अनाज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने बड़ा एक्शन लिया है. केंद्र ने काबुली चना सहित तुअर और चना पर 30 सितंबर 2024 तक स्टॉक सीमा लागू कर दी है.
जमाखोरी और बेईमान सट्टेबाजी को रोकने के साथ ही उपभोक्ताओं को किफायती दर पर तुअर और चना की उपलब्धता को बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार ने एक आदेश जारी किया है. इसके तहत थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं, मिल मालिकों और आयातकों के लिए दालों पर स्टॉक सीमा लागू की गई है.
किसके लिए कितनी लिमिट?
1. हर तरह की दाल पर व्यक्तिगत रूप से लागू स्टॉक सीमा थोक विक्रेताओं के लिए 200 मीट्रिक टन.
2. खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 मीट्रिक टन.
3. बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 200 मीट्रिक टन.
4. मिल मालिकों के लिए उत्पादन के अंतिम 3 महीने या वार्षिक स्थापित क्षमता का 25% (जो भी अधिक हो होगी).
5. आयातकों की सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 45 दिनों से अधिक समय तक आयातित स्टॉक को अपने पास नहीं रखना है.
क्या होती है जमाखोरी?
जब कोई व्यापारी किसी भी चीज को सामान्य अनुपात से ज्यादा इकट्ठा करने लगता है तो उसे जमाखोरी कहते हैं. किसी भी सामान की जमाखोरी करके व्यापारी बाजार में उसकी कृत्रिम कमी पैदा कर देते हैं. इसका मकसद उस वस्तु पर हो रहे लाभ को कई गुना बढ़ा देना होता है.