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'कॉरपोरेट प्रोफेशनल' से 'साइबर क्रिमिनल' बने दोस्त, लोगों को ऐसे लगाया लाखों रुपए का चूना

उत्तर प्रदेश से दिल्ली और पंजाब तक फैले साइबर ठगी के एक गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है. इस गिरोह में MBA और BTech डिग्री होल्डर दो लड़के नौकरी छूट जाने के बाद लोगों के साथ लाखों की जालसाजी करने लगे. लेकिन अब उनका भांडा फूट चुका है. दोनों सलाखों के पीछे हैं.

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MBA और BTech की डिग्री, नौकरी जाने के बाद साइबर ठग बन गए. (Photo: X/@kanpurnagarpol)
MBA और BTech की डिग्री, नौकरी जाने के बाद साइबर ठग बन गए. (Photo: X/@kanpurnagarpol)

कानपुर पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने एक इंटरस्टेट साइबर सिंडिकेट का पर्दाफाश करते हुए दो ठगों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान बागपत निवासी अनुज तोमर और विवेक शर्मा के रूप में हुई है. दोनों MBA और BTech डिग्री होल्डर हैं. पहले मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे, लेकिन नौकरी जाने के बाद उन्होंने साइबर फ्रॉड को करियर बना लिया. 

आरोपियों ने फर्जी बैंक कॉल के जरिए लोगों से 60 लाख रुपए ठग लिए. इन पैसों से ऐशो आराम की जिंदगी जीते थे. इन्होंने थार गाड़ी, महंगे क्रिकेट बैट और लग्जरी गैजेट खरीदे. कानपुर पुलिस ने पंजाब पुलिस की मदद से दोनों को चंडीगढ़ और दिल्ली से गिरफ्तार किया है. ये पूरी कार्रवाई कानपुर के गोविंद नगर के रहने वाले सुनील कुमार खन्ना की शिकायत के बाद शुरू हुई. 

डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम) अतुल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इसी साल जून में सुनील कुमार खन्ना को एक व्यक्ति का फोन आया. उसने खुद को बैंक एग्जीक्यूटिव बताया और उनके क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का ऑफर दिया. उनको एक लिंक भेजा गया. उसे क्लिक करने पर एक फॉर्म खुला, जिसके भरने के बाद उनके अकाउंट से 1 लाख 35 हजार 669 रुपए गायब हो गए.

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पीड़ित की शिकायत के आधार पर इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 66डी के तहत केस दर्ज किया गया. साइबर क्राइम टीम ने टेक्निकल सर्विलांस, बैंकिंग रिकॉर्ड्स और डिजिटल फुटप्रिंट्स की मदद से आरोपियों तक पहुंच बनाई. पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपी पहले सिंगापुर की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे. लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान उनकी नौकरी चली गई. 

भारत लौटने के बाद वे एक साइबर क्रिमिनल के संपर्क में आए, जिसने उन्हें ऑनलाइन फ्रॉड की पूरी तकनीक सिखाई. आरोपियों ने दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश में फर्जी क्रेडिट कार्ड अपग्रेड स्कीम के जरिए लोगों को निशाना बनाया. उन्होंने नकली बैंक कॉल्स किए, ईमेल लिंक भेजे और पीड़ितों से ओटीपी लेकर उनके अकाउंट खाली कर दिए. उनके खिलाफ 35 से अधिक शिकायत दर्ज हैं.

नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज शिकायतों में कुल मिलाकर लगभग 60 लाख रुपए की ठगी का आंकड़ा सामने आया है. पुलिस की पूछताछ में खुलासा हुआ कि विवेक शर्मा, जो एक सेमी-प्रोफेशनल क्रिकेटर है, उसने IPL ट्रायल की तैयारी के दौरान ठगी के पैसे से 1.25 लाख रुपए का प्रीमियम SS ब्रांड क्रिकेट बैट, महंगी किट और कई लग्जरी चीजें खरीदी थीं.

वहीं, उसका साथी अनुज तोमर MBA है. उसको इस गिरोह का 'टेक्निकल माइंड' माना जा रहा है, उसने अपने हिस्से के पैसे से 12 लाख रुपए की महिंद्रा थार खरीदी थी. पुलिस ने आरोपियों के पास से तीन लैपटॉप, 14 मोबाइल फोन, थार, क्रिकेट किट और लग्जरी आइटम जब्त किए हैं. दोनों आरोपी प्रोफेशनल हैं. लेकिन नौकरी जाने के बाद मेहनत की जगह अपराध का रास्ता चुना. 

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