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जॉब, इन्वेस्टमेंट और WFH के नाम पर फ्रॉड... ‘ऑपरेशन CyHawk’ के तहत 48 घंटे में 877 साइबर आरोपी गिरफ़्तार

दिल्ली पुलिस ने 48 घंटे के ‘ऑपरेशन CyHawk’ में साइबर क्राइम मॉड्यूल पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 877 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. साथ कई लोगों को बाउंड डाउन किया गया और 509 लोगों को नोटिस भेजा गया है.

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यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस ने एक ऑपरेशन के तहत की (फोटो-ITG)
यह कार्रवाई दिल्ली पुलिस ने एक ऑपरेशन के तहत की (फोटो-ITG)

Delhi Police CyHawk Operation: दिल्ली पुलिस ने साइबर अपराध पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए 48 घंटे का एक स्पेशल ऑपरेशन चलाया. जिसे ‘CyHawk’ नाम दिया गया. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, इस अभियान का उद्देश्य दिल्ली और आसपास के इलाकों में सक्रिय साइबर क्राइम मॉड्यूल को खत्म करना था. यह कार्रवाई 21 नवंबर को सामने आई, जब पुलिस ने शुरुआत में ही बड़ी संख्या में आरोपियों को पकड़ लिया.

जॉइंट पुलिस कमिश्नर (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस) रजनीश गुप्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह ऑपरेशन लगातार 48 घंटे तक चला. इस दौरान दिल्ली पुलिस की कई टीमों ने अलग-अलग जिलों और संदिग्ध लोकेशंस पर रेड की. अधिकारियों के मुताबिक, यह अब तक का सबसे समन्वित साइबर-एंटी फ्रॉड ड्राइव रहा.

पुलिस ने शुक्रवार सुबह 9 बजे तक कुल 877 लोगों को गिरफ्तार किया है या उन्हें ‘बाउंड डाउन’ किया है. पीटीआई के मुताबिक, यह आंकड़ा बताता है कि साइबर अपराध किस तरह बड़े नेटवर्क के रूप में फैल चुका है. इन सभी पर तरह-तरह की ऑनलाइन ठगी में शामिल होने का संदेह है.

इसी ऑपरेशन के दौरान पुलिस ने 509 लोगों को नोटिस भी भेजे हैं. ये नोटिस उन संदिग्ध लोगों को दिए गए जो साइबर ठगी से जुड़े मामलों में तकनीकी या वित्तीय जांच का हिस्सा हैं. पुलिस का कहना है कि इन नोटिसों पर आगे की पूछताछ और दस्तावेज़ों की जांच की जाएगी.

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'CyHawk' ऑपरेशन का फोकस उन साइबर मॉड्यूल पर था, जो दिल्ली और एनसीआर में लोगों को ऑनलाइन फ्रॉड का निशाना बना रहे थे. पुलिस का कहना है कि उन्होंने तकनीकी डेटा, कॉल रिकॉर्ड, बैंक ट्रांजेक्शन और डिजिटल फुटप्रिंट की मदद से कई गैंग की पहचान की.

इस अभियान के दौरान पुलिस को जॉब फ्रॉड, इन्वेस्टमेंट फ्रॉड और वर्क-फ्रॉम-होम फ्रॉड जैसे मामलों में बड़ी सफलता मिली है. ये वही मामले हैं जिनमें आम लोग आसान नौकरी, हाई रिटर्न और घर बैठे कमाई के झांसे में ठगे जाते थे.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जॉब फ्रॉड गैंग फर्जी जॉब वेबसाइट और सोशल मीडिया विज्ञापनों के जरिए लोगों को टारगेट कर रहा था. आरोपी पीड़ितों से प्रोसेसिंग फीस, रजिस्ट्रेशन चार्ज या इंटरव्यू शुल्क के नाम पर पैसे वसूलते थे और बाद में संपर्क तोड़ देते थे.

इन्वेस्टमेंट फ्रॉड के मामलों में जांच में पाया गया कि कई मॉड्यूल लोगों को हाई रिटर्न का लालच देकर स्कैम चला रहे थे. ये फ्रॉडर्स ऑनलाइन ट्रेडिंग, क्रिप्टोकरेंसी और फॉरेक्स के नाम पर पैसे ऐंठते थे. पुलिस ने ऐसे कई नेटवर्क का डिजिटल डेटा सीज किया है.

वर्क-फ्रॉम-होम फ्रॉड से जुड़े मामलों में आरोपियों का तरीका बेहद संगठित था. ये गैंग लोगों को छोटे-छोटे डिजिटल टास्क दिलवाने का दावा करते थे, फिर साइनअप फीस और सिक्योरिटी राशि वसूलते थे. पीड़ितों को न तो कोई काम मिलता था और न ही जमा की गई रकम लौटती थी.

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दिल्ली पुलिस ने इस ऑपरेशन के दौरान कई फर्जी कॉल सेंटरों पर भी छापे मारे. इनमें ऐसे केंद्र शामिल थे, जहां विदेशों में बैठे लोगों को भी ठगने के लिए कॉल की जाती थी. इन कॉल सेंटरों से बरामद कंप्यूटर, सर्वर और मोबाइल फोन अब फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं.

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह ऑपरेशन उन साइबर फ्रॉड नेटवर्क्स पर बड़ी चोट है, जो लंबे समय से मॉडर्न टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल करते हुए लोगों की मेहनत की कमाई लूट रहे थे. कई गैंग के मास्टरमाइंड्स की भी पहचान कर ली गई है.

फिलहाल, पुलिस आगे की जानकारी आने का इंतज़ार कर रही है, क्योंकि कई आरोपियों से पूछताछ जारी है. शुरुआती जांच में मिले डिजिटल सबूतों के आधार पर आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारी हो सकती है. यह ऑपरेशन साइबर अपराध पर लगाम लगाने की दिशा में एक बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है.

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