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नोएडा में अब एक कोरोना केस होने पर सील नहीं होंगे टॉवर

नए फैसले के बाद अब नोएडा में एकल केस वाले सभी अपार्टमेंट और टॉवरों की डी-सीलिंग करने का काम शुरू कर दिया गया है. अब सिर्फ फ्लोर को ही सील किया जाएगा. टॉवर पर रहने वाले अन्य निवासियों को स्वतंत्र रूप से आने-जाने करने की अनुमति दी जाएगी.

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नोएडा में कोरोना केस मिलने पर सील नहीं होंगे टॉवर (सांकेतिक-पीटीआई)
नोएडा में कोरोना केस मिलने पर सील नहीं होंगे टॉवर (सांकेतिक-पीटीआई)

  • एक से अधिक केस सामने आने पर सील होगा पूरा टॉवर
  • ज्यादा केस पर 500 मीटर का रेडियस क्षेत्र कंटेनमेंट जोन
  • एकल केस वाले सभी अपार्टमेंट-टॉवरों की डी-सीलिंग शुरू

कोरोना संक्रमण के केस मिलने के बाद टॉवर या अपार्टमेंट सील किए जाने से आसपास रह रहे अन्य लोगों को हो रही परेशानी को देखते हुए नोएडा ने इस संबंध में बड़ा बदलाव किया है और नए आदेश के तहत जिस फ्लोर पर संक्रमण का केस आएगा अब उसे ही सील किया जाएगा.

नोएडा (गौतम बुद्ध नगर जिला) उत्तर प्रदेश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक है और संक्रमण का केस आने पर टॉवर सील कर दिए जा रहे थे, लेकिन अब प्रशासन ने इसमें बदलाव करते हुए नया आदेश जारी किया कि जिस फ्लोर पर कोरोना केस मिलेगा उसे ही सील किया जाएगा. अगर एक से अधिक मामले सामने आते हैं तो पूरा टॉवर सील कर दिया जाएगा.

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इस फैसले के बाद अब जिले में एकल केस वाले सभी अपार्टमेंट और टॉवरों की डी-सीलिंग करने का काम शुरू कर दिया गया है. अब सिर्फ फ्लोर को ही सील किया जाएगा. टॉवर पर रहने वाले अन्य निवासियों को स्वतंत्र रूप से आने-जाने करने की अनुमति दी जाएगी.

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बहुमंजिला इमारतों में जिस फ्लोर पर कोरोना केस आएगा उसे कंटेनमेंट जोन के रूप में चिन्हित किया जाएगा और संदिग्ध रोगियों के चिन्हिकरण की कार्रवाई की जाएगी. लेकिन किसी बहुमंजिला इमारतों में अगर एक से अधिक केस सामने आते हैं तो पूरे टॉवर को ही कंटेनमेंट जोन के रूप में घोषित कर दिया जाएगा.

3_062420072611.jpgनोएडा में जारी आदेश

250 मीटर रेडियस क्षेत्र कंटेनमेंट जोन

एक केस होने उस केस को केंद्र मानते हुए 250 मीटर रेडियस क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन के रूप में चिन्हित किया जाएगा. किसी क्षेत्र में एक से अधिक केस (क्लस्टर) के लिए 500 मीटर के रेडियस के क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन बनाया जाएगा जिसके बाद 250 मीटर रेडियस का क्षेत्र बफर जोन होगा.

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अगर किसी गांव में कोई एक केस आता है तो उस गांव की आबादी के निवास क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन के रूप में चिन्हित किया जाएगा. एक से अधिक केस आने पर गांव से सटे अन्य गांवों को बफर जोन में रखा जाएगा.

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