महाराष्ट्र की ठाणे पुलिस ने साइबर अपराध का बड़ा खुलासा करते हुए गोवा से सात लोगों को गिरफ्तार किया है. यह गिरोह बेरोजगार युवाओं को नौकरी का लालच देकर उनके नाम पर बैंक खाते खुलवाता था. उन्हीं खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी और ऑनलाइन गेमिंग घोटालों में करता था.
सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.
पुलिस इंस्पेक्टर अतुल अदुरकर ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान आनंद अशोक मेघवानी (34, मध्य प्रदेश), सौरभ शर्मा (40, छत्तीसगढ़), भोला प्रदीप यादव (21), लालचंद मुखिया (25), गौरव यादव (25), रोहित यादव (21) और राजकुमार यादव (21) (सभी बिहार निवासी) के रूप में हुई है.
पुलिस ने उनके पास से 2 लैपटॉप, 30 मोबाइल फोन, 11 लोगों की पासबुक, एटीएम कार्ड और सिम कार्ड की खेप बरामद किए हैं.
इस मामले की जांच तब शुरू हुई जब एक शख्स ने शिकायत दर्ज कराई कि उसके नाम से बैंक खाता खोला गया और उससे जुड़ा सिम कार्ड साइबर धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किया गया. आरोपियों ने उसे नौकरी दिलाने का भरोसा दिया, पासबुक, एटीएम कार्ड और सिम अपने पास रख लिया.
इसके बाद में उन सभी चीजों को गोवा भेज दिया गया. वहां इनका इस्तेमाल अवैध लेनदेन और ऑनलाइन ठगी में किया गया.
बेरोजगारों को बनाते थे निशाना
पीड़ित को जब नौकरी नहीं मिली, तो उसने बैंक से पूछताछ की और पूरे खेल का पर्दाफाश हो गया. जांच में सामने आया कि गिरोह अब तक लगभग 80 बेरोजगारों को ठग चुका है. उन्हें मामूली पैसों का लालच देकर खाते खुलवाए जाते और उनका इस्तेमाल धोखाधड़ी में किया जाता था.
गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दक्षिण गोवा के एक होटल में छापा मारा और सातों आरोपियों को मौके पर ही पकड़ लिया.
ऐसे काम करता था गिरोह
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह गिरोह बेरोजगारों को 5 हजार रुपए देकर उनके नाम से खाते खुलवाता था. एजेंटों के जरिए पासबुक, एटीएम कार्ड और सिम की पूरी किट हासिल की जाती थी. इसके बाद इन्हें साइबर अपराध और ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड में इस्तेमाल किया जाता था.
गिरफ्तारी से बचने के लिए गिरोह हर 15 दिन में अपना ठिकाना बदल लेता था. पुलिस हिरासत में सातों आरोपियों से पूछताछ जारी है.