केंद्र सरकार ने 4 नए श्रम कानून (New Labour Codes) को लागू कर दिया है, जिसके तहत सैलरी से लेकर ग्रेच्युटी तक के नियम अब बदल चुके हैं. अब इस बदलाव को लेकर एक्सर्ट्स ने अपने विचार शेयर कर रहे हैं. कुछ इन कानूनों को अबतक का सबसे बड़ा बदलाव मान रहे हैं तो कुछ का कहना है कि इससे टेक होम सैलरी कम हो सकती है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए कानून से रिटायमेंट सिक्योरिटी मजबूत होती, लेकिन लाखों कर्मचारियों के लिए मंथली टेक होम सैलरी कम हो सकती है. 4 नए कानूनों में से वेतन कानून और सामाकि सुरक्षा कानून का उद्देश्य सैलरी स्ट्रक्चर में चली आ रही विसंगतियों को दूर करना और कंपनियों को वैधानिक कंट्रीब्यूशन के लिए बेसिक सैलरी कम दिखाने से रोकना है.
ट्राइलीगल में श्रम और रोजगार अभ्यास के पार्टनर अतुल गुप्ता ने कहा कि यह दशकों पुराने कानूनों, जिनमें से कई ब्रिटिश काल के हैं, को बदल दिया है. उन्होंने आगे कहा कि पुराने कानून निरस्त हो गए हैं और अब नए कानूनों पर काम शुरू हो जाएगा. एक्सपर्ट ने कहा कि इस बदलाव से शिकायत निवारण तंत्र, यूनियन मान्यता, अवकाश अधिकार और ठेका श्रमिक में भी बदलाव आएगा.
सैलरी में क्या बदलाव होगा?
एक्सपर्ट ने कहा कि नए वेतन प्रावधानों के तहत 'मजदूरी' में बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और रिटेनिंग भत्ता शामिल होगा और नियोक्ताओं को यह तय करना होगा कि कर्मचारी के कुल सैलरी का कम से कम 50% भत्ता से ही आता हो. इस बदलाव से भविष्य निधि (PF), ग्रेच्युटी और अन्य लॉन्गटर्म के कैलकुलेशन में सीधा बदलाव आएगा.
कम हो सकती है टेक होम सैलरी
इस बदलाव के बारे में बताते हुए, नांगिया समूह की पार्टनर अंजलि मल्होत्रा ने कहा कि अब वेतन में बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और रिटेनिंग भत्ता शामिल होगा. कुल पारिश्रमिक का 50% वेतन की गणना में जोड़ा जाएगा, जिससे ग्रेच्युटी, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा लाभों की गणना में एकरूपता सुनिश्चित होगी. इससे कंपनी और कर्मचारियों का कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा, जिसका अर्थ होगा कि कर्मचारियों की टेक होम सैलरी कम हो सकती है.
अभी पीएफ का कैलकुलेशन बेसिक सैलरी के 12% के आधार पर की जाती है. अब बेसिक सैलरी और भत्ते 'मजदूरी' का एक बड़ा हिस्सा बन गए हैं, इसलिए अनिवार्य पीएफ कंट्रीब्यूशन कुल सीटीसी में बढ़ोतरी के बिना बढ़ेगा, जिससे घर ले जाने वाली आय में कमी आने की संभावना है. हालांकि, कर्मचारियों को लंबी अवधि की सेविंग और अधिक रिटायरमेंट देखने को मिलेगा.
इंडियन स्टाफिंग फेडरेशन की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुचिता दत्ता ने कहा कि इस बदलाव का उद्देश्य सभी कानूनों में सैलरी की परिभाषाओं को एक समान बनाना और खामियों को दूर करना है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब ज्यादा ग्रेच्युटी और PF के ज़रिए बेहतर रिटायरमेंट सिक्योरिटी होगी, लेकिन अगर नियोक्ता लागत की भरपाई के लिए भत्तों में कटौती करते हैं, तो टेक-होम वेतन में कमी आ सकती है.
ग्रेच्युटी भुगतान में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। ईवाई इंडिया में पीपल एडवाइजरी सर्विसेज के पार्टनर पुनीत गुप्ता ने कहा कि अब ग्रेच्युटी की गणना 'मजदूरी' के आधार पर की जाएगी, जिसमें बेसिक सैलरी, एचआरए, वाहन भत्ते को छोड़कर सभी भत्ते शामिल होंगे.
अभी अन्य डिटेल आने का इंतजार
गौरतलब है कि वेतन कानून पहले ही लागू हो चुकी है, लेकिन विस्तार से नियमों का इंतजार है. केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा एकरूपता लाने की दिशा में काम करने के साथ, संगठनों को सलाह दी गई है कि वे रोजगार कॉन्ट्रैक्ट और सैलरी स्ट्रक्चर की तुरंत समीक्षा करें. नीति निर्माताओं का कहना है कि इससे मुआवजा संरचना स्थापित होगी, सामाजिक सुरक्षा मजबूत होगी और कर्मचारी लाभों में असमानता कम होगी.