी के डर से वो पिछले कई वर्षों से अपने पैतृक गांव तक नहीं गया. उसने ठिकाना बदलकर गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में डेरा डाल लिया. वहां घरों की रंगाई का काम करने लगा. आम जिंदगी में घुल-मिलकर रहने लगा.
हालांकि, गुप्त सूचना ने पुलिस को उसके ठिकाने तक पहुंचा दिया. पुलिस ने रणनीति बनाकर उसे जाल में फंसाया. घरों की पेंटिंग का काम दिलाने के बहाने उसे पास के एक फ्लैट तक बुलाया गया. इसके बाद पुलिस ने इंदिरापुरम के अभय खंड से उसे दबोच लिया. पूछताछ के दौरान उसने न सिर्फ अपनी पहचान कबूल की बल्कि 2009 की वारदात में शामिल होने की बात भी मान ली.
आरोपी ने बताया कि वारदात के वक्त वो अपने साथियों के साथ दिल्ली के टोडापुर इलाके में रहता था. उसके साथी जब पकड़ लिए गए तो वो बिहार भाग गया. कुछ समय बाद वापस आकर गाजियाबाद में छिपकर रहने लगा. पुलिस का कहना है कि लंबे समय से फरार चल रहे आरोपी को पकड़ने के बाद अब इस केस से जुड़े बाकी राज भी खुलने की संभावना है.