छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में हुए पत्रकार मुकेश चंद्राकर मर्डर केस में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मंगलवार को आर्थिक मदद करने का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पत्रकार के परिजनों को 10 लाख रुपए की सहायता देगी. इसके साथ ही पत्रकारों के लिए एक भवन बनाया जाएगा. उसका नाम मृतक पत्रकार के नाम पर रखा जाएगा. इस हत्याकांड की जांच एसआईटी कर रही है.
स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर (33) 1 जनवरी को लापता हो गए थे. उनका शव 3 जनवरी को बीजापुर शहर के चट्टनपारा बस्ती में सड़क ठेकेदार सुरेश चंद्राकर की संपत्ति पर बने सेप्टिक टैंक में मिला था. मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर को 5 जनवरी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था. उसके भाई रितेश, दिनेश चंद्राकर और सुपरवाइजर महेंद्र रामटेके को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, "मृतक पत्रकार के परिवार को 10 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी. पत्रकारों के लिए एक भवन बनाया जाएगा. उसका नाम मृतक पत्रकार मुकेश चंद्राकर के नाम पर रखा जाएगा." इस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने कहा है कि आरोपी सुरेश चंद्राकर सड़क निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद से गुस्से में था.
मुकेश चंद्राकर ने अप्रैल 2021 में बीजापुर में माओवादियों की कैद से कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस दौरान हुए हमले में 22 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे. कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा) केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक विशेष इकाई है. इस हत्याकांड के बाद पीडब्ल्यूडी ने आरोपी ठेकेदार का पंजीकरण निलंबित कर दिया है.
एसआईटी के मुताबिक, मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर ने घटना से चार दिन पहले 27 दिसंबर को अपने बैंक खाते से बड़ी रकम निकाली थी. उसका भाई दिनेश चंद्राकर 1 जनवरी की रात को वारदात के बाद सबूत छिपाने और सुरेश चंद्राकर की पूर्व नियोजित योजना के अनुसार आरोपियों को भागने में मदद करने के लिए आया था. सुरेश चंद्राकर ने घटना के समय शहर से बाहर रहने की योजना बनाई थी.
मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर की साजिश के तहत रितेश, दिनेश और महेंद्र ने मुकेश चंद्राकर के दो मोबाइल फोन बीजापुर से करीब 65 किलोमीटर दूर तुमनार नदी में फेंक दिया था. एसआईटी ने चारों आरोपियों को अलग-अलग रखकर दो दिन तक उनके मोबाइल की जांच की थी. कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) के आधार पर पूछताछ की गई. उनके मोबाइल फोन से डिलीट डाटा को रिकवर किया गया.